26 Apr 2024, 16:35:38 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

फूलकुमारी मुंह अंधेरे उठकर खुले में निवृत्त होने नहीं जाना चाहती थी। उसे मन ही मन बहुत बुरा लगता था। कितने वर्षों से वह निरंतर सोचती थी कि उसे इस असुविधा से कब मुक्ति मिलेगी। एक दिन उसने इस अप्रिय स्थिति से मुक्ति पा ली पर, यह राह आसान नहीं थी पर, वह तो मौके के इंतजार में ही थी और यह मौका उसे मिल गया।

एक दिन उसके गांव में शासकीय अधिकारी आए और उन्होंने घर-घर में शौचालय बनाने से होने वाली सुविधा की बात की। उन्होंने खुले में शौच जाने से स्वास्थ्य को हानि पहुंचने वाली बातें तो की हैं पर, उन्होंने इससे महिलाओं को होने वाली असुविधाओं की बातें भी की। फूलकुमारी बहुत प्रभावित हुई। उसने अगले ही दिन अपना मंगलसूत्र गिरवी रख दिया और उससे मिले धन से उसने घर में शौचालय बनवाना शुरू कर दिया। उसे इसके लिए शासकीय सहायता मिली। फूलकुमारी का पति गांव के खेत में दिहाड़ी मजदूरी करता है। उनके पास इतना धन नहीं था कि वह कोई निर्माण कर सकते इसलिए फूलकुमारी ने अपना मंगलसूत्र ही गिरवी रख दिया। उसके पति ने तो उसका साथ दिया पर, परिवार के अन्य पुरुषों ने बहुत विरोध किया पर, उसकी हिम्मत के आगे वह चुप हो गए। फूलकुमारी गांव के प्राथमिक स्कूल में बच्चों के लिए भोजन बनाती है और उसने यह मिशन बना लिया कि वह स्कूल के बच्चों की मांओं को बुलाती है और उन्हें प्रेरित करती है कि वह भी घर में शौचालय बनवाएं। उसका यह अभियान सफल हो रहा है। उसकी इस बात की चर्चा वहां के डीएम तक पहुंची। वह फूलकुमारी के कार्य से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने एक बेटी, बहन समारोह आयोजित किया जिसमें आसपास के गांवों के महिला-पुरुष शामिल हुए। फूलकुमारी की बात सबको बताई गई और आयोजन स्थल पर ही महिला व पुरुषों को शपथ दिलाई गई कि वह अपने घरों में शौचालय बनवाएंगे। शासन की ओर से फूलकुमारी को इस अभियान का ब्रांड एंबेसेडर बनाया गया है।

इसी संदर्भ में प्रियंका भारती के विज्ञापन की चर्चा करना बहुत सार्थक होगा। टीवी पर और रेडियो के सभी चैनल्स पर प्रियंका भारती का यह विज्ञापन प्रसारित करते हैं, जिसमें विद्या बालन कहती हैं कि असली नायिका प्रियंका है, क्योंकि विवाह के अगले दिन इसने अपनी पति का घर छोड़ दिया और घर में शौचालय बनवाने की बात कही, जिसे उसके पति और ससुराल वालों ने मान लिया। जबसे खुले में शौच के विरुद्ध अभियान चला है तबसे इसके लिए महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के समाचार बहुत उत्साहित करते हैं। इनमें से कई महिलाएं अधेड़ उम्र की भी हैं और कई महिलाओं के पास पर्याप्त आर्थिक सुविधा भी नहीं है पर, उन्होेंने घर में शौचालय बनवाने का महत्व और सुविधा को समझा है वह तो जैसे वर्षों से इस अवसर की प्रतीक्षा ही कर रही थीं, क्योंकि उन्हें पता था कि इससे उनका सम्मान जुड़ा है और उनकी लाज की सुरक्षा होती है।

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