26 Apr 2024, 22:27:15 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

महिलाओं के हौसलों और जज्बों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है। जबसे उन्हें अवसर मिलने लगे हैं तबसे उन्होंने नए-नए क्षेत्रों में कदम रखकर अपनी योग्यता और साहस का बहुत प्रदर्शन किया है। यह योग्यता इतनी प्रमाणिक होती है कि कोई उस पर संदेह ही नहीं कर सकता और न ही उन्हें नकारा जा सकता है।

एक समय ऐसा था जब महिलाएं घर की चहारदीवारी से जब भी बाहर निकलती थीं तो उनके साथ कोई न कोई रक्षक अवश्य होता था। घर के किसी पुरुष फिर चाहे वह पिता, भाई व पुत्र अथवा संयुक्त परिवार हो तो किसी न किसी पुरुष की छत्रछाया में ही वह कहीं आ-जा सकती थी। उनकी सुरक्षा को लेकर इतनी चिंता की जाती थी कि लगता ही नहीं था कि वह कभी अकेले भी कुछ कर पाने में समर्थ हो सकती है। यह असमर्थता का टैग लगाने की साजिश को पुरुषों ने इतनी दूर तक पहुंचाया कि कोमलांगी, निरीह और निर्बल व छुई-मुई होने के प्यारे - प्यारे तमगे भी उन पर टांग दिए। उन्हें नाजुक होने की ऐसी श्रेणी में डाल दिया जो पुरुष की छाया और सहारे के बगैर एक कदम भी बाहर नहीं रख सकती थीं। यह स्वामित्व स्थापति करने का पुरुष द्वारा रचा गया एक माध्यम बना गया था।

जरा सोचिए जिन महिलाओं को यह कहकर लेबल लगा दिया गया था कि वह अपनी रक्षा स्वयं नहीं कर सकतीं और उनके साथ निरंतर पुरुष प्रहरी की आवश्यकता है वही अब बाउंसर बनकर दूसरों की रक्षा कर रही है! जी हां, हम बात कर रहे हैं महिला बाउंसरों की। आजकल स्थापित व्यक्तियों जैसे नेता, अभिनेता तथाकथित नव घनाढ्य व्यवसायी अपने साथ बाउंसर रखते हैं। पहले यह केवल पुरुष होते थे पर, अब महिला बाउंसरों का भी चलन बढ़ा है। अभिनेत्रियां, राजनीतिक नेत्रियां तथा अन्य स्थापित महिलाएं अब अपने साथ बाउंसर तो रखती हैं पर, अब यह महिला बाउंसर रखने लगी हैं, जो इन्हें अधिक भरोसेमंद लगती हैं। यह महिला बाउंसर अच्छी कद-काठी वाली होती हैं और अपने काम में पूरी तरह चुस्त-दुरुस्त होती हैं। पिछले दिनों एक महानगर के मॉल में कुछ मनचलों ने एक युवती को फिकरे परेशान किया। उस युवती ने विरोध किया। यह बात मॉल में तैनात महिला बाउंसरों तक पहुंची और उन्होंने उन युवकों की इतनी पिटाई की कि उन अशिष्टों को माफी मांगना पड़ी। शायद महिला बाउंसरों से एक बार पिटकर अब वह युवक दोबारा किसी युवती के साथ अशिष्टता करने का सोचेंगे भी नहीं।

महिलाओं को जब से ताकत मिलना प्रारंभ हुई है तबसे उनके साहस का जज्बा  चरम पर है। पुलिस, सेना और इसी प्रकार के अन्य क्षेत्रों में महिलाओं ने अपनी निर्भीकता दिखाई है। पुलिस और सेना में चुनी-जाने वाली युवतियां अपनी निडरता के लिए जानी जाती हैं और अपनी एक अलग पहचान बना चुकी हैं। जब देश की सुरक्षा और सामाजिक व्यवस्था को संभालने के उत्तरदायित्व में वह खरी उतरी हैं तब वह महिला सुरक्षाकर्मी और बाउंसर क्यों नहीं बन सकतीं? वह न केवल अपनी शक्ति का प्रतीक बनकर मैदान में उतरी हैं बल्कि उन्होंने दूसरों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी भी उठा ली है। सुना तो यहां तक गया है कि मुंबई के डांस बार व नाइट क्लब्स में महिला बाउंसर नियुक्त हैं जो बार गर्ल्स की पूरी सुरक्षा कर रही हैं। इन ताकतवर महिलाओं के साहस व निर्भीकता की प्रशंसा तो की ही जाना चाहिए और साथ ही उनकी इस बात के लिए भी सराहना की जाना चाहिए कि वह अपने परिवार की आर्थिक स्थिति की मजबूती के लिए कितना कुछ कर रही हैं।

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