-वीना नागपाल
केरल राज्य मे वहां के शासन ने बजट में एक टैक्स मोटापा रोकने के लिए भी लगा दिया है। पिज्जा, बर्गर, पास्ता, टाकोज और डॉनट्स व ब्रेड के बने तरह-तरह के सेंडविच पर 14.5 प्रतिशत टैक्स लगा दिया गया है। जो रेस्तरां इस तरह की जंक सामग्री परोसेंगे उन्हें इस प्रकार का हैवी टैक्स देना होगा। इसके पीछे शासन की मंशा यह है कि इस पर रोक लगे कि बच्चे, किशोर और युवा इस तरह का जंक फूड खाकर मोटोपे के शिकार हो रहे हैं और फिर मोटोपे से उपजे अन्य रोगों के कारण अस्वस्थ हो रहे हैं।
वहां के वित्तमंत्री थॉमस आइजक ने कहा कि केरल के अपने स्थानीय व्यंजन बहुत स्वादिष्ट और अलग-अलग वैरायटी के होते हैं। उनमें पोषक तत्वों की भरमार होती है, पर पिज्जा व बर्गर खाने की ऐसी आंधी चली है कि इन व्यंजनों की तरफ युवाओं ने देखना भी छोड़ दिया है। नई पीढ़ी न केवल अस्वस्थ हो रही है बल्कि वह आलसी और नि:सतेज भी हो रही है। थुल-थुल करते मोटे बच्चे स्फूर्ति के अभाव में कुछ भी सक्रियता नहीं दिखा पाते। शारीरिक श्रम के अभाव में धीरे-धीरे वह मस्तिष्क से भी थकने लगते हैं। केरल राज्य ने कदम उठाया है वह बच्चों, किशोरों के लिए बहुत हितैषी और सकरात्मक माना जाना चाहिए। शायद एक भावी और वर्तमान पीढ़ी के लिए इससे बेहतर कदम कोई और नहीं हो सकता। वहां के वित्तमंत्री ने जो केरल के व्यंजनों की प्रशंसा की है वह वास्तव में बहुत सही है। केरल ही क्यों हमारे देश के विभिन्न राज्यों में इसी प्रकार भिन्न-भिन्न प्रकार की बहुत स्वादिष्ट और अनेक वैरायटी वाली भोज्य सामग्री मिलती है। किसी भी राज्य की बात करें-फिर वह चाहे उत्तर के हों यो पूर्व से लेकर पश्चिम तक की बात हो भोजन सामग्री में बहुत स्वाद और पोषक तत्व मौजूद होते हैं। उनके पकाने और परोसने तक के तरीके स्वास्थ्य की रक्षा करने वाले होते हैं। जो भी व्यंजन बनाया जाता है उसके पीछे एक पूरी विधि शामिल होती है, जिसके अनुसार बनाई गई भोजन सामग्री केवल शरीर को ही नहीं बल्कि मन-मस्तिष्क को भी पुष्ट करती है। एक आंधी की तरह पश्चिम से आए पिज्जा, बर्गर और ब्रेड के सेंडविच ने केवल पेट को ठूंसकर भरने की ही विधि बताई। इन भोजन सामग्रियों में स्वास्थ्य को लेकर कोई चिंता नहीं की जाती। आज जब पश्चिम के लोग भी अपने बच्चों के मोटापे को लेकर इतने फिक्रमंद हो रहे हैं तब भारतीय समाज को भी चेत जाना चाहिए। हमारे यहां तो आहार को लेकर बहुत कुछ कहा गया है। यहां तक कि एक स्वस्थ और एक रुगण व्यक्ति का आहार कैसा होना चाहिए इसके लिए भी विस्तृत चर्चा की गई है। इतने वैज्ञानिक आधार को लेकर तैयार होने वाले भोजन पर यदि पिज्जा और बर्गर हावी हो जाएं तो यह कतई ठीक नहीं होगा। हमारे यहां गृहिणियां भोजन बनाने की एक अमूल्य परंपरा की वारिस होती हैं उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह इसे बनाए रखें। केरल राज्य ने अपनं यहां के स्कूलों की कैन्टीन में और स्कूलों के पास परिसरों में पहले ही फास्ट फूड के विक्रय पर रोक लगा दी थी। ऐसा ही राजधानी दिल्ली में भी किया गया है। पैरेंट्स की भी ड्यूटी बनती है कि वह अपने बच्चों को दिए जाने वाले जेब खर्च का भी नियमन करें। उन्हें टिफिन में दी जाने वाली भोजन सामग्री बनाने में अपनी सहूलियत न देखें बल्कि उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बनाएं। यदि जायके में सभी राज्यों की भोजन सामग्री को शामिल कर लिया जाए तो शायद पिज्जा, बर्गर और सेंडविच पूरी तरह आउट हो जाएंगे।
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