19 Mar 2024, 08:20:08 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

टीवी पर एक विज्ञापन आता है, जिसमें दिखाया गया है कि देर रात, कठिन पहाड़ी रास्तों पर जीप चलाते हुए एक युवक एक घर तक पहुंचता है। वह दरवाजे पर लगी बेल बजाता है। एक युवती दरवाजा खोलती है और कहती है- आप आ गए, आईए और वह युवक को उस कमरे में ले जाती है, जहां दीवार पर टीवी लगा है। उस युवक के चेहरे पर आश्चर्य के भाव हैं और वह बहुत चकित है। जिस युवती ने दरवाजा खोला वह दिव्यांग है। उसके पास आंखों की रोशनी नहीं है पर, जिस आत्मविश्वास से वह उस युवक को टीवी वाले कमरे तक ले जाती है। वह उस युवक स्तंभित कर देता है। फिर युवती एक लटकी हुई घंटी की रस्सी खींचती है और बुलाती है- चलो बच्चो आ जाओ। अपना टीवी ठीक हो गया है। आठ दस उसी युवती की ही भांति दौड़ते हुए कमरे में प्रवेश करते हैं। खुशी से भरकर तालियां बजाते हैं और एक छोटी बच्ची आति प्रसन्नता में अभिभूत होकर सुर में गाना गाने लगती है। टीवी ठीक करने वाला युवक यह सब देखता है और अंचभित सा वापिस लौटता है। यह अद्भूत विज्ञापन बहुत सार्थक संदेश देता है और बताता है कि आंखों में रोशनी नहीं हुई तो क्या हुआ? उन सबने तो अपने प्रयासों से बहुत रोशनी भर ली है।

मुंबई महानगर की बात है। वहां एक बहुत सज-धजवाला एक ब्यूटी पार्लर चलता है। उसके संचालक एक पुरुष है। उनके पार्लर की बहुत प्रसिद्धि है और बड़े व संपन्न घरानों की महिलाएं वहां आती हैं और सजती व संवरती हैं। एक बार उन्होंने एक ब्लाइंड संस्था को विजिट किया। वह वहां दिव्यांग लड़कियों के कार्य करने की क्षमता व उत्साह को देखकर बहुत प्रभावित हुए। उनके मन में तुरंत विचार आया कि इन किशोरियों को आत्मनिर्भर बनाया जाना चाहिए। उन्होंने वहीं निश्चय किया वह इन्हें ब्यूटी पार्लर से संबंधित सभी कार्य सिखाएंगे। उन्होंने निश्चय तो कर लिया पर वह बहुत चुनौती भरा कार्य था। उन्होंने उन दिव्यांग को ब्यूटी पार्लर ज्वॉइन करवाकर सिखाना शुरू किया। वह घोर आश्चर्य में पड़ गए कि तीन चार दिन में ही दिव्यांग लड़कियों ने फेशियल मसाज, पेडीक्योर व मनीक्योर (हाथों व पैरों की सफाई व मसाज) में गजब कर दिया। यहां तक कि क्लाइंट (ग्राहक) कहने लगी कि उनके हाथों की अंगुलियां बहुत कोमलता से दबाव देती हैं। ब्यूटी पार्लर संचालक जैसा चाहते थे, उन्हें उन दिव्यांग लड़कियों की उत्साह भरी प्रतिक्रिया वैसी ही मिली। पूरे प्रशिक्षण के बाद उन्होंने कुछ लड़कियों की तो अपने ही पार्लर में रख लिया और कुछ को अपनी पहचान के अन्य पार्लर में भेजा। आज भी वह अन्य लड़कियों को (जो यह कार्य सीखना चाहती हैं) इसी प्रकार बैच बनाकर प्रशिक्षण दे रहे हैं। उन्होंने उनकी आंखों में ऐसी रोशनी भर दी है जो उनके भविष्य में आत्मनिर्भरता से आलोकित कर देगी।

इसी प्रकार इंदौर की ज्वाला महिला संस्था ने महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ के लिए अभिनव कदम उठाया। इस संस्था के सभी कार्यकर्ताओं और सदस्यों ने अपनी अध्यक्ष डॉ. दिव्या गुप्ता के नेतृत्व में इंदौर की अंधशाला की दिव्यांग बच्चियों को ऐसा प्रशिक्षण दिलवाया, जिससे भविष्य में वह अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकें। ज्वाला संस्था ने उन दिव्यांग  लड़कियों को सेल्फ डिफेंस (आत्म सुरक्षा) का दस दिन का प्रशिक्षण करवाया। इन लड़कियों ने समापन अवसर पर जिस उत्साह व उर्जा से आत्मसुरक्षा के प्रत्येक साधन व शारीरिक संचालन का प्रदर्शन किया वह अद््भुत है। इस तरह का प्रशिक्षण अन्य शहरों की भी ऐसी संस्थाओं में दिया जाना चाहिए। ऐसा प्रशिक्षण चाहे वह किसी रूप में हो पर उन आंखों में जाना चाहिए। वह किसी रूप में हो पर उन आंखों में आत्मविश्वास की वह रोशनी भर देगा, जिससे वह और भी सक्षम हो जाएंगी।

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