-राजीव रंजन तिवारी
वरिष्ठ पत्रकार
चीन में दो दिन तक चली जी-20 बैठक में क्या हुआ, क्या नहीं हुआ, क्या सकारात्मक परिणाम सामने आए, कहां नकारात्मकता दिखी, क्या बेहतर हुआ अथवा और क्या होना चाहिए था, जैसे मुद्दे इस बार बिल्कुल गौण हो गए। दुनियाभर के मीडिया ने चीन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ हुई कथित बदतमीजी को ही हाईलाइट किया। बिल्कुल साफ व कड़े शब्दों में कहें तो इस बार की जी-20 समिट कुछ खास नहीं कर पाई। सबसे पहले जब जी-20 मीटिंग में हिस्सा लेने दुनिया के सबसे ताकतवर व्यक्ति बराक ओबामा चीन पहुंचे तो प्रोटोकॉल के हिसाब से उनका स्वागत नहीं हुआ। इसे लेकर दुनिया के कई देश चीन की खिंचाई भी कर रहे हैं। बताया गया कि जब अमेरिकी वायुसेना का विमान ओबामा को लेकर हांगझाउ में उतरने वाला था, उससे पहले ही अमेरिकी और चीनी अधिकारी एक तात्कालिक मुद्दे पर लंबी और गर्मागर्म बहस में उलझे हुए थे।
जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने चीन पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति के आगमन पर चीन ने जिस तरह आचरण किया, उसे देखकर कहा जाने लगा कि चीन ने बराक ओबामा का अनादर किया। ओबामा के अनादर की चर्चा कानाफूसी हो ही रही थी कि फिलीपींस के राष्ट्रपति रॉड्रिगो ने ओबामा को गाली दे दी। हालांकि बाद में उन्होंने माफी मांग ली। कहा जा रहा है कि रॉड्रिगो ने पहली बार अपने कृत्य पर अफसोस जाहिर किया है यानी माफी मांगी है। जबकि उनकी आदतें दुनिया भर के कई महत्वपूर्ण नेताओं को समय-समय पर गालियां देते रहने की रही है। रॉड्रिगो की ऐसे अपशब्द सुनकर ओबामा ने उनके साथ लाओस में होने वाली 7 सितंबर की बैठक स्थगित कर दी।
बता दें कि रॉड्रिगो ने कहा था कि ओबामा खुद को समझते क्या हैं। मैं एक संप्रभु देश का राष्ट्रपति हूं। मैं अमेरिका की कठपुतली नहीं हूं। मेरी मालिक सिर्फ फिलीपींस की जनता है और कोई नहीं। ओबामा को गाली देते हुए उन्होंने कहा था कि ओबामा जब उनसे लाओस में मिलें तो मानवाधिकार के मुद्दे पर लेक्चर न दें। बता दें कि फिलीपींस में सरकार और ड्रग तस्करों के बीच संघर्ष जारी है। रॉड्रिगो मादक पदार्थों के तस्करों के खिलाफ अपने अभियान को लेकर विवादों में हैं। चुनाव के दरम्यान उन्होंने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वे छह महीने में एक लाख ड्रग अपराधियों को खत्म करेंगे। अमेरिकी राजनयिकों ने फिलीपींस में ड्रग तस्करों के खिलाफ चल रहे अभियानों को लेकर मानवाधिकारों से जुड़ी चिंताएं जाहिर की थी। बकौल रॉड्रिगो, उन्होंने ओबामा को गाली इसलिए दी थी कि व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने कहा था कि लाओस में रॉड्रिगो के साथ बैठक में ओबामा फिलीपीन में मादक पदार्थ के तस्करों के साथ निपटने में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर उनके साथ आमने-सामने की बात करेंगे।
चीन में बराक ओबामा ने पत्रकारों से कहा कि मैं चाहता हूं कि जो भी मुलाकात हो, वह किसी नतीजे पर पहुंचे। उधर, अमेरिकी सेना ने एक रोलिंग एयर स्टेयर लगाया था, जैसा कि ओबामा की सभी विदेश यात्राओं में होता है। व्हाइट हाउस ने चीन से इस उपकरण के प्रयोग की मंजूरी ले ली थी, लेकिन ओबामा के चीन पहुंचने से पहले एक वरिष्ठ प्रशासनिक पदाधिकारी ने अचानक अपना फैसला पलट दिया। उस अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी चीनी सीढ़ियों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार थे, लेकिन चीनी अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि सीढ़ियों को एक स्थानीय ड्राइवर लेकर जाएगा, जो व्हाइट हाउस की टीम के साथ बातचीत भी नहीं कर सकता था। इसलिए व्हाइट हाउस ने मांग की थी उसकी जगह पर एक अंग्रेजी भाषी ड्राइवर को तैनात किया जाए, जिसे चीनी अधिकारियों ने ठुकरा दिया।
गौरतलब है कि रॉड्रिगो ने ड्रग्स तस्करी करने वाले 2400 आरोपियों को सजा-ए-मौत दी है। उनके इस फैसले का पूरी दुनिया विरोध कर रही है। वे इसी साल 30 जून को फिलीपींस के राष्ट्रपति बने हैं और अपने पॉवर का भरपूर प्रयोग कर रहे हैं। जानकार बताते हैं कि रॉड्रिगो की यह पहली गाली नहीं है। इसके पहले भी वह दुनिया के कई बड़े नेताओं को गालीयां दे चुके हैं। रॉड्रिगो पोप फ्रांसिस और यूएन महासचिव बान की-मून को भी गाली दे चुके हैं। रॉड्रिगो ने ओबामा के खिलाफ यह टिप्पणी लाओस के लिए उड़ान भरने से पहले की थी। दरअसल, लाओस में आसियान देशों की बैठक हो रही है, जहां अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और फिलीपींस के राष्ट्रपति रॉड्रिगो भी रहेंगे, लेकिन रॉड्रिगो की अभद्रता के बाद ओबामा ने लाओस में रॉड्रिगो के साथ होने वाली मीटिंग को टाल दी। आमतौर पर रॉड्रिगो किसी के साथ अभद्रता करने के बाद माफी नहीं मांगते हैं, लेकिन ओबामा वाले प्रकरण पर उन्होंने अफसोस जताया है। कहा जा रहा है कि हो सकता है कि आदतन वह इस बार बोल तो गए लेकिन बाद में उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने एक ताकतवर आदमी को गाली दी है और इसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ सकती है।
फिलीपींस आतंकवाद से जूझ रहा है और उस लड़ाई में उसे अमेरिका के सहयोग चाहिए। साथ ही, चीन के बढ़ते दबाव से निपटने के लिए भी उसे अमेरिका का साथ चाहिए। रॉड्रिगो ने कहा कि मैं अमेरिका से झगड़ा नहीं करना चाहता। लेकिन तुरंत बाद उनका लहजा बदल गया और कहा कि मानवाधिकारों को लेकर आलोचना करने में वॉशिंगटन बहुत उतावला रहता है। कहा कि जिनके घर शीशे के होते हैं वे दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते।
दिलचस्प यह है कि जब रॉड्रिगो से पूछा गया कि उनके देश में ड्रग तस्करों की हत्याओं पर ओबामा को वह क्या जवाब देंगे। इस पर फिलीपीनी राष्ट्रपति चिढ़ गए और उन्होंने कहा कि मैं एक संप्रभु देश का राष्ट्रपति हूं और हम बहुत पहले आजाद हो चुके हैं। फिलीपीनी लोगों के अलावा मेरा कोई मालिक नहीं है। ओबामा के बारे में उन्होंने कहा कि वह मुझसे सवाल करने वाले होते कौन हैं। उधर, ओबामा की विदेश नीति में प्रशांत माहासागर क्षेत्र में वियतनाम की अहम भूमिका है। वियतनाम युद्ध के बाद से ओबामा इस देश की यात्रा करने वाले अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति हैं। दोनों देशों के बीच हुए युद्ध को पीछे छोड़ने के संकेत देते हुए ओबामा ने अपनी पहली वियतनाम यात्रा पर 1984 से लगे प्रतिबंध को पूरी तरह हटा दिया था। इसे हटाया जाना वियतनाम में मानवाधिकारों के क्षेत्र में हुए सुधारों को मान्यता देने के तौर पर देखा गया।
रॉड्रिगो को हिंसा के विरुद्ध उनके कड़े रवैए के चलते उन्हें 'द पनिशर' भी कहा जाता है। वह सजा-ए-मौत की वापसी चाहते हैं। उन्होंने ड्रग तस्करों को मारने पर सुरक्षा बलों और आम लोगों के लिए इनाम की घोषणा की है। रॉड्रिगो की आदतें इतनी खराब है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा था वो रॉड्रिगो के बयानों से परेशान हैं। रॉड्रिगो पर सेक्सिस्ट बयान देने के आरोप भी हैं, जबकि चीन ने ओबामा का अनादर किया। इस प्रकार यदि देखा जाए तो इस बार की जी-20 बैठक ओबामा के इर्द-गिर्द ही मंडराती दिखी। यूं कहें इस बैठक में कुछ खास निर्णय नहीं हो सका, जो उल्लेखनीय हो।