27 Apr 2024, 10:26:06 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

वैसे तो मोबाइल को लेकर बहुत आलोचना की जाती है। इससे भी ऊपर इसके साथ जुडे और फीचर्स को लेकर भी कोई कम बातें नहीं की जातीं। पर, ऐसा तो नहीं है कि इसमें सारी बुरी बातें ही शामिल हों और जी भरकर इसकी बुराई ही की जाए। कभी-कभी लगता है कि इसके आने से कई ऐसी बातें भी हो गई हैं जिनका पहले कोई अस्तित्व ही नहीं था।

कुछ ऐसा हुआ है कि मोबाइल के आने के बाद महिलाओं को संवाद करने के बहुत अवसर मिलने लगे हैं। उनकी चुप्पी या उन पर लादे गए मौन के दरवाजे खुल गए हैं। वह परस्पर तो संवाद कर ही रही हैं बल्कि उन्हें ऐसी साइट्स भी मिली हैं जिन पर जाकर उन्होंने खुलकर विषयों पर अपने मत और विचार प्रकट करने शुरू किए हैं। वह तरस जाती थीं कि वह किसी से अपनी बात कह सकें अथवा किसी भी विषय के प्रति अपनी सहमति व असहमति प्रकट कर सकें, पर उन्हें मौका ही नहीं मिलता था। उन्हें बात-बात पर चुप करा दिया जाता था। बोलकर भी या कहकर भी कुछ बताया जा सकता है वह जानती ही नहीं थीं या यह भूल चुकी थीं कि उन्हें भी कुछ कहना आता है। आज इंटरनेट की बहुत बड़ी सुविधा उनके पास मौजूद है। वह ब्लॉग्स लिखती हैं तथा ट्विट करती हैं। अपने से जुड़े अथवा विश्व स्तर पर चर्चित विषयों को लेकर कुछ कहती हैं व कुछ बताती हैं। उनके पास फेसबुक है, जिसके जरिए वह अपने बारे में जानकारी देती हैं तथा दूसरों की पहचान प्राप्त करती हैं। उनके पास आज बेहतर मौके हैं जिनका लाभ उठाकर अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकती हैं, वह भी बिना किसी रोक-टोक के। कभी ऐसा भी समय था जब वह इन मौकों की तलाश में रहती थीं कि कुछ कह सकें। भारतीय महिलाओं ने तीज-त्योहारों या शादी-ब्याह के मौके ढंूढ़ लिए थे, जिनमें वह अपनी साथी महिलाओं से मिल-जुलकर अपना दु:ख-दर्द बांट लेती थीं व हंस-बोल लेती थीं, पर अन्य महिलाओं के लिए तो यह अवसर भी नहीं थे। उनके बोलने पर अलग-अलग तरह से पाबंदियां लगाने के रास्ते खोजे गए थे। इन अमानवीय पाबंदियों को बहुत समय तक महिलाओं ने भोगा और उन्हें सहन किया, पर तकनीकी युग के आते ही उनके लिए रास्ते खुले और वह मुखर हो उठीं। वह जैसे-जैसे विषयों का लेकर ब्लॉग्स लिखती हैं तथा उनमें अपने विचार प्रकट करती हैं तो ऐसे लगता है कि उनके पास कहने के लिए कितना कुछ था और है, जिसे पहले न तो कभी सुना गया और न जाना गया। इस युग की तकनीकी क्राांति ने महिलाओं को जो संवाद के अवसर दिए हैं उनके लाभों को झुठलाया नहीं जा सकता। ऐसा कैसे किया जाता रहा कि एक मानव होने के नाते उन्हें सोचने-विचार ने के काबिल ही नहीं समझा गया और उनकी अभिव्यक्ति पर पहरे लगाए गए। जिस तरह से महिलाएं अब संवाद कर रही हैं उससे मानव जाति लाभान्वित ही हो रही है। इंटरनेट की इस तकनीकी सुविधा से महिलाओं के हितों की रक्षा होने की बेहतर स्थिति बनी है। महिलाएं अब स्वयं आगे आकर अपने कष्ट और असुविधाएं बता रही हैं। उनकी जुबानों पर जो ताले लगा दिए गए थे वह खुलने लगे हैं। वह न केवल बातें कर रही हैं बल्कि अपनी तकलीफें भी बता रही हैं। उनके संवादों का सुनना दिलचस्प भी है और सामाजिक स्थितियों के लिए लाभकारी है। जरा! ठहरकर सोचें तो वास्तव में लगेगा कि महिलाओं को संवाद करने के इन अवसरों को मिलने मात्र से ही उनकी स्थिति कितनी सुधरी है तथा उन्हें कितना लाभ हुआ है।

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