धर्मशाला। नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के शनिवार को अंतिम दिन राज्य की आर्थिक स्थिति को लेकर अपनी रिर्पोट सदन में प्रस्तुत की जिसमें राजस्व के मुकाबले सरकारी खर्च में तीन प्रतिशत की वृद्धि होने का उल्लेख है। रिपोर्ट में राज्य की आर्थिक स्थिति की जो तस्वीर प्रस्तुत की है उससे साफ है कि आने वाले दस सालों में सरकार को 21 हजार 574 करोड़ के ऋण तथा इस पर 9483 करोड़ के ब्याज का भुगतान करना है।
रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2017-18 के आय-व्यय के लेखा-जोखा के अनुसार वर्ष 2016-17 में प्रदेश की राजस्व प्राप्तियां 26264 करोड़ रूपये थीं जबकि 2017-18 में ये चार प्रतिशत की वृद्धि के साथ 27367 करोड़ रूपये हो गईं। इसके मुकाबले राजस्व व्यय जो वर्ष 2016-17 में 25344 करोड़ रूपए था वह वर्ष 2017-18 में सात प्रतिशत की वृद्धि के साथ 27053 करोड़ रूपए तक पहुंच गया। कैग की रिर्पोट से साफ है कि राज्य में सरकार की आमदनी और खर्च में तीन प्रतिशत का अंतर है। आय के मुकाबले व्यय अधिक होने की वजह से सरकार को आर्थिक मोर्च पर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि वर्ष 2016-17 के 2948 करोड़ के मुकाबले 2017-18 प्रदेश का राजस्व घाटा बढ़कर 3870 करोड़ रूपए हो गया जो एक साल में ही लगभग 922 करोड़ रूपए की वृद्धि दर्शाता है। हालांकि 14वें वित्तायोग और केंद्र से मिले अनुदान की बदौलत वर्ष 2015-16 और 2016-17 में सरकार राजस्व में सरप्लस की स्थिति में रही।