27 Apr 2024, 06:09:57 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

सऊदी अरब के एक दूल्हे की शादी को हुए अभी दो ही घंटे बीते थे कि उसने अपनी शादी तोड़ दी। इतने कम समय में शादी तोड़ देने का रिकॉर्ड बना है या नहीं यह तो नहीं मालूम पर, बात अपने में अनूठी और हैरान करने वाली तो है ही।

दूल्हे की अपनी ही वजह थी-शादी तोड़ने की। उसे शादी से पहले पता चल चुका था कि उसकी होने वाली दुल्हन को सोशल नेटवर्किंग में व्यस्त रहने की बहुत आदत है, वह इससे चिपकी ही रहती है। उसने दुल्हन को पहले ही चेता दिया था कि उससे शादी से संबंधित कोई भी खबर तथा चित्र वह अपने सोशल मीडिया को इस्तेमाल कर उन पर न डाले। परंतु सोशल नेटवर्किंग में उलझी रहने वाली उस दुल्हन को चैन कहां था? जैसे ही उसका निकाह हुआ उसने उससे संबंधित सारे चित्र स्नैपचैट पर डाल दिए। दूल्हे को बहुत बुरा लगा कि जब यह समझौता हो चुका था कि दुल्हन ऐसा कुछ नहीं करेगी तब दुल्हन ने इस करार को क्यों तोड़ा? सऊदी अरब के समाचार पत्र खालिज टाईम्स ने इस खबर को सबसे पहले प्रकाशित किया। इस खबर पर जाहिर है कि कई प्रतिक्रियाएं आर्इं। कइयों ने कहा कि दुल्हन ने पहले खुद समझौता कर कहा था कि वह सोशल मीडिया पर अपनी शादी की फोटो नहीं डालेगी पर, उसने यह करार तोड़ दिया। यहां तक कि दुल्हन के भाई ने भी दुल्हन द्वारा करार तोड़ने का विरोध किया। उसका कहना था कि जब शादी के पहले यह बात तय हो चुकी थी और मेरी बहन ने भावी दूल्हे की यह बात मान ली थी कि वह सोशल मीडिया के स्नैपचैट, इंस्टाग्राम तथा ट्वीटर का इस्तेमाल शादी की तस्वीरें पोस्ट करने या भेजने के लिए नहीं करेगी तो उसने ऐसा नहीं करना चाहिए था। विवाह के करार में यह बात तय व शामिल हो चुकी थी, मेरी बहन ने समझौता तोड़ा है।

दूल्हे द्वारा उठाया गया कदम सही था या गलत इस पर अभी विवाद की गुंजाइश नहीं बन रही। बात तो इसको लेकर है कि सोशल मीडिया क्या दिलों-दिमाग पर एक नशे की तरह इतना छा गया है कि उसके प्रयोग करने से स्वयं को रोक ही नहीं पाते हैं। यदि यह बात यहां तक पहुंच गई है तो इसका इलाज करना सबसे जरूरी हो गया है। यदि दुल्हन को यह खौफ ही नहीं रहे कि उसके द्वारा किए गए करार को भंग करने से उसकी शादी टूट सकती है तब बात बहुत गंभीर हो जाती है। सोशल मीडिया का इतना इस्तेमाल होने लग जाए कि दिन-रात उसमें ही डूबे रहा जाए-यहाँ तक कि खाने-पीने और सोने मतलब कि पूरी नींद ही न लें तब तो मान लेना चाहिए कि यह एक बीमारी का रुप नें चुका है और अब इसके उपचार के लिए मनोचिकित्सक के पास जाने की नौबत आ चुकी है।

भारतीय समाज के युवा भी बहुत तेजी से इसी रास्ते पर चल रहे हैं। उनके वास्तविक मानवीय संबं टूटते जा रहे हैं। घर में रहते हुए वह शायद ही कभी अपने माता-पिता के पास बैठते होंगे या अपने भाई-बहन से शरारतें करते हुए लड़ते-झगड़ते होंगे या परस्पर रूठते व मनाते होंगे। यह समय बहुत कठिन समय है जब मानव के संबंधों के बीच एक मशीन आ गई है। सारे विश्व में इस मशीन के फीचर्स, एपलीकेशन से लोग त्रस्त हैं। विवाह टूट रहे हैं, दोस्तियाँ खत्म हो रही हैं, माता-पिता भाई-बहन दूर हो रहे हैं। इन सबके बावजूद हमें मानव पर यकीन है कि इस तरह की अति हो जाने के बावजूद वह मशीन को एक ओर कर अपनी भावनाबों की ज्वाला जला लेगा।

[email protected]

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »