मधुमेह की अभी तक दो ही किस्में जानी जाती थीं, लेकिन फिनलैंड और स्वीडन द्वारा किए गए शोध के नतीजों के अनुसार मधुमेह दो नहीं, पांच तरह का होता है। शोध के इन नतीजों से मधुमेह का बेहतर उपचार के तरीके तलाशने में मदद मिल सकती है। वर्तमान में मधुमेह को टाइप-1 और टाइप-2 के रूप में ही जाना जाता है।
टाइप-1 डायबिटीज प्रतिरक्षा तंत्र से संबंधित बीमारी है, जिसमें शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। वहीं टाइप-2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है। दुनियाभर में इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों में जहां दस फीसदी टाइप-1 से पीड़ित होते हैं तो 85 से 90 फीसदी लोग टाइप-2 से ग्रसित होते हैं।
विशेषज्ञों ने दी ये थ्योरी
नए अध्ययन के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि टाइप-1 डायबिटीज को प्रतिरक्षा तंत्र से संबंधित गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। टाइप-2 को चार श्रेणियों में बांटा जाना चाहिए। इसमें दो गंभीर और दो साधारण डायबिटीज की श्रेणी में बांटा जाना चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसमें से पहली श्रेणी में गंभीर रूप कम इंसुलिन वाली डायबिटीज, जिसमें हाई ब्लड शुगर के मरीजों, कम इंसुलिन उत्पादन वाले और सामान्य रूप से इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी वाले मरीजों को रखा जाना चाहिए।
दूसरे गंभीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी डायबिटीज का संबंध मोटापे से है। हलके मोटापे से संबंधित डायबिटीज में मोटापे के शिकार लोगों को रखा जा सकता है। हालांकि यह कम गंभीर बीमारी है और इसमें ऐसे लोगों को रखा जा सकता है, जो कम उम्र में इसका शिकार हो जाते हैं। अंतिम समूह में उम्र से संबंधित हलकी डायबिटीज के लोगों को रखा जा सकता है। यह सबसे बड़ा समूह होगा, जिसमें डायबिटीज के 40 फीसदी और ज्यादातर उम्रदराज मरीज होंगे।
इस तरह किया अध्ययन
स्वीडन स्थित ल्युंड यूनिवर्सिटी डायबिटीज सेंटर और फिनलैंड के इंस्टिट्यूट फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने 14,775 मधुमेह के मरीजों के खून की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला। ये नतीजे लैंसेट डायबिटीज एंड एंटोक्रिनोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। इसमें बताया गया है कि मधुमेह के मरीज को पांच अलग-अलग क्लस्टर में विभाजित किया जा सकता है।
ल्युंड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता लीफ ग्रूप के मुताबिक यह अध्ययन मरीज केंद्रित इलाज शुरू करने की ओर पहला कदम हो सकता है। मधुमेह की मौजूदा श्रेणी और लक्षण व इलाज भविष्य में होने वाली समस्याओं के बारे में नहीं बताती। डायबिटीज यूके की डॉक्टर एमिली बंर्स के मुताबिक इसकी अन्य उप श्रेणियों की मदद से विशेषज्ञ मरीज की परिस्थिति के हिसाब इलाज कर सकेंगे।
अब स्मार्ट लेंस करेगा ब्लड शुगर की जांच
डायबिटीज से पीड़ितों के लिए यह अच्छी खबर है कि अब उन्हें ब्लड शुगर की जांच के लिए सूई से शरीर को गुदवाना नहीं पड़ेगा। दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने ब्लड शुगर की जांच के लिए एक स्मार्ट लेंस विकसित किया है। यह लेंस आंसू से ब्लड शुगर की मात्रा की जांच करेगा। नए स्मार्ट लेंस में लचीले और पारदर्शी पदार्थ से बने इलेक्ट्रोड का उपयोग किया गया है। इसमें एक ग्लूकोज सेंसर, एलईडी पिक्सल के साथ वायरलेस एंटीना भी लगा है।