19 Mar 2024, 12:45:21 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

- विनोद शर्मा 
इंदौर। ‘हरे रामा, हरे कृष्णा’ भजन पर नाचते और नचाते हुए इस्कॉन प्रमुख भक्ति चारू स्वामी ने आईटी पार्क के नाम पर उज्जैन में जिस जमीन घोटाले को अंजाम दिया , उसे लेकर लोकायुक्त और उज्जैन विकास प्राधिकारण (यूडीए)  की भूमिका संदेहास्पद है। शायद इसीलिए जहां लोकायुक्त प्राथमिकी दर्ज करने के बाद मामला खत्म कर चुका है वहीं यूडीए ने प्लॉट और उसके विवादों को नजरअंदाज करते हुए बीते दिनों मंदिर की लीज निरस्त कर दी। भगवान के लिए दिए भक्तों के पैसों से जमीन खरीदकर उसे गिरवी रखकर 12 करोड़ रुपए हजम करने के बाद भक्ति चारू ने डकार तक नहीं ली। 
 
यह है मामला 
यूडीए ने 8 दिसंबर 2005 को वराह मिहिर इंफोडोमिन प्रालि को आईटी पार्क के निर्माण के लिए प्लॉट 43 दिया था। प्लॉट 305660 वर्गफीट का है जिसकी 2005 में वैल्यू 600 रुपए वर्गफीट थी लेकिन इस्कॉन को दिया 46 रुपए वर्गफीट में। इस मामले में दबंग दुनिया द्वारा 2012-13 में किए गए खुलासे और प्राप्त शिकायतों के बाद लोकायुक्त एसपी रहे अरुण मिश्रा ने प्राथमिकी दर्ज की थी। 
 
यूं बढ़ा मामला 
वर्ष 2005-  पूर्व सीईओ चंद्रमौलि शुक्ला ने नियम विरुद्ध प्रशासनिक जोन में कलेक्टर गाइड लाइन से कमर्शियल 6600 रुपए रेट की जमीन आवासीय दर 500 रुपए वर्गमीटर में दी।
वर्ष 2007- पूर्व सीईओ निर्मल उपाध्याय ने शर्त अनुसार कार्य नहीं होने पर लीज निरस्त नहीं की। संस्था को एनओसी दी, जिस पर कंपनी ने लोन ले लिया।
वर्ष 2008 - वराह मिहिर को दी जमीन पर मेसर्स एल्काक मॅक्फर जियोटेक सह संस्था बनाया और लोन के लिए अप्लाय किया। 
वर्ष 2009- पूर्व सीईओ अवध श्रोत्रिय ने वराह मिहिर को दी जमीन पर मेसर्स एल्काक मॅक्फर जियोटेक सह संस्था बनाए जाने और ऋण होने पर भी न अनुबंध समाप्त किया न लीज निरस्त की।
वर्ष 2011- बैंक ने जमीन कुर्क का नोटिस चस्पा करने के बाद कुर्क कर ली।
वर्ष 2012-  संत श्री भक्ति चारू महाराज, पूर्व सीईओ शुक्ला, उपाध्याय और श्रोत्रिय पर लोकायुक्त में प्राथमिकी दर्ज। अपै्रल 2012 में सभी को नोटिस तामील किए गए लेकिन किसी ने अर्से तक जवाब नहीं दिया। 
वर्ष  2014 - अपै्रल तक लोकायुक्त ने प्राथमिकी दर्ज कर छह बार नोटिस जारी किए लेकिन आरोपी अब तक बयान देने नहीं पहुंचे। 
वर्ष 2015 - जनवरी में लोकायुक्त ने यूडीए प्रशासन से दस्तावेज और सवालों के जवाब मांगे। 
 
मंदिर की लीज रद्द, कंपनी की क्यों नहीं
धर्म और आस्था के साथ ही इस्कॉन में लगे राजनीतिक तड़के के कारण लोकायुक्त की कार्रवाई शुरू से दबी-दबी से चल रही थी। हालांकि जैसे-तैसे चलती रही। इस बीच प्लॉट नं. 33, 34, 35, 36 और 37 (जहां मंदिर है) की शिकायत भी लोकायुक्त तक पहुंची। केस दर्ज हुआ। अंतत: बीते दिनों मंदिर की लीज यूडीए ने रद्द कर दी, हालांकि मौके से मंदिर हटाकर जमीन खाली कराना प्राधिकरण के बूते की बात नहीं। ऐसे में लोकायुक्त की जांच चलते जिस प्लॉट नं. 43 के नाम पर भक्ति चारू खेल करता रहा उसकी लीज प्राधिकरण ने रद्द नहीं की। 
 
हरे रामा-हरे कृष्णा की धुन पर धोखे का गीत
भरतपुरी में करीब 183 करोड़ रुपए की कीमत रखने वाले 3.05 लाख वर्गफीट के प्लॉट (43) का सौदा कैसे ओने-पौने दामों पर इंदौर के महादी ग्रुप को किया जा चुका है? इसका खुलासा ‘दबंग दुनिया’ ने रविवार को ‘25 करोड़ में बेच दी 183 करोड़ रुपए की जमीन’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में किया था। इसके बाद भी न उज्जैन लोकायुक्त जागा, न यूडीए के जिम्मेदारों की नींद खुली। बताया जा रहा है कि दोनों विभाग के प्रमुखों को सौदे का भागीदार बनाया गया है। बशर्ते वे वराह मिहिर मामले में मिलने वाली तमाम शिकायतों को नजरअंदाज करते रहे। कायदों-कानून की परवाह भी नहीं की। यही वजह है कि सौदा उजागर होने के बाद भी दोनों विभागों ने कोई कार्रवाई नहीं की। 
 
भक्ति चारू के पास नहीं थी पूंजी
इस्कॉन समूह भले फोर्ड जैसे विदेशी फाउंडेशन की वित्तीय मदद से संचालित होता आ रहा है लेकिन इस्कॉन उज्जैन का विकास भक्तों द्वारा चढ़ाई दान की रकम से हुआ है। भक्ति चारू ने 2006 में जो 1.42 करोड़ लगाकर यूडीए से 18 करोड़ में जमीन आवंटित कराई थी वह भक्तों का ही चढ़ावा था। स्वयं को संन्यासी कहते आ रहे भक्ति चारू के पास तो पूंजी थी नहीं। 
 
राशि कहां गई?
2008 में कब्जा मिलने के बाद 2009 में इसी जमीन को गिरवी रख भक्ति ने बैंक आॅफ इंडिया से 13.50 करोड़ का कर्ज लिया। 8.5 करोड़ विड्राल भी हो गए। आईटी पार्क के डेवलपर के रूप में स्वामी अलकॉक नाम की कंपनी लाए जिसने कैनरा बैंक से करीब 3.5  करोड़ का ऋण लिया। सोचने की बात है कि स्वामी व उनके चेलों ने इस राशि का किया क्या? अब जब शरद जैन के महादी समूह को सौदा कर दिया गया है तो बैंकों का कर्ज चुकाने के बाद जो राशि बचेगी उसका भक्ति करेंगे क्या?
 
लोकायुक्त कैसे रद्द?
फरवरी 2012 में लोकायुक्त ने मामले में केस दर्ज कर अपै्रल में सभी पक्षों को नोटिस दिया। जांच चलती रही। दबंग दुनिया ने सोमवार को नवागत लोकायुक्त एसपी गीतेश कुमार गर्ग से बात की तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता बताई। कहा, वे रिकॉर्ड देख कुछ बता पाएंगे। मई में लोकायुक्त उज्जैन से लोकायुक्त इंदौर बने दिलीप सोनी ने ‘दबंग दुनिया’ से कहा कि वराह मिहिर मामले में लोकायुक्त केस खत्म हो चुका है। कारण बताते हुए कहा, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले उनके पक्ष में आ गए थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर प्राथमिकी ऐसे कैसे खत्म हो गई जबकि प्राथमिकी दर्ज ही लंबी जांच के बाद हुई थी। 
 
दोनों कंपनियों से इस्कॉन का लेना देना नहीं है। दोनों इस्कॉन के पते पर है। उसके डायरेक्टर कौन हैं मैं नहीं बता सकता। लोकायुक्त केस खत्म होने की जानकारी मुझे नहीं है। 
- राघव पंडित, पीआरओ, इस्कॉन
 
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