-वीना नागपाल
मुंबई पुलिस ने एक अभिनव प्रयोग किया है। पुलिस ने लड़कियों के स्कूलों में संपर्क कर वहां के प्रधानाध्यापक तथा प्रधानाध्यापिका से संपर्क कर अनुरोध किया कि वह अपने-अपने स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों को उनकी अध्यापिकाओं के संरक्षण में थाने लेकर आएं। पुलिस उन्हें थानों की गतिविधि से परिचित कराएगी तथा वहां रखे पुलिस द्वारा प्रयोग किए जाने वाले अस्त्र-शस्त्र दिखाएगी और यह बताएगी कि इनका प्रयोग अपराधियों के विरुद्ध कब और कैसे समय किया जाता है।
जिस भी अफसर ने बहुत विचार से व सोच-समझकर इस तरह के अभियान को प्रारंभ करवाया है तो उनका यह कार्य बहुत सराहनीय है। इसके बहुत सकारात्मक परिणाम निकल सकते हैं। सबसे मुख्य और महत्वपूर्ण तो यही है कि लड़कियों के मन में पुलिस थाने को लेकर जो भय और यहां तक की आतंक भी होता है उसे निकालने में यह बहुत सहायता कर सकता है। लड़कियों को पता चलेगा कि थाने की पुलिस अपराधियों को ही डराती व धमकाती है यदि उसके पास अपनी सही शिकायत लेकर जाएं तो हो सकता है कि वह इस शिकायत को गंभीरता से ले और उसके निराकरण का उपाय भी करे। थाने में पहुंची छात्राओं को आश्वस्त किया गया कि पुलिस उनकी भरसक सहायता करने की कोशिश करेगी। देखा जाए तो लड़कियों के लिए यह अब बहुत अहम हो गया है कि वह पुलिस पर भरोसा करें और उनसे नि:संकोच सहायता लें। प्राय: लड़कियों के साथ बहुत अप्रिय घटनाएं होती हैं और उन्हें तरह-तरह से परेशान किया जाता है। इसके लिए वह यदि पुलिस थाने में बिना किसी डर के जाएंगी तो हो सकता है कि उन्हें सहायता मिल जाए। सबसे पहली जरूरत तो उनके मन से थानों पर जाने के डर को खत्म करना है जो इस तरह के कार्यक्रम से ही कम हो सकता है।
दूसरा लड़कियों ने पुलिस द्वारा प्रयोग किए जाने वाले अस्त्रों-शस्त्रों में बहुत रुचि दिखाई। इस समाचार के साथ एक चित्र भी प्रकाशित है जिसमें छात्राएं बहुत ध्यान से पुलिस द्वारा अस्त्रों के बारे में दी गई जानकारी सुन रही हंै और दो-तीन छात्राएं तो हाथ में राइफल उठाकर उस पर हाथ भी फेर रही हैं जैसे उन्हें यह तसल्ली मिल रही हो कि उनके साथ यदि अशिष्टता हुई और उन्होंने थान में जाकर शिकायत की तो यही रायफल अपराधी पर निशाना भी साध सकती है।
पुलिस थाने जाकर लड़कियों ने जिस तरह पुलिस की सुरक्षा की निकटता अनुभव की उससे उनके मन में भी आत्मविश्वास जागा होगा। एक बात और लड़कियों ने जिस तरह थाने के अधिकारियों व सिपाहियों से परिचय प्राप्त किया और प्रश्न पूछे तो उससे तो ऐसा लग रहा है कि इन बातों से उनमें निर्भीकता ही जागी होगी। समाचार में ऐसा भी कहा गया कि इनमें से कई लड़कियों ने जब पुलिस की गतिविधियों की सकारात्मक जानकारी मिली और उन्होंने महिला पुलिस को भी देखा तो उनके मन में भी पुलिस फोर्स ज्वॉइन करने और इसके माध्यम से कुछ कर गुजरने का भी दृढ़ निश्चय जागा। उन्होंने कहा कि वह भी अपनी पढ़ाई पूरी कर पुलिस विभाग में जाकर सकारात्मक कार्य करना चाहेंगी। वास्तव में लड़कियों का इस तरह थाने से परिचय करवाना और रायफलों व बंदूकों से परिचित होना एक उस समय की शुरुआत है जिसमें वह न केवल अपनी सुरक्षा करेंगी बल्कि दूसरों को भी सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगी।
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