- विनोद शर्मा
इंदौर। तन पर भगवा चोला और मुंह में ‘हरे रामा-हरे कृष्णा’ भजन के साथ भक्तों की भावनाओं का कारोबार करते आ रहे इस्कॉन के कर्ताधर्ताओं ने भगवान राधा-मदन मोहन को भी नहीं बख्शा। मंदिर में भगवान के सामने वराह मिहिर इन्फोडोमिन प्रालि और महादी ग्रुप के कर्ताधर्ताओं की बैठक हुई। दोनों कंपनियों के बीच आईटी पार्क की जमीन को लेकर हुए एमओयू को पहले भगवान के कान में पढ़कर सुनाया गया। बाद में भगवान ने मंजूरी दे दी है! इस्कॉन के कर्ताधर्ताओं ने यह कहते हुए एमओयू पर साइन किए।
आईटी पार्क के नाम पर इस्कॉन प्रमुख भक्ति चारू स्वामी और उनके चेलों ने किस तरह से करोड़ों की हेराफेरी को अंजाम दिया है? इसका खुलासा दबंग दुनिया लगातार करता आ रहा है। खुलासों के बीच मंदिर के ही एक साधक ने दबंग दुनिया को क्लिपिंग उपलब्ध करवाई है। यह 15 मार्च 2017 की रात 8 से 8.30 बजे के बीच की है। जब एक तरफ भक्त भगवान राधा-मदन मोहन के दर्शन कर रहे थे, वहीं मंदिर में वराह मिहिर इन्फोडोमिन और महादी ग्रुप के डायरेक्टर्स की चौकियों पर बैठक चल रही थी।
भक्ति के दलालों की भीड़ भी साक्षी
जिस वक्त दोनों पक्षों में एमओयू साइन हुआ उस वक्त मंदिर में भक्तों का आना-जाना भी लगा हुआ था। इनमें वे लोग भी शामिल थे जिन्होंने भक्ति चारू की विवादित जमीन बेचने का जिम्मा उठाया था। महादी ग्रुप और वराह मिहिर की बैठक दलाल विनय जैन और शरद पोरवाल ने करवाई थी। दोनों भी उस वक्त मंदिर में थे लेकिन बाहर।
मंदिर में ऐसे चलता रहा सौदेबाजी का खेल
महादी ग्रुप के शरद जैन, अजय रांका के साथ उनके सीए और अकाउंटेंट भी थे। मंदिर परिसर में उनकी पहली मुलाकात बिमलकृष्ण स्वामी से हुई। फिर उनके लिए दरी बिछाई गई। इस दौरान सौदे को लेकर बातचीत होती रही। कुछ देर बाद बिमलकृष्ण के बुलावे पर गरुड़स्वामी (नितिन गरुड़ जो इस्कॉन का सीए है) को बुलाया गया। बाद में गरुड़ ने भगवान के सामने चौकी लगवाई जिन पर जैन व रांका अपने सहयोगियों के साथ बैठे।
...और भगवान ने दे दी मंजूरी
दोनों पक्षों के बीच दस्तावेजों का आदान-प्रदान हुआ, संभवत: उनमें एग्रीमेंट भी था। पेपर्स पढ़े जाने के बाद एक स्वामी आए जिनका नाम रसानंद प्रभुजी बताया जा रहा है को पेपर्स दिए। वे पेपर्स लेकर भगवान के पास पहुंचे। सिलसिलेवार एमओयू भगवान के कान में पढ़ा गया। एमओयू में कुल आठ पेज थे। बाद में रसानंद ने आकर कहा कि एमओयू को भगवान की सहमति मिल चुकी है। अब आप दोनों पक्ष साइन कर सकते हैं।
रुपए के बंडल
इसके बाद जैन, रांका और उनके सहयोगियों को तिलक लगाया गया। गले में माला पहनाई गई। मिठाई के पैकेट दिए गए। उधर, कुछ पैकेट जैन और रांका ने भी दिए जिनमें पैसे थे। बंडल में नए नोट थे। इस्कॉन सूत्रों के अनुसार यह राशि संभवत: दो करोड़ से ज्यादा थी।
सीधी बात...
नितिन गरुड़, सीए
(इस्कॉन और वराह मिहिर इन्फोडोमिन)
वराह मिहिर और महादी के बीच एमओयू साइन आपके सामने हुआ?
- हां, शरद जैन और इस्कॉन वालों ने मेरे सामने एमओयू साइन किया।
एमओयू क्या था और क्यों?
- इस्कॉन के पास पैसा है, न वराह मिहिर के पास। आईटी पार्क डेवलप करना है इसीलिए एमओयू किया।
पैसा नहीं है तो जमीन लौटा दो?
- हम तो तैयार हैं, क्लॉज नहीं है।
लीज निरस्त कर लेने दो यूडीए को?
- लीज निरस्ती से बचने के लिए ही महादी से एमओयू किया।
एमओयू से जमीन बेच दी, कंपनी भी?
- सेल एग्रीमेंट नहीं कर सकते, डेवलपमेंट एमओयू है।
महादी आईटी पार्क बनाने में सक्षम है?
- लगता तो है।
महादी भी वराह की जमीन गिरवी तो नहीं रख देगी?
- नहीं, जमीन गिरवी रखने का जिक्र एमओयू में नहीं है।
इससे पहले एल्कॉक भी जमीन गिरवी रखकर लोन ले चुकी है?
- हां, वैसे गलती अब नहीं होगी।
डेवलपमेंट कैसे करेगी महादी?
- तमाम परमिशन लेना है, डेवलप करना है, नाम डिसाइड करना है।
भगवान को एमओयू पढ़कर सुनाया?
- एमओयू रसानंदजी ने सुनाया जो मंदिर के पुजारी हैं। वैसे भी इस्कॉन की परंपरा है कि जो भी काम करते हैं भगवान को बताकर करते हैं।