-वीना नागपाल
प्राय: शहर की लड़कियों के बारे में समाचार आते रहते हैं कि वह किस तरह से सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई हैं। वह कभी गरीब बस्तियों में जाकर काम करती हैं तो कभी वहां के बच्चों को पढ़ाने में रूचि लेती हैं। आजकल स्वच्छता अभियान को लेकर भी बहुत उत्साह है। इसमें भी वह बहुत उत्साह से भागीदारी कर रही हैं और लोगों को इसके प्रति सजग भी कर रही हैं।
गांव की लड़कियां भी अब कम सजगता नहीं दिखा रहीं। उनके बारे में जब समाचार छपते हैं तथा जानने को मिलता है कि वह भी अब अपने परिवेश को बेहतर बनाने में लगी हैं तो यह बात बहुत सुखद लगती है। पिछले दिनों एक समाचार पढ़ा और गांव की उस लड़की की भावनाएं जान कर बहुत अच्छा लगा। उसकी सहेली व मुंह अंधेरे शौच के लिए गई। उसके साथ उस समय अशिष्टता हो गई और उसने आत्महत्या कर ली। इस घटना से वह बहुत आहत हुई और उसने दृढ़ निश्चय कर लिया कि वह तब तक चप्पल नहीं पहनेगी जब तक गांव के हर घर में शौचालय नहीं बन जाएगा। वह गांव की बहू-बेटियों को जागरूक करेगी जिससे कि उसके मान-सम्मान को किसी प्रकार भी ठेस न पहुंचे। इसके लिए उसने अपनी साथी लड़कियों का समूह बनाया और गांव की पंचायत में इस विषय पर अपनी बात कही। उसकी बात सुनी गई व समझी गई। आज उस गांव के घरों में शौचालय बन चुके हैं और उस जिले के कलेक्टर द्वारा उसे सम्मानित किया गया है। इसी तरह भोपाल के पास के एक गांव की 18 वर्षीय युवती पूजा घर-घर में सुविधा गृह बनाने के अभियान में जुटी है। जब उसने शासन द्वारा घर में शौचालय के बारे में जाना तो उसने समझा कि यह कितने महत्व की बात है। आज तक वह अपनी प्राकृतिक मांग की पूर्ति कितनी लज्जा व संकोच में करती रही। परंतु पूजा ने इसे केवल स्वयं के लिए ही सीमित रखा। उसने अन्य युवतियों से बात की और फिर यह समूह घर-घर जाकर दस्तक देने लगा। पहले तो पूजा को देखते ही लोग (जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं) घर के दरवाजे बंद कर लेते थे पर, पूजा की बात में धीरे-धीरे सबसे पहले घरों की महिलाओं को ही समझ आने लगी। आश्चर्य की बात तो यह है कि मध्यम वर्ग की वह बुर्जुग महिलाओं का उन्हें सबसे अधिक समर्थन व सहयोग मिला। घरों में शौचालय तो बनने शुरू हो ही गए यहां तक कि बुजुर्ग महिलाएं पूजा के समूह के साथ मिलकर निगरानी करने लगीं कि खुले में शौच करता हुआ कोई न दिखे। पूजा कहती है कि यह महिलाएं मेरी सबसे बड़ी सहयोगी हैं और इन्हीं के कारण हमने अपने इस अभियान को अब अन्य गांवों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। पूजा की मां ने तो पहले ही दिन से उसका साथ दिया पर, उसके पिता भी कम नहीं हैं। अपनी बेटी के कंधे पर हाथ रखे हुए वह भी घर-घर जाते हैं। गांव की इन लड़कियों ने महिलाओं की सुविधा की बात में क्रांति ला दी है। महिलाओं की स्वतंत्रता और सुविधा में सुविधा घरों का बनाया जाना ऐतिहासिक कदम होगा।
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