शिमला। सीटू के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व सांसद तपन सेन ने कहा है कि देश में भयंकर आर्थिक मंदी के खिलाफ मजदूर संगठन आंदोलन करेंगे। सेन आज यहां सीटू के 13वें राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मजदूरों के तमाम मुद्दों को लेकर दिल्ली में 30 सितंबर को राष्ट्रीय किया जायेगा जिसमें आंदोलन की रणनीति तय होगी। उन्होंने बताया कि मजदूरों ने एकजुटता के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने फैंसला लिया है। सम्मेलन में मजदूरों के वेतन को न्यूनतम 18 हजार रुपये करने की मांग भी रखी गई। बाद में आज यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए सेन ने केंद्र सरकार पर मजदूरों के हक मारने के आरोप लगाए और कहा कि केंद्र सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूरों पर कुठाराघात किया है।
मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को तहस नहस कर दिया है। पंद्रह लाख लोगों की नौकरियां कुछ ही दिनों में गयी है। फैक्टरियां बंद हो गयी है मजदूर बेरोजगार हो गया है। सरकार की गलत नीतियों के कारण आज पढ़ा लिखा युवा सड़कों पर घूम रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जो बजट पेश किया है उसमें न्यूनतम वेतन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। मजदूर भूखा मर रहा है लेकिन सरकार बेशर्मी से अपने भत्ते बढ़ा रही है। मोदी सरकार विदेशी उद्योग को बढ़ावा दे रही है जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है। देश मे आर्थिक मंदी को दूर करने के दो रास्ते मजदूर आंदोलन और देश के लोगों को भूखा रख कर विदेशी निर्यात करना। लेकिन विदेशी निर्यात की दर भी 6 फीसदी गिर गयी है। इसलिए आर्थिक मंदी से लड़ने का एक ही रास्ता मजदूर आंदोलन है जिसको लेकर सीटू ने सभी मजदूर संगठन को इकठ्ठा करके आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है।