रतलाम/नामली। सरकार के विकास के दावों के बीच रतलाम जिले के नामली के समीप ग्राम बाजेड़ा में हर साल बरसात का मौसम गांव के लोगों के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होता। वजह है यहां का उफनता नाला जिस पर कोई पूल नहीं बन पाया है। मुश्किल तब ज्यादा बढ़ जाती है जब किसी बीमार या गर्भवती को अस्पताल ले जाने की नौबत आती है।
ऐसे ही मुश्किल दौर से एक गर्भवती लाड़कुंवर को भी गुजरना पड़ा। लाड़कुंवर को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल जाने के लिए रस्सी पर चलकर नाला पार करना पड़ा। किसी तरह महिला को रतलाम जिला अस्पताल लाया गया और उसने कुछ ही देर में उसने बच्चे को जन्म दिया। महिला के साथ उसकी बड़ी बहन, मां और अन्य महिलाओं को भी रस्सी पर चलकर उफनते नाले को पार करना पड़ा। महिला के भाई सुमेरसिंह, चाचा राजेंद्रसिंह, चाची सुगनकुंवर ने सभी महिलाओं को किसी तरह नाला पार करवाया।
हर पल होता है जान को खतरा
लाड़कुंवर के भाई बाजेड़ा निवासी सुमेरसिंह ने बताया कि गांव में नाले को पार करने के लिए सभी को हर साल अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है। नाले को पार करके ही बाजार या अस्पताल जाना-आना पड़ता है। दूसरा रास्ता है लेकिन इतना खराब कि यहां कोई वाहन नहीं चल सकता। यह रास्ता करीब पांच किलोमीटर लंबा पड़ता है। छोटे-छोटे बच्चे भी रोज स्कूल जाने के लिए किसी कुशल नट की तरह रस्सी पर चलकर नाला पार करने को मजबूर हैं। जरा सी चूक होते ही सीधे नाले के तेज बहाव में गिरने का खतरा होता है, लेकिन रोजमर्रा की हर छोटी-बड़ी जरूरत को पूरा करने के लिए यह खतरा मोल लेना लोगों की मजबूरी है।
नहीं लगाया मदद के लिए फोन
ग्राम बाजेड़ा में नाले के उस पार सिर्फ एक परिवार है जो अपने खेत पर मकान बनाकर रहता है। उनके पास गांव मे भी एक मकान है। परिवार के घर की दूसरी तरफ एक किलोमीटर दूर से अच्छा रोड भी है। परिवार ने एम्बुलेंस या अन्य किसी को कॉल नहीं किया, जिससे उन्हें मदद पहुंचाई जा सके ।
-रुचिका चौहान, कलेक्टर रतलाम