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दबंग विशेष : उज्जैन का आईटी पार्क घोटाला - डेवलपमेंट के नाम पर किया कंपनी टेकओवर एमओयू

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 23 2017 10:56AM | Updated Date: Jun 24 2017 12:06AM
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 - चीफ रिपोर्टर

इंदौर। काम, क्रोध, मद और लोभ छोड़कर प्रभू भक्ति की दीक्षा देने वाले इस्कॉन के भगवाधारियों से बड़ा कोई झूठा नहीं है। आईटी पार्क की जमीन को लेकर वराह मिहिर और महादी ग्रुप के बीच हुए एमओयू को शुरुआत से नकारते आए हैं। वहीं दबंग दुनिया से बातचीत में समूह के सीए नितिन गरुड़ ने एमओयू की पुष्टि तो की, किंतु कहा एमओयू डेवलपमेंट का हुआ है। हालांकि गरुड़ के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि डेवलपमेंट एमओयू किया था, तो फिर साइन करते ही महादी के संचालकों से सवा दो करोड़ रुपए किस बात के लिए। 
 
भक्ति चारू स्वामी की वराह मिहिर इन्फोडोमिन प्रालि ने इंदौर के शरद जैन के महादी ग्रुप को उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) की स्कीम भरतपूरी के प्लॉट नं. 43 का सौदा कर दिया है। वराह मिहिर ने यह 305660 वर्गफीट का यह प्लॉट प्राधिकरण से आईटी पार्क बनाने के मकसद से लिया था। 
 
वराह मिहिर और महादी ग्रुप के बीच हुए सौदे का खुलासा दबंग दुनिया ने किया था। सौदे पर साइन करके भगवान के सामने सवा दो करोड़ रुपए ले चुके बिमलकृष्ण दास दबंग दुनिया से बातचीत में ऐसे किसी एमओयू या सौदे को सिरे से नकार चुके थे। मंदिर में भगवान के सामने हुए सौदे की क्लीपिंग सामने आने के बाद सीए गरुड़ ने स्वीकारा कि जमीन बेची नहीं है, डेवलपमेंट का एमओयू किया है। 

डेवलपमेंट एमओयू तो इनती राशि क्यों ली?
> बंग दुनिया के पास जो एग्रीमेंट की कॉपी है, उसमें कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि वराह मिहिर ने अपनी जमीन पर महादी ग्रुप को आईटी पार्क बनाने का ठेका दिया हो या संयुक्त तत्वावधान में आईटी पार्क बनाने की बात कही हो। 
 
- आठ पेज के इस एमओयू में स्पष्ट लिखा है कि यह कंपनी टेकओवर करने का एमओयू है। एमओयू के पेज.4 पर लिखा है कि पेरा-2 के अनुसार जिस राशि पर सहमति की गई थी, उसे देने के बाद प्रथम पक्ष शरद जैन या उनके द्वारा तय कोई भी व्यक्ति को शेयर कैपिटल का एट फार वैल्यू पर कंपनी के कुल शेयर होल्डिंग के 90 प्रतिशत तक आवंटित किया जा सकेगा, जिसका भुगतान नए आवंटियों द्वारा किया जाएगा। 
 
- इसी पेज पर 4 नंबर कॉलम में वराह मिहिर इन्फोडॉमिन प्रालि के मौजूदा शेयर होल्डर्स और उनके पास मौजूद शेयर्स का जिक्र किया गया है। इसके अनुसार भक्ति चारू के नाम पर 89970 रुपए के 8997, चिरनजीत भौमिक के नाम 10 हजार के 1000, विपिन कुमार ऐरे, राजेंद्र पटेल और गणेश कुमार सरकार के नाम पर 10-10 रुपए के एक-एक शेयर हैं। 
 
- किसी भी ठेकेदार, कंस्ट्रक्शन कंपनी या ज्वाइंट वेंचर कंपनी के साथ होने वाले एमओयू में ठेका देने या जेवी करने वाली कंपनी को अपने डायरेक्टर्स के नाम पर कितने शेयर हैं यह बताने की जरूरत नहीं पड़ती। कानूनन ज्वाइंट वेंचर भी रजिस्टर्ड कराना पड़ता है जो कि नहीं कराया गया है। 
 
- 15 मार्च 2017 को हुए अनुबंध के अनुसार महादी समूह को सौदे की पूरी रकम 15 सितंबर 2017 से पहले अदा करना है। यदि डेवलपमेंट एमओयू है या जेवी है, तो फिर रकम वराह मिहिर द्वारा रकम किस बात की ली जा रही है। अब तक रकम की दो किश्तें इस्कॉन के कर्ताधर्ताओं तक पहुंच चुकी हैं, जिनमें बड़ी रकम गई है। बाकी राशि सितंबर तक जमा होगी। 
 
‘भक्ति’ पाक है तो हिसाब दें
- जब नवंबर 2004 में इस्कॉन को यूडीए से प्लॉट नं. 33, 34, 35 और मार्च 2005 में प्लॉट नं. 36 व 37 आवंटित हुए थे। मंदिर का काम चल रहा था, तो फिर भक्ति चारू को ऐसा क्या सूझा कि उसने आईटी पार्क के लिए 1.42 करोड़ की जमीन ले ली? 
- इस जमीन पर 2009 में एल्कॉक के नाम पर जो 13.40 करोड़ का लोन मंजूर हुआ था और इसमें से 8.5 करोड़ रुपए बैंक से मिले उनका क्या किया? 
 
- भक्ति ऐसा नहीं कह सकते कि राशि का क्या हुआ, उन्हें नहीं मालूम क्योंकि भक्ति भी उस कंपनी के डायरेक्टर हैं। 
- यदि नहीं मालूम है तो फिर वराह मिहिर ने एल्कॉक के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज नहीं करवाया, जिसने उसकी जमीन गिरवी रखकर
 
बैंक से लोन ले लिया? 
- 2017 के शुरुआत में बैंक आॅफ इंडिया को 18.40 करोड़ का कर्ज चुकाया गया। यह राशि वराह मिहिर कहां से लेकर आई। 
- इस्कॉन के पास आईटी पार्क के लिए पैसा है नहीं, लेकिन किसी संस्था से जमीन लेकर अवंति स्कूल आॅफ एक्सीलेंस बना दिया? इसका पैसा किसने दिया? 
 
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