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बुर्किनी क्या है तो बिकिनी क्या है

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 30 2016 10:50AM | Updated Date: Aug 30 2016 10:50AM
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-वीना नागपाल

महिलाओं के कपड़ों को लेकर विवादों के प्रश्न खत्म ही नहीं होते। पूर्व में अलग प्रकार के विवाद हैं तो पश्चिम में अलग प्रकार की बातें उठ खड़ी हैं। पता नहीं क्यों सारे प्रश्न महिलाएं क्या पहनें और कैसा पहनें इसके इर्द-गिर्द ही आकर इकट्ठा हो जाते हैं। बात फ्रांस की है वहां अब एक विवाद इन दिनों बहुत छिड़ा हुआ है। यह बुर्कनी को लेकर हैं। दरअसल वहां मुस्लिम महिलाएं भी समुद्र तट पर जाकर समुद्र की लहरों में डूबकर उसका आनंद उठाना चाहती हैं।

उन्होंने अपने लिए एक नई ड्रेस तैयार की जिसमें वह सिर से लेकर पूरे शरीर तक ढंकी हुई होती हैं और केवल उनका चेहरा व पैर ही खुले होते हैं। हां और हाथ भी। हाथ व पैरे तैरने के लिए खुले होने आवश्यक होते हैं, परंतु फ्रांस के लगभग 15 शहरों में बुर्किनी पहनने पर पाबंदी लगा दी गई है। पश्चिम में समुद्र तट पर स्नान का आनंद उठाने वाली महिलाएं स्विम शूट या बिकिनी पहनती हैं, परंतु मुस्लिम महिलाएं ऐसा नहीं कर सकतीं इसलिए उन्होंने अपने लिए बुर्किनी ईजाद की है। पिछले सप्ताह कैन्स समुद्र तट एक महिला बुर्किनी में अपने दो बच्चों के साथ समुद्र की लहरों का आनंद उठा रही थी कि उसे चार पुलिसवालों ने घेर लिया और उसे कहा वह समुद्र तट पर नहाने की उचित वेशभूषा में नहीं हैं और दूसरे सुरक्षा कारणों के कारण उसे इस तरह की वेशभूषा (बुर्किनी पहनकर) आने की अनुमति नहीं दी जा सकती। हुआ यह है कि फ्रांस का शासन अपने यहां होने वाले आतंकी हमलों से बहुत आतंकित है इसलिए वह इस तरह व्यवहार कर रहा है। इस बात को लेकर विवाद शुरू हो गया है। चूंकि वह महिलाओं की वेशभूषा से संबंधित है, इसलिए अधिक चर्चा हो रही है। कइयों का कहना है कि बुर्किनी पहनने की बात किसी भी महिला का व्यक्तिगत चुनाव हो सकता है और यह भी तो हो सकता है कि वह वेशभूषा के भिन्न स्टाइल को अपनाना चाहती है। यदि व्यापक स्तर सेक्यूलिरिज्म की बात करें तो शासन द्वारा बुर्किनी का विरोध करना धार्मिक सौहार्द तथा धर्म निरपेक्षता की मूल भावना के सर्वधा विरुद्ध है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक को अपना धर्म पालन करने और उसके अनुसार जीवन जीने व यापन करने की स्वतंत्रता दी जाती है। जब से सोशल मीडिया पर यह बात उठी तो कई पश्चिम की अभिनेत्रियों और लेखिकाओं ने फ्रांस शासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कई महिलाओं ने अपना मत प्रकट करते हुए कहा है कि किन्हीं भी कारणों का बहाना लेकर महिलाओं की वेशभूषा पर सवाल क्यों उठाए जाते हैं?

वह कम कपड़े पहनें तो मुसीबत और पूरा शरीर ढंक लें तो मुसीबत... आखिर उनके कपड़ों को लेकर मुसीबतें कब खत्म होंगी? क्या विश्व की शांति और हार्मोनी की बात केवल बिकिनी और बुर्किनी को ही अथवा उस पर ही आधारित है या उसका कुछ और हल है। सवाल बुर्किनी या बिकिनी को लेकर बंदिश लगाने का नहीं है। सवाल इस बात का है महिलाओं का यह व्यक्तिगत चुनाव होना चाहिए कि वह किस प्रकार की वेशभूषा पहनें जिसमें उन्हें सुविधा लगती हो या जिसे वह आरामदायक समझती हों यदि महिलाओं को अपना पूरा शरीर ढंकना सुविधाजनक लगता है और इस पहनावे में भी वह आनंद उठा रही हों तब उन्हें पकड़कर उनकी वेशभूषा के बारे में प्रश्न क्यों किए जाने चाहिए? बुर्किनी पर बैन लगाने से आतंकवाद खत्म नहीं हो जाएगा, जब तक अमेरिका और फ्रांस हथियारों की मंडी बने रहेंगे तब तक आतंकवाद जिंदा रहेगा। उनकी बोतल से निकला जिन उन्हीं को नष्ट कर रहा है। बिकिनी और बुर्किनी का इससे कुछ लेना-देना नहीं है।

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