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देशप्रेम की अभिव्यक्ति है वंदेमातरम् का गायन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 3 2016 10:46AM | Updated Date: Jun 3 2016 10:46AM
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-अशोक मनवानी
-लेखक मंत्रालय में जनसंपर्क उपसंचालक हैं


भोपाल में मंत्रालय भवन ( वल्लभ भवन ) के समक्ष  सरदार वल्लभ भाई पटेल उद्यान में  राष्ट्रगीत वंदे-मातरम् के सामूहिक गायन की परंपरा  के ग्यारह  साल पूरे होने पर 1 जून को गायक कलाकार उत्साह के साथ शामिल हुए। आज राष्ट्रगीत का संगीतमय गायन प्रस्तुत  हुआ । लगभग अड़तीस - चालीस  डिग्री  के  तापमान के बावजूद शासकीय सेवक इसमें  बहुत उत्साह से शामिल हुए।  अब वल्लभ उद्यान परिसर में शान से लहराता  विशाल तिरंगा भी  शोभायमान है। इस ध्वज को पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब गत वर्ष मई में  फहराया था, तब उमंग से भरे कार्यक्रम के साक्षी हुए लोगों का जोशो-खरोश देखते ही बनता था। जब यह गायन शुरू हुआ था, बहुत काम लोग इसमें शामिल होते थे, फिर उत्साह बढ़ता गया। दरअसल यह भागीदारी स्वैच्छिक  है, इसमें शरीक न होने  पर सरकारी दफ्तर कोई एक्शन नहीं ले सकते। यह व्यक्ति की दिली भावना पर निर्भर है, इसमें सम्मिलित हो या नहीं। अब करीब पांच- छह सौ  शासकीय सेवक इसमें भाग लेते हैं जो शुभ संकेत है। दस से पंद्रह मिनट का समय महीने में एक बार राष्ट्रीय कर्म लिए देना कुछ लोगों  को बेहद भाता है।

शानदार परंपरा की ग्यारह वर्ष की निरंतरता- 1  जून को  मंत्रालय  के पास वल्लभ भाई पटेल उद्यान में इस गायन के ग्यारह वर्ष पूरे हो गए हैं। गायन के अवसर पर  अनेक बार  मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान, राज्य मंत्रिपरिषद  के कई  सदस्य, मुख्य सचिव अंटोनी डिसा सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे हैं। पिछले ग्यारह साल से लगातार यह गायन हर महीने कार्य दिवस पर होता है। शासकीय सेवक सहित सभी नागरिकों में राष्ट्र भक्ति और देशप्रेम की भावना मजबूत करने के उद्देश्य से जब से वंदे मातरम् गायन  का यह मासिक  समवेत गायन  शुरू किया गया, तब से सफलतापूर्वक यह गायन हो रहा है।  केंद्र सरकार के कुछ अधिकारी-कर्मचारी भी इसमें  रुचि लेकर शामिल होते हैं। बारिश के  दिनों में बरसात होने पर वल्लभ भवन सभाकक्ष में गायन होता है।

मुख्य स्वर देने वालों  का स्वैच्छिक  सहयोग- वल्लभ भवन में पदस्थ अनेक शासकीय सेवक वंदे मातरम् गायन को मुख्य स्वर देते हैं। यह कार्य वे स्वैच्छिक रूप से करते हैं। अनुशासित ढंग से राष्ट्रगीत का संगीतमय गायन करने वाले करीब तीस लोगों  का समूह  है।  यह समूह गायन का नियमित रियाज  भी करता है। सामान्य प्रशासन विभाग ने गायक दल को  वाद्य यंत्र प्रदान किए  हैं। उल्लेखनीय है कि  बंकिमचंद्र चटर्जी लिखित राष्ट्रगीत वंदे मातरम् को देश के प्रसिद्ध  गायक- गायिकाओं ने अपना स्वर दिया है। देश के अनेक राज्य ऐसी परंपरा प्रारंभ नहीं कर सके हैं। इस मायने में  राष्ट्रीय स्तर पर  भी मध्यप्रदेश की पहल प्रशंसनीय मानी गई है।

अरेरा प्रशासनिक हिल बनी देशभक्ति की प्रतीक - सामान्य प्रशासन विभाग ने  अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव  और सचिव  स्तरीय अधिकारियों के अलावा वल्लभ भवन के सभी शासकीय सेवक और सतपुड़ा और विंध्याचल भवन के विभागाध्यक्ष को राष्ट्रगीत के सामूहिक गायन  में शामिल होने  को निरंतर कहा है। इसके साथ ही  उनसे  अधीनस्थ  शासकीय सेवक  को  इसमें शामिल होने का आग्रह किया जाता है। दरअसल, राष्ट्रगीत गायन के इस आयोजन में कोई भी स्वैच्छिक  रूप से शामिल हो सकता है। शासकीय सेवकों के सम्मिलित होने की भी कोई बाध्यता नहीं है। हर माह सरदार वल्लभ भाई पटेल उद्यान में राष्ट्रगीत गायन के साथ ही अब प्रतिमाह देश भक्ति के तराने और धुनें गूंज रहे हैं। इसके लिए  फरवरी 2016  से पुलिस बैंड  का सहयोग भी मिल रहा है, पटेल पार्क में  235  फीट ऊंचाई पर राष्ट्रध्वज  आरोहण हो जाने के बाद इस उद्यान के महत्त्व में वृद्धि हुई है। इस ध्वजारोहण के साक्षी भोपाल के सैकड़ों नागरिक भी होते हैं। शनिवार और रविवार को नियमित फहराए जाने वाले राष्ट्र धवज देखने पर्यटक हैं। भोपाल शहर के अनेक स्थानों से यह विशाल राष्ट्रध्वज  दिखाई देता है। राजधानी के  अरेरा  हिल पर ही शौर्य स्मारक बन रहा  है जो देश में अनूठा होगा। भोपाल का यह इलाका  देशभक्ति  के इन  प्रतीकों से सज चुका  है।
 

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