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झोपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचने वाले डॉ. कलाम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 27 2016 9:58AM | Updated Date: Jul 27 2016 10:11AM
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-मृत्युंजय दीक्षित
स्वतंत्र पत्रकार


हम सभी युवाओं व आम जनमानस के दिलों में राज करने वाले देश के महान कर्मयोगी भारतरत्न मिसाइलमैन के नाम से लोकप्रिय पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम  का जन्म तमिलनाडु के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। डॉ. कलाम एक ऐसे राष्ट्रपति बने जिनके जीवन का  सफर झोपड़ी से प्रारंभ हुआ और भारत को सुरक्षा के विभिन्न पहलुओ में आत्मनिर्भर बनाते हुए विकास के नए मिशन को देश की जनता के सामने प्रस्तुत किया। आज उन्हीं की मेहनत का परिणाम है कि भारत एक परमाणुशक्ति संपन्न राष्ट्र बन चुका है।

उनके दिशानिर्देशों के अनुरूप बनाई गई मिसाइलों से भारत के पड़ोसी शत्रु कांप रहे हैं। डॉ. कलाम के सम्मान में केंद्र सरकार नई दिल्ली में एक भव्य स्मारक भी बनाने जा रही है जिसकी घोषणा केंद्रीय रक्षामंत्री  मनोहर पार्रिकर ने संसद के मानसून सत्र में कर दी है। अब चाहे चीन हो या पाक कोई भी भारत के साथ आमने सामने के युद्ध से कतरा रहा है। भारतरत्न कलाम का जीवन सदा युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। कलाम एक ऐसे महान  व्यक्तित्व के धनी थे जो वास्तव में पूरी तरह से वास्तविक रूप से धर्मनिरपेक्ष था। वे हर धर्म का आदर करने वाले थे। कलाम ने अपने जीवनकाल में कोई भी ऐसी बात नहीं की या ऐसा आचरण नहीं किया जिससे यह लगे कि किसी धर्मविशेष के प्रति उनका लगाव या झुकाव था।

डॉ़  कलाम का पूरा जीवन ही प्रेरणास्पद है। डॉ. कलाम का जीवन एक ऐसा जीवन है जिनके जीवनकाल में ही किताबें भी लिखी गईं और फिल्म भी बन गई। डॉ.  कलाम देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए जो कि सोशल मीडिया में  लगातार सक्रिय रहते थे और युवाओं तथा नए वैज्ञानिकों एवं बालकों के लिए प्रेरक बातें लिखा करते थे।

15 अक्टूबर 1931 के तमिलनाडु के रामेश्वरम मे जन्मे डॉ. कलाम का पूरा नाम अबुल जाकिर जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम था। अब्दुल कलाम के जीवन पर उनके माता- पिता की अमिट छाप पड़ी थी। अब्दुल के जीवन पर  विभिन्न धर्मों के लोगों का व्यापक प्रभाव पड़ा था। उनके स्कूली जीवन को सही दिशा देने में उनके गुरु  की महती भूमिका थी। कलाम को अंग्रेजी साहित्य पढ़ने का चस्का लगा। फिर उनकी इच्छा भौतिकशास़्त्र में हुई। उन्होंने अध्ययन के प्रारंभिक दिनों में ही विज्ञान और ब्रह्मांड , ग्रह- नक्षत्रों और ज्योतिष का काफी गहराई से अध्ययन कर लिया था।   

डॉ. कलाम ने कहा था कि सरलता, पवित्रता और सच्चाई के बिना कोई महानता नहीं होती। उनमें यह सभी गुण विद्यमान भी थे। डॉ. कलाम  में कवि, शिक्षक, लेखक, वैज्ञाानिक सहित आध्यात्मिक गुण भी विद्यमान थे। एक प्रकार से वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। यह उनकी महान प्रतिभा का ही कमाल है कि आज भारत के पास अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल जैसी मिसाइलों का भंडार है। उनकी प्रेरणा से ही भारत अब अपनी मिसाइल तकनीक को और विकसित करने में लग गया है। 1998 में उन्हीं की देखरेख में भारत ने पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया था।

इसके बाद भारत परमाणु शक्तिसंपन्न देशों की सूची में शामिल हुआ था। डॉ. कलाम ने 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई। वे रक्षा विज्ञान सलाहकर और सुरक्षा शोेध और विकास विभाग के सलाहकार भी रहे।  1982 में उन्हें डीआरडीओ का निदेशक नियुक्त किया गया। यहीं पर उनकी वैज्ञानिक प्रतिभा ने नए कीर्तिमान को छुआ। उन्होंने  अग्नि एवं त्रिशूल जैसी मिसाइलोें को स्वदेशी तकनीक से बनाया। 

कलाम हमेशा युवाआें से मिलने और उनसे संवाद स्थापित करने का प्रयास करते थे। कलाम का मानना था कि युवा पीढ़ी ही देश की पूंजी है।जब बच्चे बड़े हो रहे होते हैं तो उनके आदर्श उस काल के सफल व्यक्तित्व ही हो सकते हैं। माता- पिता और प्राथमिक कक्षाओं के अध्यापक आदर्श के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बच्चे के बड़े होने पर राजनीति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग जगत से जुड़े योग्य तथा विशिष्ट नेता उनके आदर्श बन सकते हैं। कलाम ने ही सर्वप्रथम भारत के लिए अपनी पुस्तक के माध्यम से विजन 2020 प्रस्तुत किया। यह पुस्तक भारत में काफी चर्चित हुई।

यह सही है कि हर व्यक्ति का हर सपना पूरा नहीं हो सकता लेकिन अब देश की भावी पीढ़ी को कलाम साहब के हर सपने को पूरा करने की महती भूमिका अदा करनी हैं, ताकि  पूरे देश को 24 घंटे बिजली मिलने लगे और गांवों से गरीबी और अशिक्षा का कुहासा दूर हो सके।

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