-वीना नागपाल
स्पेन के पैरेंट्स ने स्कूलों के सामने धरना देना प्रारंभ किया है। वह बारी-बारी से स्कूलों के सामने बैठ रहे हैं। इनमें महिला व पुरुष दोनों शामिल हैं। पुरुषों ने तो अपने कार्यस्थल से छुट्टी लेकर विरोध प्रदर्शन में भी बैठने का निर्णय लिया है। वैसे तो वह अधिकांश महिलाएं भी शामिल हैं जो कामकाजी हैं। उन्हें यह कार्य ज्यादा जरूरी लगा कि वह अपने बच्चों पर इस तरह स्कूल द्वारा होमवर्क लादे जाने का विरोध करें।
स्पेनिश अलायंस आॅफ पैरेंट्स के सदस्यों ने यह धरना देना प्रारंभ किया हैं। पैरेंट्स का कहना है कि प्रायमरी और हायर सेकंडरी स्कूल के बच्चे सप्ताहंत में दिए जाने वाले होमवर्क के कारण बहुत मानसिक दबाव में रहते हैं। पैरेंट्स चाहते हैं कि सप्ताहंत की इस छुट्टी में बच्चे माता-पिता के साथ कहीं घूमने जाएं, वह बाहर जाकर प्राकृतिक दृश्यों को समझें व उनका भरपूर आनंद उठाएं। यदि बाहर नहीं भी जा रहे तो अपने हम उम्र दोस्तों के साथ खेलें व कूदें परंतु उन्हें तो स्कूल द्वारा दिए जाने वाले होमवर्क को पूरा करने का दबाव सहन करना पड़ता है। कई पैरेंट्स अपने बच्चों को होमवर्क करने में डूबे देखकर स्वयं भी कहीं भ्रमण पर जाने का प्रोग्राम नहीं बना पाते। इस एसोसिएशन में 1200 स्टेट स्कूल हंै जो शासन के अंतर्गत चलाए जाते हैं, पर इनके विरोध में ही पैरेंट्स ने धरना देना शुरू किया है। पैरेंट्स का कहना है कि इस तरह अध्ययन में लगातार रहने पर उनके बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में बाधा पहुंच रही है। पैरेंट्स चाहते हैं कि बच्चों को इतना समय अवश्य मिले कि वह अन्य गतिविधियों में पूरी तरह भाग ले सकें।
यह स्थिति भारतीय स्कूली व्यवस्था से कितना मिलती है। बच्चों के पैरेंट्स अपने बजट से बाहर जाकर बच्चों को महंगे स्कूलों में भेजते हैं। उनका भी विश्वास होता है कि बच्चे स्कूल में जाकर ही अपने अध्ययन का सारा शेड्यूल पूरा कर लेंगे, पर ऐसा होता नहीं है और बच्चों को स्कूल से आकर या छुट्टियां होने पर भी स्कूल से दिया गया होमवर्क पूरा करना पड़ता है। वह अपने माता-पिता से कुछ सीखने या उनके संपर्क में आकर एक गर्माहट का अनुभव करने का समय ही नहीं निकाल पाते हैं। आजकल होमवर्क करने का तरीका भी बदल गया है। वह अपने होमवर्क की जानकारी अपने कम्प्यूटर से निरंतर प्राप्त करते हैं और इस तरह उनका होमवर्क पूरा होता है।
यह स्थिति बच्चों के लिए न तो सुखद है और न ही आनंददायक। शिक्षा के बड़े जानकार इस होमवर्क और बढ़े हुए बस्ते के बोझ के बारे में समय-समय पर काफी कुछ कहते हैं परंतु न तो स्कूल द्वारा होमवर्क देना बंद होता है और न ही बस्ते का बोझ कम किया जाता है। यहां तो पैरेंट्स भी लकीर पीटने वाले हैं। उन्हें होमवर्क देने वाला स्कूल बहुत अच्छा लगता है और वह स्पेनिश पैरेंट्स की तरह इसका विरोध करने वाले सत्याग्रह करने का सोच भी नहीं सकते, परन्तु इस स्थिति को सहन करना बच्चों के लिए अमानवीय है। वह खेले-कूदें, अपने पैरेंट्स के साथ भ्रमण पर जाएं व उनसे कुछ सीखें तथा उनके नजदीक होने व स्पर्श प्राप्त करने का समय पाएं, यही उनके लिए आदशर््ा स्थिति होगी।