26 Apr 2024, 06:01:47 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

ग्वालियर। डबरा के मोटर साइकिल मैकेनिक इमरान के 3 साल के बेटे सूफियान को कस्बे में लोग गुगल बॉय कहते हैं। सूफियान उन सवालों के भी सटीक जवाब तत्काल देता है, जो बड़ी क्लास में पढ़ने वाले टीन एजर भी नहीं दे पाते। अचंभा इस बात का है कि सूफियान को ये ज्ञान मिला कहां से, क्योंकि उसके पिता, मां व दादा में से कोई भी पढ़ा-लिखा नहीं है। डबरा के इस गूगल बॉय के पिता इमरान बताते हैं कि सूफियान टीवी पर सिर्फ न्यूज देखता है। 
 
डबरा के मोटर मैकेनिक इमरान का बेटा सूफियान करीब 1.5 साल की उम्र से बोलने लगा था। सूफियान अपनी मां, पिता, मामा व दादा से तो खूब बातें करता है, लेकिन अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलने में उसकी कोई रुचि नहीं है। सूफियान टीवी पर आम बच्चों की तरह कार्टून जैसे किड प्रोग्राम भी नहीं देखता। डबरा के पास ही गांव में रहने वाले दादा जब सूफियान से मिलने आते हैं तो उनके साथ बैठ कर वह भी टीवी पर न्यूज देखने लगा। इस तरह उसे भी न्यूज का चस्का लग गया। अब दादाजी नहीं भी हो तब भी सूफियान टीवी पर सिर्फ न्यूज देखता है। टीवी पर न्यूज देखने के बाद सूफियान मुरैना में 12वीं की पढ़ाई कर रहे अपने मामा से फोन पर दिनभर की जिज्ञासाएं शांत करता। इसी क्रम में इमरान को पता ही नहीं चला सूफियान कब इतनी सारी बातें जान गया जो उसके आसपास 5 गुनी उम्र के बच्चे भी नहीं जानते।
जब दादा जी और मामा के सवालों के सूफियान ने तुतलाते हुए सटीक जवाब देना शुरू किया तब सबका ध्यान उस पर गया। सूफियान देश-दुनिया की बड़ी नदियों के नाम, देशों की राजधानियां, प्रदेसों की राजधानियां और देश-दुनिया के प्रमुख राजनेताओं के बारे में सूफियान सटीक जवाब देता है।
 
स्कूल ने नहीं दिया था एडमिशन
इमरान ने जब सूफियान को डबरा के स्कूलों में ले जाना शुरू किया। वहां स्कूलों का मैनेजमेंट सूफियान के प्रतिभा पर अचंभा तो करने लगा, लेकिन उम्र कम होने की वजह से एडमिशन नहीं दिया। इस साल सूफियान 3 साल का हुआ तो उसे नर्सरी में एडमिशन मिल गया। हालांकि यहां भी यही समस्या रही कि वह हम उम्र बच्चों के साथ घुलमिल कर उनके साथ नहीं खेलता। खेल के पीरियड में वह क्लास में अकेला बैठा रहता है। गरीब इमरान हालांकि प्रतिभाशाली बेटे सूफियान को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहता है, लेकिन उसे चिंता है कि थोड़ा बड़ा होने पर सूफियान को बड़े शहर के अच्छे स्कूल और माहौल नहीं मिला तो उसकी प्रतिभा कुंठित न हो जाए। गांव के वरिष्ठ नागरिकों को भी सूफियान से बात कर अच्छा लगता है।
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