-शिव चौबे
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सलाहकार
जनता को भगवान मानकर उसकी उपासना करने वाले शिवराज सिंह चौहान जनकल्याण और जनहितार्थ परिश्रम के प्रयासों में तत्पर रहते हैं। जिनका क्षण-क्षण, कतरा-कतरा आराध्य की सेवा को समर्पित है। उनके इसी भाव ने मध्यप्रदेश में जन की सेवा, कल्याण और विकास की अनेक पहलों को अंजाम दिया है। समाज सेवा के प्रयासों के इस खजाने में पर्यावरण संरक्षण की सेवा का नया प्रयास सामने आया है, अब नर्मदा सेवा यात्रा के रूप में प्रदूषण मुक्त मां नर्मदा रूपी धरोहर नई पीढ़ी को सौंपी जाएगी।
नर्मदा सेवा यात्रा 11 दिसंबर को अमरकंटक से प्रारंभ होगी। इस यात्रा के पीछे एक नहीं अनेक संकल्पों को पूरा करने का उपक्रम है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच पर आधारित है। इसकी रूपरेखा शिवराज की दृढ़ इच्छाशक्ति और प्रशासनिक दक्षता का प्रतिफल है। यात्रा के प्रारंभ में कोई 50 हजार नर्मदा भक्तों की उपस्थिति में देश के प्रतिष्ठित पर्यावरणविद्, धर्माचार्य, महंत, महामंडलेश्वर, साधु, महात्मा, सेवा भावी, राजनैतिक कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और धार्मिक क्षेत्र में कार्य करने वाले प्रतिष्ठितजन यात्रा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ होंगे।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चलने वाली इस यात्रा में वे सामान्य पैदल यात्री की भांति सम्मिलित होंगे। नर्मदा परिक्रमा में शिवराज ने सप्ताह में एक दिन पैदल चलने का भी संकल्प लिया है। यह यात्रा केवल सत्ताधारियों द्वारा आयोजित कर्मकांड नहीं, बल्कि सेवा के सोपान का महायज्ञ होगा। हम सब जानते हैं कि मां नर्मदा मध्यप्रदेश और गुजरात राज्यों की जीवन रेखा है, जीवनदायिनी है। इनकी पवित्रता को संरक्षित रखना हमारा धर्म है। इसी धर्म का प्रदेश के प्रथम सेवक शिवराज पालन कर रहे हैं। वह अपने राजनैतिक जीवन के प्रारंभिक दिनों से ही कहते आए हंै कि राजनीति मेरे लिए व्यवसाय नहीं धर्म है। उनका यह कथन और संकल्प सत्ता के शीर्ष पर 11 वर्ष रहने के बाद भी लेशमात्र भी नहीं बदला है। वे आज उसी का पालन कर रहे हैं। नर्मदा सेवा यात्रा इसका जीवंत प्रमाण है। यह सेवा यात्रा नर्मदा के दोनों तटों (उत्तर, दक्षिण) चलने वाली है। जो मप्र के तट स्थित 16 जिलों से गुजरेगी। इस बीच आने वाले गांवों, नगरों, महानगरों में यात्रा जब पहुंचेगी तब वहां की धर्म-प्रण जनता इस यात्रा की अगवानी के साथ अपने-अपने स्थानों पर मां को पवित्र बनाए रखने का संकल्प लेगी। अनवरत प्रदूषण मुक्त नर्मदा के लिए सेवा कार्य करेगी। नर्मदा सेवा संकल्प कोे पूरा करने के लिए समितियों का गठन भी होता रहेगा। यह रजिस्टर्ड समितियां स्थाई रूप से सेवा कार्य करती रहेंगी, रास्ते में आने वाले गांवों में खेती कर कर रहे अन्नदाता बंधुओं से फलदार वृक्ष लगाने का भी अनुरोध करेगी, ताकि कटाव से मां नर्मदा के किनारों को बचाया जा सके।
कृषक जैविक खेती को बढ़ावा दें। इस बारे में भी उनको पे्ररित किया जाएगा, ताकि जहरीले खाद, पावडर से खेतों का बचाकर नर्मदा जल को प्रदूषणमुक्त बना सकें। नगरों, महानगरों से निकलने वाले गंदे नालों को रोक कर नर्मदा जल को प्रदूषण मुक्ति दिलाने हेतु आवश्यक योजनाओं की तत्काल स्वीकृति देकर कार्य शुरू कराया जाएगा। शिवराज की सोच जनमानस से जुड़ी होने के कारण यह यात्रा आमजन की भागीदारी का एक अभूतपूर्व उदाहरण बनेगी। चौहान का यह सेवाव्रत रास्ते में पड़ने वाले गांवों में वहां की संस्कृति को समाहित कर सेवा यात्रा में जोड़ना इस यात्रा को जन अभियान का एक नया नक्षत्र बनाएगा, क्योंकि यात्रा के साथ सरकारी लाव-लश्कर नहीं होगा। भगवान रूपी जनता के साथ स्वछंद भाव से प्रदेश का प्रथम सेवक इस सेवा यात्रा के संकल्प को पूरा करेगा। नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा में आशीर्वाद देने के लिए पूज्य स्वामी अवधेशानंद, बाबा रामदेव, योगेश्वरनंद, सिख संत बलवीर सिंह हुड्डा, शिवानंद सर, हरिद्वार के शंकराचार्य दिव्यानंद तीर्थ, चिदानंद सरस्वती, ज्ञानस्वरूप सानंद, एके मर्चेंट, मौलाना लुकमान, आर्क बिशप तारा, संत विवेक आदि आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मां नर्मदा का जहां-जहां से निकलना हुआ है, वहीं से मुख्यमंत्री यात्रा में सेवा यात्रियों के सहभागी बनेंगे। रास्ते में पड़ने वाले गांवों की भजन मंडलियों, सदियों से मां नर्मदा को अर्पित ग्रामीणों द्वारा रचित गोल, ढोल, मृदंग, नगाड़ा की लय पर नाचते वनवासी बंधुओं के साथ गुजरने वाली यह सेवा यात्रा प्रदेश में ऐसा वातावरण निर्मित करेगी जो आगे आने वाली पीढ़ियों को प्रदूषण मुक्त मां के दर्शन की विरासत सौंपेगी।
यही है शिवराज का संकल्प। मप्र की धरती पर यूं तो एक नहीं अनेक सांस्कृतिक अभ्युदय की अनेक योजनाओं ने पिछले 11 वर्षों में साकार रूप लिया है। उनकी चर्चा नहीं करना, जन मानस के पटल पर जन मानस में छाई इन योजनाओं के साथ अन्याय होगा, क्योंकि इन योजनाओं के सुख उनको मिले हैं। जिसकी आवाज आजादी के 55 सालों में कभी नहीं सुनी गई थी। चाहे फिर कन्यादान, लाड़ली-लक्ष्मी, बेटी बचाओ, तीर्थदर्शन योजना, तीर्थस्थलों को पवित्र नगर घोषित करना, श्रीलंका में सीता माता के मंदिर की बात करना। परशुराम पीठ, कबीर पीठ, संत पीठ की स्थापना आदि अनेक हैं, लेकिन राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत शौर्य स्मारक, मध्यप्रदेश गान, वंदे मातरम का गायन, शहीदों के परिवार को सम्मान, महारानी लक्ष्मी बाई सम्मान दिवस जैसे अनेक कार्य है। यदि उनका केवल जिक्र भर किया जाए तो एक नए लेख की आवश्यकता होगी। इसलिए यहां लोक कल्याणकारी योजनाओं की व्याख्या नहीं कर रहा। यह तो प्रदेश की साढेÞ सात करोड़ जनता का हर एक मुख, मानस और हृदय खुलकर कर रहा है।
विकास की द्रुत गति से घूमने वाले पहिए की भी बात नहीं कर रहा हूं। यह बात तो राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाले सम्मान कर ही रहे हैं। आज तो नमामि देवी नर्मदा सेवा को लेकर जन मानस के हृदय पटल पर उस रेखा को रेखांकित करने का मेरा विनम्र प्रयास है। जो अनादि से लेकर आज तक देश के इतिहास में मां नर्मदा मैया की अभूतपूर्व सेवा कर, मां नर्मदा के भरपूर आशीर्वाद का पात्र हो गया। नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा पर्यावरण, स्वच्छता अभियान, शौचालय मुक्त गांव, नगर, महानगर, जैविक खेती, वृक्षारोपण व जागरूकता की मशाल लेकर चलेगी। यह यात्रा शिवराज की क्रांति मशाल यात्रा का दूसरा संस्करण है जिसने राजनीति की परिभाषा बदली और यह यात्रा बहुआयामी उद्देश्यों की पूर्ति कर शिवराज के राजनैतिक धर्म की ध्वजा फहराएगी। लगभग 3400 किलोमीटर की इस यात्रा के समापन पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में लाखों लोगों के आने की संभावना है। इस अवसर पर 138 दिनों की नर्मदा भक्तों की सेवा की सफलता हिसाब भी जनता जनार्दन को मिलेगा। यात्रा का समापन किसी नगर, महानगर में नहीं मां नर्मदा की गोद में ही होगा।