-वीना नागपाल
यह वाक्य बहुत बार उछाला जाता है कि महिलाएं ही महिलाओं की दुश्मन होती हैं। इस पर बहुत जोर भी दिया जाता है और समाज में इस वाक्य को स्थापित करने के लिए कई उदाहरण दिए जाते हैं! उदाहरणार्थ कहा जाता है कि सास-ननद और जेठानी घर की छोटी बहू को इतना त्रस्त करती हैं कि वह आत्महत्या तक कर लेती है। एक केस में तो न्यायालय ने सास को जमानत देने की बात पर यहां तक कह दिया कि वह उस बात को झुठला नहीं सकती कि उसने बहू को दहेज के लिए प्रताड़ित नहीं किया होगा। अधिकांश केसों में तो सास ही दहेज मांगने की बात करती हैं। इस तरह यह भी कहा जाता है कि मां ही बेटी पर तमाम बंदिशें और पाबंदियां लगाती हैं। बात को बढ़ाते हुए तो यहां तक भी कहा जाता है कि कन्या शिशु भ्रूण हत्या में मां ही आगे बढ़ कर इसकी सहमति देती है और मां पर यह दोष भी मढ़ा जाता है कि वही अपनी नवजात बेटी को किसी झाड़ी तथा कूडेÞ के ढेर में फेंक देती है।
महिलाओं पर इतने सारे दोष मढ़ने और इल्जाम लगाने की कई बातें की जाती हैं पर, अब शायद महिलाओं की महिलाओं के प्रति दुश्मनी की बात झूठी साबित होने लगी है। महिलाएं अब अपनी साथी महिलाओं को अपनी साथिन समझ कर संगाठित होने लगी हैं और किसी भी पीड़ित महिला के दु:ख-दर्द में शामिल होने लगी हैं। गुलाबी गैंग का नाम तो बहुत चर्चित हो ही गया है अब एक जामुनी गैंग (पर्पल गैंग) बनी है। इसकी मुखिया एक युवती है जिसका भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में चयन हो चुका है, पर वह इससे पहले ही महिलाओं को जोड़कर एक संगठन बना चुकी थी, जो बाल विवाह, कन्या शिशु भ्रूण हत्या और बेटियों की पढ़ाई बीच में ही न छुड़वाने के अभियान में लगा हुआ है। इस संगठन ने आसपास की ग्रामीण महिलाओं को अपने साथ जोड़ा और अब यह दूर-दूर के गांवों में जाकर भी काम कर रहा है। इसमें महिलाओं को बचत करने से भी जोड़ा है। आज कई महिलाएं संगठित होकर ऐसे समूह बना रही हैं जो शराब बंदी को पूर्णता लागू करवाने में जुटा है। यह महिलाएं अपने परिवार के शराबी पुरुषों के विरुद्ध एकजुट होकर उन्हें शराब न पीने को मजबूर कर रही हैं। वह जानती हैं कि शराब के कारण न केवल उनके परिवार को आर्थिक विपन्नता झेलना पड़ती है बल्कि शराबी पति उन्हें रोज शारीरिक रूप से पीड़ित भी करता है। उनकी रोज कुटाई-पिटाई होती है। अब ऐसे समूह संगठित हैं जो किसी एक महिला की ऐसी दुर्दशा होने पर उसे बचाती हैं और उसे सहारा भी देती हैं। ऐसे समूह अपने से जुड़ी सभी महिलाओं की साथिन हैं और उन्हें किसी भी पीड़ा व दर्द से बचाने की पूरी कोशिश करती हैं। पिछले दिनों प्रसिद्ध अभिनेत्री कंगना रानौत और ऋतिक रोशन को लेकर बहुत विवाद उठ खड़ा हुआ। कई कटू बातें कही गई हैं। कंगना के पक्ष में किसने साथ दिया? उसकी साथी अभिनेत्रियों प्रियंका चोपड़ा, सोनम कपूर और विद्या बालन ने। इन अभिनेत्रियों ने एक साथ मिलकर कहा कि कंगना को अपनी बात कहने और अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार व स्वतंत्रता है। वह अपनी बात क्यों न कहे? क्या उसे इसलिए चुप रहना चाहिए, क्योंकि वह एक महिला है? और उसे सिर्फ इसलिए ही मुंह खोलने का कोई अधिकार नहीं है। यह उसकी साथिन अभिनेत्रियां थीं जिन्होंने कंगना को अपनी बात रखने के लिए अपना समर्थन दिया। यही बदलाव है जो अब इस साजिश भरे अरोप को झुठला रहा है कि महिलाएं ही महिलाओं की दुश्मन होती हैं।
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