26 Apr 2024, 09:23:19 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

उस बगीचे में एक बांस का झुरमुट था और पास ही आम का वृक्ष खड़ा था। ऊंचाई में बांस ऊपर था और आम नीचे। सो बांस ने आम से कहा, देखते नहीं, मैं तुमसे कितना ऊंचा हूं। मेरी वरिष्ठता तुम्हें स्वीकार करनी चाहिए। आम कुछ बोला नहीं, चुप होकर रह गया। गर्मी ऋतु आई, तो आम फलों से लद गया। उसकी टहनियां फलों के भार से नीचे झुक गईं। बांस तना खड़ा था। वह बोला, तुम्हें तो इन फलों ने और भी झुका दिया। अब तुम मेरी तुलना में और भी अधिक छोटे हो गए हो। आम ने फिर भी कुछ नहीं कहा। वह चुपचाप खड़ा रहा।

एक दिन कुछ थके मुसाफिर उधर से गुजरे। दोपहर थी। हजारों-करोड़ मील दूर रहते हुए भी सूरज आग बरसा रहा था। मुसाफिरों को छाया की तलाश थी। चलते-चलते उन्हें भूख भी लग आई थी। पहले उन्हें बांस का झुरमुट दिखा। वह बहुत दूर से ही ऊंचा दिख रहा था। मुसाफिरों ने देखा कि उसके समीप छाया का नामोनिशान भी नहीं है। उन्हें वहीं पास में आम का पेड़ भी दिखा। वहां सघन छाया की शीतलता तो थी ही, नीचे गिरे हुए मीठे फल भी थे। मुसाफिरों ने उन फलों को खाकर अपनी भूख मिटाई, और पास के झरने से मुंह-हाथ धोया।

वे फिर वहीं आम की छांव में संतोषपूर्वक सो गए। जब वे सोकर उठे, तो बांस और आम की तुलना करने लगे। वे कह रहे थे कि बांस बहुत लंबे हैं, पर छाया तो आम की टहनियों के तले ही मिलती है। तभी किसी बच्चे ने कहा कि छाया के साथ उसने आम के पेड़ के नीचे मीठे-मीठे फल भी खाए। बहुत ऊंचाई पर होते हुए भी बांस के कानों तक ये बातें पहुंच गईं। उसे पहली बार महसूस हुआ कि ऊंचा होने में और बड़प्पन में बहुत अंतर होता है।

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