बचपन में देखी मिकी माउस की प्यारी, साहसिक और हास्यपूर्ण हरकतों के साथ डोनाल्ड डक की बेवकूफाना हरकतें और गुस्सैल मिजाजी दुनिया के लगभग हर कोने में बसे बच्चे को याद है। बच्चे ही क्यों हर उम्र के लोगों को मिकी-डोनाल्ड कार्टून देखना पसंद आता है, क्योंकि ये अपनी मस्ती से सभी का भरपूर मनोरंजन जो करते हैं। इनके साथ रहकर कोई भी बोर नहीं होता। लेकिन इन्हें देखकर हर एक के मन में ये ख्याल तो जरूर आता होगा कि इन्हें बनाया किसने होगा? आइए जानते हैं इनके जन्म की कहानी-
एक युवक को कार्टून बनाने का शौक था। जब भी समय मिलता, वह कागज-पेंसिल लेकर कार्टून बनाने बैठ जाता था। वह दिनभर समाचार-पत्र पढ़ता था। समाचार-पत्रों में बने कार्टूर्नों को ध्यान से देखता और सोचता रहता कि यदि उसे किसी समाचार-पत्र में कार्टून बनाने का कार्य मिल जाए तो उसके कार्य में निखार आ जाएगा। उसने अनेक समाचार-पत्रों को साक्षात्कार दिए,लेकिन सभी ने उसे यह कह कर लौटा दिया कि उसमें प्रतिभा का अभाव है। पर उसने हिम्मत नहीं हारी और अपने काम में लगा रहा। वह छोटे-मोटे कार्यों के लिए कार्टून बना कर देता रहा। लेकिन अभी तक उसे अपने लक्ष्य व कामयाबी की तलाश थी। वह अपने शौक को ही रोजगार का माध्यम बनाना चाहता था। धीरे-धीरे सभी समाचार-पत्रों के संपादकों ने उसे यह कह कर लौटा दिया कि उसमें काबिलियत नहीं है। जब समाचार-पत्र के संपादक उसे ऐसा कहते, वह वहां से लौट कर अपना मूल्यांकन करता और स्वयं ही अपनी कमियों को पहचान कर उन्हें दूर करने का प्रयास करता।
बूढ़े हो गए, पर अभी भी बच्चे ही है ये
एक दिन एक चर्च के पादरी ने उसे कुछ कार्टून बनाने का काम दिया। उसने खुशी-खुशी कार्टून बनाने के लिए हामी भर दी और बोला, मैं चर्च में बैठ कर ही कार्टून बनाऊंगा। पादरी के अनुमति देने पर वह वहीं कार्टून बनाने बैठ गया। कार्टून बनाते समय उसे चर्च में कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। उसने इधर-उधर देखा तो पाया कि बहुत सारे चूहे वहां पर उछलकूद रहे थे। चूहों की उछलकूद देख कर वह तल्लीनता से उनकी गतिविधियां देखने लगा। कुछ देर बाद उसके मन में ख्याल आया कि क्यों न चूहे का कार्टून बनाया जाए और इस तरह चर्च में आपके बचपन का सबसे करीबी दोस्त सबको हंसाने और गुदगुदाने वाले कार्टून करैक्टर ‘मिकी माउस’ का जन्म हुआ।
वह युवक और कोई नहीं ‘वाल्ट डिज्नी’ था। आपके बचपन के हंसोड़े और चंचल दोस्त मिकी माउस क ो लोगों का मनोरंजन करते हुए लगभग 87 साल होने आए हैं। इन 87 सालों में मिकी ने आॅन स्क्रीन कई करैक्टर्स को प्ले किए हैं, जिसमें म्यूजिशन, जादूगर, एक्टर, डांसर, सिंगर, डिटेक्टिव, प्लंबर, फायर फाइटर, फ्रेंड, लवर सबसे हिट रहे हैं। आज भी मिकी माउस का नाम आते ही सभी अपने बचपन की दुनिया में खो जाते हैं। पहले वॉल्ट डिज्नी ने मिकी का नाम ‘मॉर्टाइमर माउस’ फाइनल किया था, लेकिन अपनी वाइफ लिनेन के कहने पर इसे चेंज करके ‘मिकी माउस’ दिया गया। धीरे-धीरे मिनी माउस,डोनाल्ड डक,गूफी,डेजी डक और प्लूटो डॉगी जैसे अन्य साथी भी उसके साथ मिलते गए और मिकी की टीम बन गई। वॉल्ट डिज्नी के कार्टूर्नों ने कुछ ही समय में पूरे विश्व में धूम मचा दी।
आज भी मिकी माउस बच्चों की पहली पसंद है। इन काटूर्नों में जान डालने वाले ऐनिमेटर और निर्माता जॉन विल्सन थे। इस प्रकार वाल्ट डिज्नी ने छोटे-छोटे काटूर्नों के माध्यम से ही बड़ी सफलता हासिल की और एक अनमोल कार्टून चरित्र को गढ़ने का श्रेय और पाया। यदि शौक जुनून बन जाए तो व्यक्ति हर स्थान पर नाकामयाब होने पर भी कामयाब हो जाता है और इतिहास रच कर दिखाता है। व्यक्ति की योग्यता और शौक मिल कर एक नई और अद्भुत चीज का सृजन करते हैं। कुछ समय बाद वह वस्तु अथवा पात्र सब लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन जाता है। जीवन में असफलता का डर नहीं होना चाहिए। बस स्वीकार कर लें कि ठीक है असफल हूं तो क्या हुआ? जिंदगी एक खेल की तरह है।
चाहे हारे या जीते, तब भी हम खेल खेलते है क्योंकि इस खेल को हम बीच में नहीं छोड़ सकते। इसीलिए असफलता से डरे नहीं। यदि असफल हो तो कोई बात नहीं तब भी काम करते जाओ। जीवन सफलता और असफलता दोनों का मिला जुला रूप है। जो असफल होता है, वही सफलता की कीमत जान पाता है। हमेशा आगे बढ़ना चाहिये और अपने आप से पूछना चाहिए कि मैंने बीते कल से क्या सीखा? सफल लोग हर छोटे काम को भी पूरे समर्पण के साथ करते है। इसीलिए उनका जीवन हम सबके लिए एक प्रेरणा की तरह होता है।