26 Apr 2024, 10:08:41 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

गुजरा हुआ वर्ष कई कदमों और बातों के लिए महिलाओं को याद रखना चाहिए, क्योंकि इस वर्ष जो भी हुआ वह महिलाओं को ही कई बार केंद्र में लेकर था। यूं भी कह सकते हैं कि यह वर्ष महिलाओं की भूमिका, उनकी पृष्ठभूमि और उनके वर्तमान को सफल बनाने की बहुत कामयाब शुरुआत रही और अब आने वाले वर्षों में हम देखेंगे कि महिलाओं की छवि में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आ रहा है।

पिछले वर्ष की ‘आपस की बात’ में हमने कोशिश की कि उन युवतियों और महिलाओं की बात प्रस्तुत की जाए जिससे उनकी सफलता की बात का संदेश दूर-दूर तक पहुंचे और उनकी बातें सुनकर न केवल बड़ी होती हुई लड़कियां बल्कि युवतियां और महिलाएं तो क्या उनके पूरे परिवार विशेषकर माता-पिता प्रभावित हों। हमने हाथियों का ट्रेंड करने वाली और सागर की उमड़ती शोर मचाती लहरों से संघर्ष कर एक नाव में सवार मल्लाहों का जीवन बचाने वाली नेवी की अफसर की बात की, जिसमें 50 से लेकर 13 वर्ष तक का बच्चा भी शामिल था। ओलिंपिक में भाग लेने वाली लड़कियों की बातें भी कीं। जब साक्षी मलिक और पीवी सिंधु ने देश का गौरव बढ़ाया तो उनके माध्यम से यह कहने की कोशिश की कि बेटियों को बचाओ और उन्हें जीवन में सफल होने और सभी मान-सम्मान की हकदार बनें और समाज की अन्य बेटियां उनके उदाहरण को सामने रख आगे बढ़ें।

वैसे देखा जाए तो एक माहौल तो ऐसा तैयार हुआ है जो पिछले वर्ष में बना और जिसका अब और सुधरना जारी रहेगा। फिल्में बहुत सशक्त माध्यम होती हैं- किसी भी संदेश को दूर तक और व्यापक रूप से पहुंचाने के लिए। ‘पिंक’ फिल्म ने अपना जबरदस्त प्रभाव छोड़ा तो सुल्तान में एक युवती का कुश्ती के प्रति इतना समर्पण भी बहुत सटीक रहा और साल के आखिरी में दंगल ने तो लड़कियों की सफलता की ऐसी तस्वीर प्रस्तुत की जिसके रंग से सारा समाज उसी रंग में डूबकर बेटियों को बहुत कुछ करने के लिए प्रस्तुत करेगा। उन्हें उत्साहित किया जाएगा तो उन्हें अवसर देने की भी पूरी कोशिश माता-पिता करेंगे।

साहित्य में भी महिलाएं केंद्र में रहीं। बेटियों पर कई रचनाएं लिखी गर्इं। समाचार पत्रों के फीचर पृष्ठ पर महिला हितैषी लेखों की संख्या अच्छी-खासी रही। पिछले वर्ष में महिलाओं के लिए ऐसे कानून भी अस्तित्व में आए हैं जिनसे उनकी स्थिति और भी सुदृढ़ हुई है। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय ने अपने संस्थानों से लेकर राज्यों को भी यह कहा कि वह सब सुनिश्चित करें कि कामकाजी महिलाओं को उनके कार्यस्थल पर पूरी सुरक्षा मिलेगी और यदि उनके साथ किसी भी प्रकार सेक्सुअल हैरेसमेंट होता है तो वह तुरंत शिकायत कर सकती हैं इसके लिए प्रत्येक कार्यालय में ऐसी समिति का गठन अनिवार्य है जहां महिलाएं अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की श्किायत कर सकती हैं।

ऐसा नहीं है कि गुजरे हुए साल में महिलाओं के साथ कुछ भी अप्रिय नहीं हुआ। बहुत कुछ ऐसा हुआ जिसमें छोटी बच्चियों और नाबालिग लड़कियों के साथ बहुत दुर्व्यवहार हुआ। पर, इसमें भी लगभग काफी घटनाओं में माता-पिता ने पीड़ित बच्ची का साथ दिया और उसकी शिकायत थानों में दर्ज करने में तत्परता दिखाई। यह परिवर्तन प्रारंभ हो गया है कि इस दुर्व्यवहार को छिपाया नहीं जाएगा और अपराधी की शिकायत की ही जाएगी। नया वर्ष महिलाओं के प्रति उदार बने-गांव-गांव तक महिलाओं के संगठन बने, उनकी शक्ति सुगठित और सबल हो और इसके साथ ही उन सभी महिलाओं व युवतियों को शुभकानाएं जो दूरस्थ, वंचित क्षेत्रों और पिछडेÞ व वंचित वर्ग की होकर भी कभी समूहों में तो कभी व्यक्तिगत रूप से महिला हितैषी कार्य करने में जुटी हुई हंै।

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