- चीफ रिपोर्टर
इंदौर। प्रभुपाद स्वामी ने जिस इस्कॉन की स्थापना कृष्ण भक्ति के अंतरराष्ट्रीय प्रचार-प्रसार के लिए की थी, उसी इस्कॉन को भक्ति चारू जैसे मौजूदा भगवाधारियों ने धर्म और आस्था की सौदेबाजी का अड्डा बना डाला। इसका उदाहरण जमीन को लेकर भगवाधारियों की भूख है जो खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। इसी के चलते 2004 से 2005 के बीच भगवाधारियों ने करीब पांच लाख वर्गफीट के छह प्लॉट आवंटित करवाए। एक साल में भगवाधारियों पर इतनी मेहरबानी के कारण उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) के पदाधिकारी 2004 से जांच एजेंसियों व शिकायतकर्ताओं के निशाने पर हैं।
आईटी पार्क के नाम पर खेल
आईटी पार्क के नाम पर उज्जैन के सबसे बड़े जमीन घोटाले को अंजाम देने वाले इस्कॉन प्रमुख भक्ति चारू स्वामी की जमीनी प्यास ने अच्छे-अच्छे भूमाफियाओं को पीछे छोड़ दिया है। उज्जैन में इस्कॉन के भगवाधारियों की आमद 2004 के सिंहस्थ के दौरान हुई थी। इसी दौरान यूडीए दो स्कीमों पर काम कर रहा था। महाश्वेतानगर और भरतपुरी। भरतपुरी प्रशासनिक भवन के लिए थी। यहां शासकीय, अर्धशासकीय, ट्रस्ट या पंजीकृत संस्थाओं के लिए प्लॉट थे। योजना में प्रथम आओ, प्रथम पाओ की पद्धति पर प्लांट आवंटन हुआ। इसी स्कीम के लिए इस्कॉन ने आवेदन किया।
157604.13 वर्गफीट जमीन महीनेभर में ली
पहले चरण 3 नवंबर 2004 को प्लॉट नं. 33, 34 और 35 का आवंटन करवाया। इसके लिए कुल 6371600 रुपए की प्रीमियम बनी थी। 11 नवंबर 2004 को संस्था ने 6 लाख 37 हजार 160 रुपए (10 प्रतिशत) प्रीमियम आवंटन के साथ जमा कर दी। 16 नवंबर को लीज डीड साइन हो गई। 85538.73 वर्गफीट के तीन प्लॉट पाकर भी भक्ति का पेट नहीं भरा। उन्होंने 14 दिन बाद ही इन्हीं प्लॉटों के क्रम के दो प्लॉट 36 और 37 के लिए नए सिरे से आवेदन कर दिया। इन दोनों प्लॉट का एरिया 72065.4 वर्गफीट है। 5368000 वर्गफीट की प्रीमियम तय हुई। लीज डीड साइन कर यूडीए ने 25 मई 2005 को इस जमीन का कब्जा भी दे दिया।
अब उठ रहे ये सवाल
- जब भक्ति चारू के नेतृत्व में इस्कॉन ने मंदिर बनाने के मकसद से प्लॉट नं. 33, 34 और 35 लिए थे तो फिर मंदिर का काम पूरा होने से पहले ही प्लॉट नं. 36 और 37 की जरूरत क्यों पड़ी। यह जमीन क्यों ली गई?
- मंदिर की प्लानिंग कितने करोड़ की थी? मंदिर में दान की आवक का आंकलन क्या और कैसे किया गया था? इसमें जमीन पर कितना खर्च हुआ?
- मंदिर बनने से पहले ही ऐसा कितना दान मिला कि जो बजट मंदिर बनाने के लिए तय था उसे जमीनों के आवंटन पर खर्च किया जाता रहा?
- जब 2006 तक भी मंदिर का काम पूरा नहीं हुआ था तो फिर 1.42 करोड़ रुपए लगाकर भक्ति चारू ने आईटी पार्क की जमीन क्यों ली? जबकि यूडीए की शर्तों के अनुसार आईटी पार्क तीन साल में बनना था।
- आईटी पार्क बना नहीं लेकिन महाश्वेतानगर में 2312.50 वर्गफीट जमीन लेकर अवंति स्कूल आॅफ एक्सीलेंस क्यों और कैसे बना दिया?
बाद में फिर मांगी जमीन
मई में प्लॉट नं. 36 व 37 का कब्जा लेने के पांच माह बाद ही अक्टूबर में भक्ति चारू ने प्लॉट नं. 43 भरतपुरी के लिए आवेदन कर दिया। नवंबर में यूडीए बोर्ड बैठक में सदस्यों ने आवेदन स्वीकार कर जमीन आवंटन पर मुहर लगा दी। लीज डीड 8 दिसंबर 2005 को यूडीए व भक्ति चारू की कंपनी वराह मिहिर इंफोडोमिन प्रालि के बीच हुई जबकि मिनिस्ट्री आॅफ कॉर्पोरेट अफेयर्स में कंपनी का पंजीयन ही जनवरी 2006 में हुआ था। डीड साइन हुई 27 अक्टूबर 2008 को। इसी दौरान यूडीए ने वराह को कब्जा दे दिया। यह प्लॉट 305660 वर्गफीट का है। यहां आईटी पार्क बनना था पर अब तक नहीं बना।