लगभग 40 से 50 साल जिंदा रहने वाले ऊंट के शरीर में विभिन्न प्रकार की खूबियां होती हैं जिनके कारण वह रेगिस्तान के अलग और कठिन वातावरण में रह पाता है। रेगिस्तान में रेतभरी हवाएं चलती हैं जिनसे बचाव के लिए ऊंट की पलकों और कानों पर लंबे बाल होते हैं और इसकी नाक पूरी तरह से बंद हो जाती है। पलकों और कानों पर होने वाले लंबे बालों से रेत आंखों और कानों के अंदर नहीं जा पाती।
ऊंट एक हफ्ते से ज्यादा पानी पिए बिना और कई महीनों तक बिना खाने के रह सकता है। ऊंट की एक बार में 46 लीटर तक पानी पीने की क्षमता होती है। ऊंट की पीठ पर एक कूबड़ होती है जिसमें ऊंट फैट (वसा) इकट्ठा करके रखता है और इसी ऊर्जा से महीनों तक अपना काम चलाता है। ऊंट के होठ मोटे होते हैं जिससे वह रेगिस्तान में पाए जाने वाले कांटेदार पौधे भी खा पाता है। इसकी लंबी गर्दन की वजह से यह ऊंचे वृक्षों की पत्तियों को भी खा पाता है।
इसके पेट और घुटनों पर रबर जैसी त्वचा होती है जिससे बैठते समय रेत के संपर्क में आने पर भी इसका बचाव हो सके। यह त्वचा ऊंट के उम्र 5 वर्ष का होने के बाद बनती है। इसके शरीर पर बालों की एक मोटी परत होती है जिससे यह धूप सह लेता है।