26 Apr 2024, 23:11:16 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

समस्याएं हैं तो उनका समाधान भी होता ही है। एक बार एक महिला ने स्वामी विवेकानंद से कहा, स्वामीजी, कुछ दिनों से मेरी बायीं आंख फड़क रही है। यह कुछ अशुभ घटने की निशानी है। कृपया मुझे कोई ऐसा तरीका बताएं जिससे कोई बुरी घटना मेरे यहां न घटे।ज् उसकी बात सुन विवेकानंद बोले, ‘देवी, मेरी नजर में तो शुभ और अशुभ कुछ नहीं होता। जब जीवन है तो इसमें अच्छी और बुरी दोनों ही घटनाएं घटित होती हैं। उन्हें ही लोग शुभ और अशुभ से जोड़ देते हैं।’

अनन्तकाल बीत गया किन्तु समस्याओं का कभी अंत हुआ हो, ऐसा नहीं दिखाई देता। जब तक मनुष्य है, उसके पास चिन्तन और विचार हैं, तब तक समस्याएं रहेंगी। जो अध्यात्म को जानता है, वह भौतिकता को जानता है, धार्मिकों ने इसे पकड़कर सोच लिया कि धर्म से धन, रोटी, पुत्र, सुख, वैभव सब कुछ प्राप्त हो जाएगा। धर्म के द्वारा इन सभी समस्याओं को सुलझाना कठिन होगा। प्यास पानी पीने से मिटेगी, भूख रोटी खाने से शांत होगी और पैसा पुरुषार्थ से प्राप्त होगा। समस्याओं के सुलझाने में यथार्थ दृष्टि होनी चाहिए।

दूसरी ओर व्यवहार को पकड़ने वाले व्यक्ति सभी समस्याओं को सुलझाने में केवल व्यवहार को ही उपयोगी मानते हैं। वे धर्म और अध्यात्म को अनुपयोगी कहते हैं, अनावश्यक समझते हैं। समस्या बाहर से आती है किन्तु उसका मूल कहां है? प्रयाग में त्रिवेणी है, किन्तु उसका मूल स्रोत कैलाश है। हमारी समस्याएं भी बाहर के विस्तार से आ रही हैं किन्तु उनका मूल हमारे मन में है।
 

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