-कैलाश विजयवर्गीय
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव
संसद का मानसून सत्र इस बार ऐतिहासिक रहा। लोकसभा और राज्यसभा में तय कामकाज भी निपटाया गया और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर लंबी चर्चा भी हुई। सरकार के साथ विपक्ष ने कई मुद्दों पर एकजुटता दिखाई। खासतौर पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित ऐतिहासिक संविधान संशोधन (122) विधेयक तथा कुछ अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने में सरकार को विपक्ष का सहयोग मिला। जीएसटी पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार की तरफ से पहल भी की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में संशोधन विधेयक में बदलाव भी किए गए। राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त विनिर्माण कर लगाने संबंधी प्रावधान हटाया जीएसटी अमल में आने के पहले पांच साल के दौरान राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई करने की गारंटी भी मंत्रिमंडल की तरफ से दी गई। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक में यह प्रावधान भी डाला गया कि जीएसटी लागू होने पर केंद्र और राज्यों के बीच विवाद की सूरत में जीएसटी परिषद में मामला जाएगा और वही फैसला करेगी।
इस परिषद में केंद्र और राज्य दोनों के प्रतिनिधि होंगे। कांग्रेस की विधेयक में एक प्रतिशत अंतरराज्यीय कर समाप्त करने की मांग को भी सरकार ने मान लिया। कई विपक्षी दलों ने जीएसटी बिल पारित होने पर खुशी भी जाहिर की। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जीएसटी संवैधानिक संशोधन विधेयक पारित होने को देश के लिए अच्छा कदम बताया। लोकसभा में जीएसटी बिल पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए सभी दलों प्रशंसा की। उन्होंने कहा भी कि जीएसटी से टैक्स टेररिज्म से मुक्ति मिलेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि यह बिल सभी राजनीतिक दलों की जय है। इससे पारदर्शिता आएगी और अर्थव्यवस्था को गति भी मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्लेख करके कि इस बिल पर इतने बड़े मंथन से कई कमियां दूर की गई हैं। यह किसी दल या सरकार का विजन नहीं है, बल्कि 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' ये हम सबका सपना है, से साफ हो गया कि सरकार सभी को साथ लेकर चलना चाहती है। उनके इस कथन ने कि राज्यसभा, लोकसभा, 29 राज्य और जिनके नुमाइंदे जीत कर आए हैं, ऐसे 90 राजनीतिक दल, उन सबने एक व्यापक मंथन करके, विचार मंथन करके आज हमें यहां पहुंचाया है। प्रधानमंत्री ने कहा, 'इसलिए यह बात सही है कि जन्म कोई दे, लालन-पालन कोई करे पर आम जनता के साथ कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने जमकर तारीफ की। सरकार की तरफ से यह संदेश भी दिया कि विधेयक पारित कराने के लिए विपक्ष के साथ चर्चाओं का दौर आगे चलता रहेगा। खासतौर पर जीएसटी संशोधन विधेयक से जुड़े अन्य विधेयकों को शीतकालीन सत्र में पारित करने के लिए विपक्ष के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ऐसे मुद्दों पर सहयोग करने का आश्वासन दिया है।
संसद मानसून सत्र 18 जुलाई को शुरू हुआ और 12 अगस्त को समाप्त हुआ। इस दौरान कई बड़ी घटनाएं भी हुर्इं। इस सत्र के दौरान राज्यसभा और लोकसभा की 20 बैठकें हुर्इं। लोकसभा में कुल 121 घंटे कामकाज हुआ तो राज्यसभा में 112 घंटे सदन चला। लोकसभा में हंगामे के कारण छह घंटे 33 मिनट का समय बर्बाद तो हुआ पर सदस्यों ने 18 घंटे 5 मिनट अतिरिक्त समय बैठ कर कामकाज भी निपटाया।
राज्यसभा में हंगामे के कारण 20 घंटे से अधिक का समय बर्बाद होने पर सदस्यों ने 20 घंटे अतिरिक्त समय बैठकर कामकाज निपटाया। लोकसभा में मानसून सत्र में 13 विधेयक पारित किए तथा 14 सरकारी विधेयक सदन में पेश किए गए। राज्यसभा ने 14 विधेयकों को मंजूरी दी। ऐतिहासिक 122वें संविधान संशोधन विधेयक के अतिरिक्त क्षतिपूर्ति वनीकरण कोष विधेयक, प्रसूति सुविधा संशोधन विधेयक, प्रतिभूति एवं ऋण वसूली विधेयक बेनामी संपत्ति से संबंधित विधेयक, कारखाना संशोधन विधेयक शामिल हैं। कुल मिलाकर लोकसभा में 101 फीसदी और राज्यसभा में 96 फीसदी कामकाज हुआ। पिछले कुछ सत्रों में राज्यसभा के मुकाबले लोकसभा में ज्यादा कामकाज हो रहा है। पिछले शीतकालीन सत्र में लोकसभा और राज्यसभा में कामकाज तो ज्यादा हुआ पर कई मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार का विधेयक पारित करने में सहयोग नहीं दिया।
संसद में विपक्ष ने हंगामा तो मचाया पर कई मुद्दों पर सरकार की तारीफ भी की। खासतौर पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सार्क सम्मेलन में इस्लामाबाद जाने पर पाकिस्तान सरकार के रवैए पर सभी दलों ने गहरी चिंता जताई। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इसके लिए पाकिस्तान को फटकार भी लगाई। पाकिस्तान में गृह मंत्री को प्रोटोकॉल नहीं दिए जाने की भी आजाद ने घोर निंदा की। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन, बसपा अध्यक्ष मायावती, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव, जदयू नेता शरद यादव और राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता माजिद मेमन राजनाथ सिंह के रवैए की प्रशंसा की। विपक्ष ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ पूरा देश एक है। राजनाथ सिंह ने भी पाकिस्तान यात्रा का पूरा ब्योरा संसद के सामने रखा। सरकार की तरफ से सार्क सम्मेलन में पाकिस्तान को बेनकाब करने के भारत के रवैए पूरे देश में भी प्रशंसा की गई। राज्यसभा में राजनाथ सिंह की पाकिस्तान यात्रा पर चर्चा के दौरान सभी दलों ने एकजुटता दिखाकर भी विदेशी ताकतों को चेताया है।
राज्यसभा और लोकसभा में कश्मीर में हिंसा और उसके कारण बनी स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। साथ ही वहां के जम्मू-कश्मीर के लोगों से शांति और सौहार्द बहाल करने की अपील करते हुए संकल्प भी पारित किया। लोकसभा ने चालू वित्त वर्ष की पूरक अनुदान मांगों और उससे संबंधित विनियोग विधेयक को भी मंजूरी दे दी। राज्यसभा में कुछ दिन सूचीबद्ध रहने के बावजूद अन्य कामकाज निपटाए जाने के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी। विनियोग विधेयक के धन विधेयक होने के नाते राज्यसभा से इसकी मंजूरी जरूरी नहीं है। राज्यसभा पारित न होने पर भी विधेयक पारित माना जाता है। राज्यसभा के सभापति मोहम्मद हामिद अंसारी ने मानसून सत्र को सफल माना है। उन्होंने यह भी कहा भी कि कामजकाज निपटाने के साथ ही दौरान राष्ट्रीय महत्व से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई और कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर रचनात्मक चर्चा हुई। मानसून सत्र की सफलता से लोकतंत्र को तो मजबूती मिली ही है और देश अब नए आर्थिक बदलाव की तरफ आगे बढ़ेगा।