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तिब्बत में हानों और तिब्बतियों के बीच विवाह को बढ़ावा दे रहा है चीन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 18 2019 2:05AM | Updated Date: Jul 18 2019 2:05AM
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शिंगात्से। चीन के दो नस्ली समुदायों, हान और तिब्बती के बीच पारंपरिक दुश्मनी रही है, लेकिन अब दोनों के बीच संबंधों में प्रागढ़ता लाने की कोशिशें हो रही हैं। इसमें सफलता भी मिल रही है। साल 2015 में हान समुदाय के लड़के का विवाह तिब्बती समुदाय की लड़की से हुई। लॉन्ग शी जॉन्ग और बा सैंग कू बा के बीच प्यार हुआ तो दोनों शादी का इंतजार करने लगे, लेकिन सामुदायिक झगड़े के कारण यह आसान नहीं था। हालांकि, कुछ वर्षों बाद जब दोनों विवाह बंधन में बंधे तो उन्हें रोल मॉडल के तौर पर देखा जाने लगा।

चीन में तिब्बत ऑटोनोमस रीजन (टीएआर) के दंपति लॉन्ग और बा की उम्र करीब 50 वर्ष है। दोनों के अंतरसामुदायिक विवाह ने सैकड़ों युवाओं और युवतियों को प्रेरित किया। यही वजह है कि स्थानीय प्रशासन ने भी इस दंपती को सामुदायिक एकता के नेशनल रोल मॉडल अवॉर्ड से नवाजा। यही नहीं, लॉन्ग और बा की एक तस्वीर विशाल कम्यूनिटी सेंटर में शिगात्से के अचीवर्स की तस्वीरों के बीच लगाई गई है। चीन के निमंत्रण पर भारतीय पत्रकारों का एक छोटा समूह तिब्बत के दौरे पर गया था। एक स्थानीय सरकारी अधिकारी सी डैन यांगीज ने इस समूह को बताया, हमारी केंद्र सरकार तिब्बत और अन्य जगहों पर विभिन्न नस्लीय समूहों में एकता को बढ़ावा देने के लिए अंतर सामुदायिक विवाह की नीति पर आगे बढ़ रही है।

कई अंतरसामुदायिक दंपति- एक अन्य अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि लॉन्ग और बा ने समाज के कई लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है। उन्होंने कहा, दोनों ने विवाह के लिए वर्षों इंतजार किया। उन्हें दोनों समुदायों के बीच कटु रिश्तों का अंदाजा था। हालांकि, लॉन्ग और बा के विवाह के बाद दोनों समुदायों के जोड़ों के विवाह के मामले बढ़ गए। सी डैन ने कहा कि करीब 500 परिवार शीगात्से के कम्यूनिटी सेंटर में रजिस्टर्ड हैं जिनमें 40 अंतरसामुदायिक दंपति हैं।

बार-बार पैदा होता है तनाव- गौरतलब है कि चीनी आर्मी 1950 में तिब्बत के कई हिस्सों में घुसी तो तिब्बतियों और चीनी प्रशासन के बीच गहरा तनाव पैदा हो गया। चीन ने 1959 में उत्पन्न विद्रोह को दबाने के लिए जोर-जुल्म किया तो तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु 14वें दलाई लामा ने भारत में शरण ले ली। भारत सरकार ने दलाई लामा को राजनीतिक शरणार्थी का दर्जा दिया और तब से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार काम कर रही है। तिब्बत में 1959 से ही समय-समय पर हिंसा और तनाव की स्थिति पैदा होती रहती है।

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