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इस्कॉन के कुनबे में डमी कंपनियों की लंबी फेहरिस्त

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 25 2017 10:27AM | Updated Date: Jun 26 2017 9:48AM
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 - विनोद शर्मा 

इंदौर। मोह माया छोड़कर ईश्वर की शरण में आने का ज्ञान देते आ रहे इस्कॉन प्रमुख भक्ति चारू स्वामी और उनके चहेते साधकों ने जितनी भी कंपनियांं रजिस्टर्ड करवा रखी हैं करीब-करीब सभी डमी हैं। सिर्फ नाम की हैं। ये न उत्पादन करती हैं न ही ट्रेडिंग। न ही इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट। टैक्स चोर बिजनेस की तरह इन कंपनियों को भी सिर्फ इसीलिए रजिस्टर्ड करवाया गया है ताकि फंड रोटेट होता रहे और बैलेंस शीट मजबूत होते ही कर्ज के नाम पर बैंकों को टोपी पहनाई जा सके। और हवाला कारोबार भी चलता रहे।
 
आईटी पार्क की जमीन के नाम पर उज्जैन के सबसे बड़े जमीन घोटाले को अंजाम देने वाले भक्ति चारू स्वामी और उनके चेलों ने डमी कंपनियों का तानाबाना बुन रखा है। इसमें से आधा दर्जन कंपनियां 33, 34, 35, 36 व 37 महाश्वेतानगर के पते पर पंजीबद्ध हैं जो भगवान राधा मदन मोहन का मंदिर है। इन कंपनियों में भक्ति चारू के अलावा गणेशकुमार सरकार, विपिनकुमार ऐरे, हिमांशु कपूर, जगदीशचंद्र सोमानी, राजेंद्र कुमार पटेल, नरेशचंद्र काकर, राजेंद्र कैलाशभाई मुदलियार, अनिंदा बोस, सुदिप्तोनाथ मुखर्जी, सुब्रत सिन्हारे जैसे उनके शागिर्द शामिल हैं। 
 
भक्ति इन कंपनियों में डायरेक्टर
- वराह मिहिर इन्फोडोमिन। पता-33 से 37 महाश्वेतानगर उज्जैन। डायरेक्टर गणेशकुमार सरकार, विपिनकुमार ऐरे, हिमांशु कपूर, जगदीशचंद्र सोमानी, राजेंद्र कुमार पटेल हैं। 
- एलकॉक मॅक्फर जियोटेक इंडिया। पता- 74 किरोनशंकर रॉय रोड कोलकाता। डायरेक्टर- भक्ति चारू, अनिंदा बोस, सुदिप्तो नाथ मुखर्जी, सुब्रत सिन्हारे। इसी पते पर देई ग्रतिया इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रालि, उर्वी उद्योग प्रालि, जीमेक्स मिनिरल्स प्रालि, जुहुदी ट्रेडिंग को प्रालि, एस इन्फॉरमेशन सर्विस प्रालि, कामिनी स्टील्स लि., लूकलाइक रेसीडेंसी प्रालि और अमृता डीलकॉम प्रालि जैसी कंपनियां भी रजिस्टर्ड हैं। 
- टचस्टोन सॉफ्टेक प्रालि पता-56 महाश्वेतानगर उज्जैन। डायरेक्टर मैनक पाल, चिरनजीत भौमिक। 
- भक्ति वेदांत इन्फ्राटेक प्रालि। पता-33 से 37 महाश्वेतानगर उज्जैन। डायरेक्टर मीना मुकेश बाबू, आलोक योगेंद्र बाबू, योगेंद्र बाबू। मीना मुकेश बाबू- इस्टा फेशन्स प्रालि, अष्टविनायक इन्फ्रा टेक प्रालि और मुकेश बाबू सिक्योरिटी में भी डायरेक्टर हैं। ऐसे ही योगेंद्र बाबू इन कंपनियों के साथ वायबीसी प्रालि इस्टा रियलिटी प्रालि और योगेन बाबू सिक्योरिटी प्रालि में भी डायरेक्टर हैं। 
- अवंति मशीनों टेक्स प्रालि। पता- राधा मदन मोहन मंदिर भरतपुरी उज्जैन। डायरेक्टर- नरेंद्रचंद्र काकर, राजेशभाई मुदलियार, विपिन कुमार ऐरे। इस कंपनी में आत्म कृष्णा भी डायरेक्टर हैं जो कि महावन सॉल्यूशन प्रालि, अवतार फिल्डसर्व प्रालि और श्रीधाम मायापुर डेवलपमेंट फाउंडेशन में भी डायरेक्टर हैं। इनके साथ नारायणदास सरकार भी डायरेक्टर हैं जिनकी मायापुर गंगा विवादा कु्रज सर्विस प्रालि, मायापुर गंगा टूरिज्म डेवलपमेंट प्रालि है। 

क्यों है कंपनियों की फेहरिस्त लंबी
- मंदिर में भक्तों द्वारा जो चढ़ावा चढ़ाया जाता है उससे इन कंपनियों को रजिस्टर्ड करवाया जाता है। पूर्ण रकम में भक्ति चारू जैसे स्वामी अपनी 90 फीसदी की हिस्सेदारी ले लेते हैं जबकि पैसा भक्तों का होता है। 
- दान या डोनेशन में जो राशि मिलती है उसे रोटेट करने के मकसद से कंपनियां पंजीबद्ध कराई गई हैं ताकि फंड एक से दूसरी और दूसरी से तीसरी कंपनी में घूमता रहे। इससे कंपनियों की बैंक बैलेंस शीट भी मजबूत होती है। 
- मजबूत बैलेंस शीट की आड़ में बैंकों से कर्ज लिया जाता है। जैसे 3.15 करोड़ की कर्जदार होने के बावजूद एल्कॉक मेकफेअर कंपनी ने वराह मिहिर की जमीन गिरवी रखकर लोन लिया था। 2009 में 8.5 करोड़ रुपए बैंक से मिलने के बाद 2010 के बाद कंपनी ने रिटर्न दाखिल नहीं किया। 
- इन कंपनियों के माध्यम से सरकारी मदद या भक्तों से दान में संपत्ति ली जाती है। बाद में एक कंपनी को दूसरी कंपनी से टेकओवर किया जाता है। या एक कंपनी बनाकर दूसरी कंपनी की जमीन खरीदी के नाम पर बैंक की आंखों में धूल झोंकी जाती है। 
- एनआरआई कोटे या विदेशी मदद के नाम पर पुराने नोट चलाए गए। रोटेशन में लेनदेन दिखाकर हवाला किया जाता है।
 
ऐसा है कंपनियों का नेटवर्क
इस्कॉन से जुड़े सूत्रों की मानें तो संस्था में जितने प्रमुख संत या सर्वेसर्वा हैं वे किसी न किसी कंपनी के डायरेक्टर हैं। इस्कॉन से जुड़े लोग जिन कंपनियों में डायरेक्टर हैं उनकी संख्या हजारों में है। कंपनियां करीब-करीब डमी हैं। इनमें न प्रोडक्शन होता है। न ट्रेडिंग न काउंसलिंग। न कंसलटेंसी। न सर्विस प्रोवाइडर है। 
 
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