26 Apr 2024, 11:02:02 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

चंद्रमा को मन का देवता कहा जाता है और सूर्य को शरीर का। शरीर को रोग-रहित रखने के लिए, अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्यदेव से प्रार्थना की जाती है। हमारा शरीर सूर्य के साथ बहुत गहराई से संयुक्त है। इसी कारण ऋषियों ने यह सुझाव दिया कि सूर्य देवता शरीर के मालिक हैं, इसलिए सूर्य के उदय होने से पहले ही हाजिरी भरो। उनको प्रणाम करो।
 

मान लो आपने अपने पूज्य गुरुदेव को घर पर आमंत्रित किया है। तो जरा सोचो कि क्या सम्भव है कि गुरु घर पर आएं और तुम उनके स्वागत के लिए घर में उपस्थित ही न हो? सूर्य देवता इस शरीर के स्वामी हैं, इस देह के गुरु हैं, इस शरीर के नाथ हैं तो उनके आकाश में उपस्थित होने से पहले ही तुम्हें उनका स्वागत करने के लिए अच्छी तरह से तैयार नहीं हो जाना चाहिए? ब्

रह्म मुहूर्त के समय जागना शरीर को निरोगी और स्वस्थ रखने का सबसे अचूक साधन है। सूर्य की किरणें विशेषत: सूर्योदय के पहले 10 मिनट में सबसे ज्यादा लाभकारी होती हैं। उस समय जब आप आकाश से झरती हुई स्वास्थ्य-वर्धक किरणों में स्नान करते हो और उन किरणों से ऊर्जा का रसपान  करते हो तो आप भी सूर्य की तरह दीप्तिमान हो जाते हो।

जैसे सूर्य शक्ति और तेजस्विता का पुंज हैं, ऐसे ही आप भी ओज और कांति का भंडार बन जाते हो। हमारे  ऋषि- मुनि न तो वे मृत्यु से भयभीत थे, न ही उनमें अधिक समय तक जीने की इच्छा थी और न ही अन्य कोई चिंता थीं।  उनका लक्ष्य सिर्फ उस अज्ञात ब्रह्म के स्वरूप को खोजना था। इसके लिए दो स्थितियां अनिवार्य थीं। एक, शरीर स्वस्थ हो, क्योंकि अगर शरीर ही अस्वस्थ हो तो तुम कुछ प्राप्त नहीं कर सकते।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »