26 Apr 2024, 18:23:47 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-नंदकुमारसिंह चौहान
सांसद एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष


आजादी के दीवानों का अपने शासन और अपनी सरकार की कल्पना थी, लेकिन आजादी मिलने के साथ औपनिवेशिक शासन का ढर्रा जारी रहा। राजसी वैभव, शासक और जनता के बीच फासले को प्रोटोकाल का जामा पहना दिया गया। सरकारें आई और गर्इं लेकिन औपचारिकता की रस्म ने जनता में सरकार के प्रति अपनत्व की भावना जागृत नहीं होने दी। गत 26 मई 2014 को देशमें राजनैतिक परिवर्तन ने देश के परिवेश को बदला। जनता को सरकार का ऐसा अहसास हुआ कि आम आदमी के सुख-दुख में प्रशासनिक तंत्र चौकस है। 26 मई 2014 के पहले जहां प्रश्न किया जाता था कि सरकार कहां है वहीं अब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गठित एनडीए सरकार के मामले में जनता ने पारदर्शिता महसूस की है। 15वें प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी भारत के प्रदेशों में ही नहीं पास पड़ोस के देशों में भी त्रासद क्षणों में सहयोग और समन्वय का हाथ बढ़ाते अग्रिम पंक्ति में प्रथम नजर आए हैं।

कश्मीर में बाढ़ के समय मोदी टीम के साथ बाढ़ पीड़ित कश्मीरी जनता के आंसू पोंछते दिखे। नेपाल में त्रासदी के समय सरकार ने पड़ोसी धर्म का ऐसा निर्वाह किया कि दुनिया के देश नरेंद्र मोदी सरकार की सजगता और रचनात्मक पहल के मुरीद हो गए। उत्तराखंड की जनता तो हैरत में थी कि प्रदेश सरकार को निद्रा अवस्था में छोड़कर मोदी सरकार संकट मोचक के रूप में बाढ़, भूकंप जैसी संकटपन्न स्थिति में दरवाजे पर खड़ी है। देश में हुई ओलावृष्टि के समय जब जनता सिसकियां भर रही थी नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्री और अफसर ओला पीड़ित क्षेत्रों में खेतों में जायजा लेते हुए जनता को मदद का अहसास करा रहे थे। उन्होंने न तो राज्यों से औपचारिक गुहार के प्रोटोकाल की प्रतीक्षा की और न पत्र व्यवहार में वक्त गंवाया। नरेंद्र मोदी की टीम इंडिया की भावना धरातल पर नजर आई है। भारतीय संविधान की संघीय भावना मूर्त रूप लेती दृष्टिगोचर हुई।

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार 26 मई 2016 को अपना सफल द्विवर्षीय अल्पकाल पूर्ण कर रही है। सवा अरब आबादी के देश में सरकार के दो वर्षों का मूल्यांकन करना जल्दबाजी ही होगी, लेकिन इस सरकार ने जिस तरह निर्णयात्मक पहल कर समस्याओं के समाधान की अपनी प्रतिबद्धता जताई है, उसे अप्रतिम कहना अतिश्योक्ति नहीं है। वैदेशिक पटल पर एनडीए सरकार ने भारत की साख जिस तरह अंकित की उसी का नतीजा है कि दुनिया के विकसित देश अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, आस्टेÑलिया, ब्रिटेन जैसे देश नरेंद्र मोदी को तारनहार समझने लगे और जब यमन संकट में भारत सरकार का साहस देखा तो वे भी भारत से मदद की गुहार लगाते दिखाई दिए। शक्तिशाली भारत का वजूद दुनिया ने भी महसूस किया और सरकार की प्रशंसा की। अब तक भारत को स्कैम, घोटालों का देश समझने वालों ने माना कि भारत में एनडीए सरकार का उदय ही नहीं हुआ है अपितु विश्व के क्षितिज पर एक प्रगतिशाली, शक्ति का उदय हो चुका है। नरेंद्र मोदी की कुशल राजनय, दूरदृष्टा और सहयोगी के रूप में ख्याति भारत की सीमाएं लांघ गई है। विदेशों में बसे भारतीयों का सीना गर्व से फूल गया और प्रवासी भारतीयों का भाल उन्नत हुआ है।

नरेंद्र मोदी सरकार के दो वर्षों में विपक्ष इस बात को लेकर हैरान परेशान है कि कहीं कोई भ्रष्टाचार, घोटाला की गंध तक नहीं आई। यदि इसी तरह मोदी सरकार में प्रगति के चरण अग्रसर हुए तो कांग्रेस और तथाकथित सेकुलर ब्रिगेड को दशक दो दशक देश में पैर टिकाना ही मुश्किल होगा। उसने असहिष्णुता का नया राग छेड़ा और देश के मान सम्मान को ताक में रखकर जनता को बरगलाने में कसर नहीं छोड़ी, लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी। विपक्ष के नाम दस वर्षों में जहां 12 लाख करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार के घोटाले दर्ज हुए उसे दो वर्षों में छदाम का भ्रष्टाचार नहीं मिल सका, इसलिए उसे अपनी कुंठा का शमन करने के लिए देश की सुरक्षा की कीमत पर इस तरह गलत बयानी करना पड़ी और देश की जनता ने यह देखकर धिक्कारा कि कांग्रेस और सेकुलर ब्रिगेड भारत की संप्रभुता पर चोट करने वालों की सरपरस्त के रूप में खड़ी है। दुनिया आर्थिक मंदी के भंवर में फंसी, लेकिन एनडीए सरकार के कुशल आर्थिक प्रबंधन का ही कमाल है कि महंगाई का दौर थम गया है, महंगाई पर लगाम लगी। मुनाफाखोर पस्त हुए। हाल ही में देखा गया कि दालों की कीमतों ने सिर उठाया तो केंद्र सरकार ने आनन-फानन में दालों के आयात का बंदोबस्त करके जमाखोरों को पस्त कर दिया। 

इसी तरह अटल सरकार ने 2004 में जिस अच्छी अर्थव्यवस्था यूपीए सरकार को विरासत में सौंपी थी यूपीए सरकार ने नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बदहाल आर्थिक ढांचा छोड़ा, लेकिन एनडीए सरकार ने 24 माह में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में सफलता ही नहीं पाई अपितु विदेशी मुद्रा का अभूतपूर्व भंडार बनाते हुए भारत को निवेशकों, कारोबारियों का स्वर्ग बना दिया है। देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.5 प्रतिशत के करीब पहुंच रही है जो चीन से भी आगे निकल गई है। खुदरा महंगाई में कमी आई है, 8.25 से लगातार घटी है जो गत वर्ष ही 5.7 प्रतिशत पर सिमट गई थी। औद्योगिक उत्पादन जो माइनस में था 5 प्रतिशत लांघ गया है। राजकोषीय घाटा पौने छह प्रतिशत से 3 प्रतिशत तक सिमट गया है। विदेशी निवेश बढ़ा है। किसानी के क्षेत्र में सिंचन क्षमता बढ़ाने के लिए भगीरथ प्रयास हो रहे हैं। नदी जोड़ो योजना, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना परवान चढ़ी है। किसानी आर्थिक लाभ का व्यवसाय बनाया जा रहा है। ई-ट्रेडिंग प्लेटफार्म हर मंडी क्षेत्र में बनाकर किसान को उत्पादन का मुंह मांगा दाम दिलाने की दिशा में प्रयास कारगर हो रहे हैं। समाज का हर वर्ग इन जनोपयोगी योजनाओं का घटक बनकर भविष्य के प्रति आशक्ति के भाव से लबरेज है। यही कारण है कि 70 प्रतिशत जनता अगला जनादेश भी नरेंद्र मोदी के पक्ष में देने का संकेत दे चुकी है। जागरूक जनता यह भी जानती है कि राष्ट्र के जीवन में 24 माह का अल्प समय है, जिसका मूल्यांकन तो किया जा रहा है लेकिन यह नैसर्गिक न्याय के अनुरूप नहीं कहा जा सकता।
 

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