जेआरडी टाटा के एक मित्र थे। जब भी मुलाकात होती तो मित्र उनसे कहते कि उनके पेन बहुत खोते हैं। वे उन्हें कहीं भी रखकर भूल जाते हैं। इसलिए उन्होंने फैसला किया है कि वे हमेशा सस्ते पेन ही पास रखेंगे, जिससे खोने का दुख नहीं होगा और न ही संभालकर रखने का तनाव।हालांकि वे अपनी इस आदत से परेशान भी थे। जेआरडी टाटा ने उन्हें सामर्थ्य के अनुसार सबसे महंगा पेन खरीदने की सलाह दी और कहा, अब देखना क्या होता है। मित्र ने सलाह मानते हुए एक 22 कैरेट सोने का पेन खरीदा।
लगभग छह महीने बाद जब दोस्त से मुलाकात हुई तो जेआरडी टाटा ने पेन के बारे में पूछा। मित्र ने कहा- मैं अपने महंगे पेन का बहुत ध्यान रखता हूं। मुझे हैरानी होती है कि मैं कितना बदल गया हूं। जेआरडी ने कहा, पेन की कीमत के मान ने यह बदलाव किया है। व्यक्ति के तौर पर तुममें पहले भी कोई कमी नहीं थी। जीवन के साथ भी यही होता है। हम उन चीजों का बहुत ध्यान रखते हैं, जिन्हें मूल्यवान समझते हैं, जिनके होने का हमें भान होता है। यदि हम सेहत को मूल्यवान मानते हैं तो ध्यान रखने लगते हैं कि क्या और कैसे खाना है।
जब दोस्तों को कीमती मानते हैं, तो उनके साथ आदर व सम्मान से पेश आते हैं। जब पैसे का मूल्य समझते हैं, तो खर्च समझदारी के साथ करते हैं। समय की कद्र करते हैं, तो उसे व्यर्थ नहीं बिताते। संबंधों कामूल्य समझने वाले रिश्तों को आसानी से टूटने नहीं देते। चीजों को संभालना सबको आता है। सब जानते हैं कि चीजों का ध्यान कैसे रखना है। यह स्वाभाविक गुण है। लापरवाही और कुछ नहीं, केवल इतना है कि हमारी नजर में उस चीज का मूल्य नहीं है।