- चिन्मय मिश्र
विश्लेषक
भारत के विदेश राज्यमंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष वी. के. सिंह ने दिल्ली स्थित अकबर रोड का नाम बदलकर महाराणा प्रताप के नाम पर करने की बात कहकर नया विवाद छेड़ दिया है। उनके इस गैरजिम्मेदाराना बयान को उनकी कार्यशैली व पिछले दो वर्षों की उपलब्धता के नजरिए से देखा जाए तो परिणाम ‘‘शून्य’’ ही निकलेगा। वे पहले भी तमाम विवादास्पद बयान दे चुके हैं। उनका एक भी वक्तव्य हमारी विदेश नीति की प्रासंगिकता को व्याख्यायित नहीं कर पाया है। भारत में सामंती मनोवृत्तियां फिर से जोर मार रही हैं। एक ओर पाठ्य पुस्तकों से पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरु को हटा दिया जाता है वहीं दूसरी ओर महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का नाम भी हटा दिया जाता है। गुड़गांव गुरुगांव हो जाने से क्या वहां कानून व्यवस्था और पर्यावरण की हालत में क्या कोई सुधार आ गया? इतिहास से आंखे चुराने वाले अंतत, स्वयं ही इतिहास द्वारा कूडेÞ के ढेर में फेंक दिए जाते हैं। अकबर का भारत में शासन एक तरह से यहां का स्वर्णकाल कहलाता है। वहीं दूसरी ओर उनकी और महाराणा प्रताप की आपसी लड़ाई, घृणा नहीं कुतुहलता जगाती है। इतिहास में जाकर देखिए तो पता चलेगा कि अकबर का सिपहसालार कौन से धर्म का था और महाराणा प्रताप का किस धर्म का? क्या यह दोनों महान शासक क्या कोई धार्मिक युद्ध लड़ रहे थे ? इसके बाद औरंगजेब बनाम शिवाजी के संघर्ष को गौर से देखिए। इन दोनों की फौजों की वास्तविकता की जांच कीजिए। हमें पता लग जाएगा कि शिवाजी के बडें लड़ाकों में कितने मुसलमान थे और
औरंगजेब की सेना में कितने हिंदू। इतना ही नहीं इतिहास से हमें बड़ी रोचक व चौंका देने वाली जानकारियों भी मिलती हैं, जैसे कि औरंगजेब के दरबार में जितनी संख्या में हिंदू थे उतने किसी भी अन्य मुगल बादशाह के दरबार में नहीं थे, अकबर के दरबार में भी नहीं। परंतु हमारे यहां कथित राष्ट्रीयता का दौरा सा पड़ा हुआ है। हर चीज को देखने का एक ही नजरिया बनता जा रहा है। सामान्यत मधु किश्वर की अधिकांश टिप्पणियां बहुत ही अधकचरी और कई बार गैर जिम्मेदाराना होती है। परंतु योग दिवस 21 जून पर मानव स ंसाधन मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों पर उन्होंने सटीक टिप्पणी करते हुए कहा है ‘‘सभी लोगों के लिए स्वीकार्य बनाने के चक्कर में हमें योग को महज व्यायाम का एक तरीका बनाकर इसके महत्व को कम नहीं करना चाहिए। योग जीवन का एक दर्शन है, विशिष्ट तौर पर हिंदू धर्म का।’’
इस बीच ‘‘ऊँ’’ के उच्चारण को लेकर मुस्लिम समाज में असंतोष फैल रहा है। सरकार ने ‘‘ऊँ’’ के उच्चारण को अनिवार्य न रहने की बात कही है। परंतु क्या इसके बिना योग कर पाना संभव है? हमारे यहां शताब्दियों से चली आ रही सामाजिक समरसता के पीछे तो कुछ लोग लट्ठ लेकर पिल पड़े हैं। इस बीच किसी मौलाना ने कह दिया कि मुसलमान रामदेव की औषधियों का प्रयोग न करें क्योंकि उसमें गौमूत्र का प्रयोग होेता है, जो कि इस्लाम में हराम है। इसका सीधा सा अर्थ यही निकल रहा है कि भारत धीरे-धीरे अपनी वास्तविक समस्याओं की ओर से मुंह मोड़कर संकीर्णतावादी सोच की ओर अग्रसर हो रहा है। इसमें राजनीतिज्ञों और धर्मगुरुओं का फायदा है। राजनीतिज्ञ रोटी-पानी-कपड़ा-रोेजगार के बारे में उठे सवालों से बच जाते हैं और धर्मगुरुओं की अपने धर्मावलंबियों पर पकड़ और भी मजबूत हो जाती है इसके बावजूद हम अभी भी सड़क ,चौराहा, हवाईअड्डों, बंदरगाहों और सरकारी योजनाओं के नामकरण को ही जीवन मरण का प्रश्न बना रहे हैं।
यह अत्यंत विचित्र स्थिति है कि जहां एक ओर महात्मा गांधी के 150 वें जन्मदिन मनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं वहीं दूसरी तरफ उनके हत्यारे की छवि को देश की जनता खासकर बच्चों के दिमाग से हटाने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। भविष्य में बच्चों को पता ही नहीं होगा कि उस प्रधानमंत्री का क्या नाम है जिसने पहली बार लालकिले से आजाद भारत का तिरंगा फहराया और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को किस वहशी दरिंदे ने मार डाला इस प्रकार से हम अपने समाज को शून्यता के उस दौर में ले जाएंगे जिसमें उसकी न तो अपने अतीत के प्रति कोई जिज्ञासा होगी, न वर्तमान से लगाव और न ही भविष्य के प्रति कोई कौतुहल। अकबर और महाराणा प्रताप अपने युग की सच्चाई हैं और उन्हें तत्कालीन परिस्थितियों और काल के हिसाब से समझना होगा और उनका मूल्यांकन करना होगा। सड़क का नाम अकबर से हटाकर महाराणा प्रताप या महाराणा प्रताप से अकबर कर देने से देश नहीं बनेगा। देश तो इन दोनों के नाम से समानांतर सड़कें बनाने अर्थात उनकी सोच के आधार पर भविष्य का मार्ग बनाने से बेहतर आकार लेगा। अकबर अपने मूल स्वरूप व स्वभाव में भारतीय हो चुका था, अतएव उसके बिना भारत का इतिहास अधूरा ही रहेगा और अधूरे इतिहास से पूरा देश नहीं बनता। गौर करिए, अक्सर यह सोचना होता है कि हम कितने नए और कैसे नए हैं हमने कितना पुरानापन देखा है क्योंकि एकदम नया काफी कोरा होता है।