श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा का गठबंधन टूटते ही केंद्र सरकार ने घाटी में सक्रिय आतंकियों का खात्मा करने के लिए व्यापक स्तर पर कदम उठाना शुरू कर दिए हैं। इन्हीं कदमों के तहत केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ एनएसजी यानी नेशनल सिक्युरिटी गार्ड की तैनाती कर दी है।
बीते कई समय से इस पर बहस चल रही थी कि क्या एनएसजी को कश्मीर घाटी में तैनात किया जाए या नहीं लेकिन आखिरकार सरकार ने इस पर मुहर लगा दी है। अब आतंकवादियों के खिलाफ बड़े आॅपरेशन में एनएसजी को शामिल कर लिया गया है।
एनएसजी कमांडो की बीएसएफ के साथ ट्रेनिंग भी पहले से ही जारी है। ऐसे में अब एनएसजी को भी मुठभेड़ों का अनुभव मिलेगा। एनएसजी को अब आतंकवादियों, घुसपैठियों के खिलाफ एनकाउंटर में शामिल किया जाएगा। केंद्र सरकार को उम्मीद है कि एनएसजी की वजह से वहां आॅपरेशन्स में मरने वाले आम नागरिकों की तादाद में कमी आएगी।
आतंकियों की गिरफ्त से लोगों को मुक्त कराएंगे
एनएसजी कमांडो टीम की पहली जिम्मेदारी आतंकियों द्वारा बंधक बनाए गए लोगों को सकुशल मुक्त कराने की होगी। सूत्रों के अनुसार, बीते सालों में हुई घटनाओं में यह देखने को मिला है कि आतंकी खुद को बचाने के लिए स्थानीय नागरिकों को बंधक बना लेते हैं। आतंकी स्थानीय नागरिकों को अपनी ढाल बनाकर सुरक्षाबलों के साथ निगोशिएशन करने की कोशिश करते हैं।
सुरक्षाबलों की मजबूरी होती है कि वह किसी भी सूरत में स्थानीय नागरिकों की जान को खतरे में न डालें। ऐसी स्थिति में आतंकी लंबे समय तक सुरक्षाबलों को किसी भी तरह की कार्रवाई करने में रोके रखते हैं। मजबूरन, घाटी में तैनात सुरक्षाबलों को फायर पावर का इस्तेमाल करना पड़ता है। इसमें बड़ी तादाद में जान और माल की क्षति होने की आशंका बनी रहती है। एनएसजी के ज्यादातर कमांडो ट्रेंड स्नाइपर्स होते हैं। लिहाजा, वे बेहद आसानी से आतंकियों को निशाना बना बंधकों की जान बचा सकते हैं।
बीएसएफ के साथ हो रही ट्रेनिंग
- गृह मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में तैनात होने वाले एनएसजी कमांडो की टीम का चयन कर लिया गया है। इन सभी कमांडो को ट्रेनिंग के लिए बीएसएफ के हुमहमा कैंप में भेजा गया है।
- बीएसएफ के अनुभव प्राप्त प्रशिक्षक एनएनजी कमांडो को जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक स्थिति, दुर्गम इलाकों में आॅपरेशन के दौरान आने वाली अड़चनों और आॅपरेशन के दौरान सामने आने वाली परिस्थितियों से जूझने का प्रशिक्षण दे रहे है।
- घाटी में एनएसजी की तैनाती का मुख्य मकसद आतंकवादियों को खात्मा जरूर है, लेकिन उन्हें इस बात का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि वे किस तरह जान और माल की हिफाजत करते हुए कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर सकते हैं।
उप्र से कश्मीर जाते हैं पत्थरबाज
कश्मीर में सेना के जवानों पर होने वाली पत्थरबाजी में उप्र के सहारनपुर और बागपत के युवकों के भी शामिल होने का भी अंदेशा है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्थानीय पुलिस को ऐसे संदिग्ध युवकों की एक सूची भेजी है। एसएसपी सहारनपुर ने इसकी जांच के लिए एलआईयू की एक विशेष टीम गठित कर दी है। टीम ने तीन युवकों से पूछताछ भी की है। उनका का कहना है कि एक ठेकेदार उन्हें सिलाई फैक्ट्री में काम कराने के लिए पुलवामा लेकर गया था। वहां सेना के सर्च आॅपरेशन के दौरान उन्हें जबरन पत्थरबाजी करने के लिए भेजा जाता था। यही बात बागपत के युवकों ने भी कही है।