27 Apr 2024, 00:58:11 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

यदि समाज में अप्रिय घटनाएं घटती हैं जो उनके अप्रिय परिणाम ही मिलते हैं और यदि यह दुर्घटनाएं युवतियों के साथ घटती हैं तो उन्हें इनके अनचाहे परिणामों से बचाना और मुक्त करना भी जरूरी है। अभी इस बहस में न पड़ें कि यह अप्रिय घटनाएं क्यों घटित हो रही हैं? हां, इस पर अब अवश्य बहस और चर्चा हो कि महिलाएं इन घटनाओं की भुगतभोगी क्यों बनी रहें? इसका दुष्परिणाम वह भोगने के लिए क्यों मजबूर हों? क्या केवल इसलिए कि उनकी इस स्थिति के बारे में अभी तक सोचा ही नहीं गया या उन्हें इस स्थिति से मुक्ति के लिए कोई कानून ही नहीं बने।

इन्हीं युवतियों के बारे में स्वस्थ्य मंत्रालय ने सोचा और इसके लिए कानून बनाने का प्रस्ताव रखने का निश्चय किया है। अब अविवाहित और सिंगल महिलाएं भी गर्भपात करवा सकती हैं। अब तक विवाहित महिलाओं को यह सुविधा प्राप्त थी कि वह अपने चिकित्सक (डॉक्टर) की सिफारिश पर कानूनी रूप से आॅर्ब्शन करवा सकती थींस पर, अविवाहित युवतियों व अकेली रह रही महिलाओं के लिए यह गैरकानूनी था। पिछले दिनों कुछ ऐसी चिंतनीय घटनाएं हुर्इं जिनके कारण इस पर विचार करना आवश्यक हो गया। तेरह-चौदह वर्षीय किशोरियों के साथ जोर-जबरदस्ती हुई और वह गर्भवती हो गई। उन्हें अपनी इस अप्रिय स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उनके परिवार को जब यह बात पता चली तो वह उसे इससे मुक्त करना चाहते थे पर, कानून द्वारा उन्हें इसकी अनुमति नहीं थी। इसलिए उस किशोरी को इस अनचाहे गर्भ की स्थिति को सहन करना पड़ा। ऐसे एक-दो नहीं बल्कि तीन-चार केस हुए। जब किसी किशोरी व अविवाहित युवती के साथ जोर-जबरदस्ती की जाती है तो वह इस अपमान को तो सहन करती ही हैं, पर यदि उसके साथ उसे गर्भावस्था भी सहन करना पडेÞ तो वह प्रति पल उस यातना को बर्दाश्त करती है, जो उसके लिए पूरी तरह अनचाही होती है। ऐसे शिशु को जन्म देकर गंदे नाले या कूड़े-कर्कट में फेंक देने से तो अच्छा है कि गर्भावस्था टर्मिनेट कर दी जाए। आजकल लिवइन रिलेशनशिप का भी बहुत चलन हो गया है। हम इसका विरोध करें या इस पर बात करें वह सब अभी एक ओर कर दें। यदि इस स्थिति में युवती गर्भवती हो जाती है और लिवइन पार्टनर उसे छोड़ देता है तब भी यह युवती के लिए अनचाहा गर्भ ही होता है। वह विवाहिता के स्टेटस को तो नहीं पा सकती इसलिए उसे समझ में नहीं आता कि वह ऐसी अप्रिय स्थिति से कैसे मुक्त हो। एक संतान को लेकर अकेले रहकर पालना-पोसना उसके लिए नितांत कठिन है। इस स्थिति को नैतिकता या अनैतिकता के तराजू में न तौलकर युवती की उस परिस्थिति में आने वाली कठिनाइयों व समस्याओं के नजरिए से देखना उचित होगा। हमारे प्राचीन आख्यानों में जाबाला की कथा आती है। अनब्याही दासी थी, जिसका उसके स्वामी ने शोषण किया था। फलस्वरूप वह गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम सत्यकाम  था। उस मां ने उसे सदा सत्य बोलने की शिक्षा दी। सत्यकाम का उदाहरण हमारे ग्रंथों में सदैव आदर व विशेष सम्मान से दिया जाता है परंतु सभी महिलाएं जाबाला नहीं होतीं और वह सत्यकाम बनाने की क्षमता व बल तथा साहस नहीं रख सकतीं। यदि स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह कदम उठा लिया तो पीड़ित किशोरियों व युवतियों को अनचाही स्थिति से छुटकारा पाने का अवसर कानूनी तौर पर मिल जाएगा और वह अपने जीवन का नया अध्याय प्रारंभ कर पाएंगी।

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