नई दिल्ली। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय रेल के निजीकरण की आशंकाओं को खारिज करते हुए शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि भारतीय रेलवे को अगले 12 साल में 50 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता है और इसके लिये संसाधन जुटायें जा रहे हैं। गोयल ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि भारतीय रेल भारतीय नागरिकों की संपदा हैं और भारतीय नागरिक इसके मालिक बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि यात्रियों की संख्या और माल लदान की मात्रा में इजाफा हो रहा है।
यात्रियों के लिए स्वच्छ वातावरण और सुविधा- सुरक्षा बढ़ाने की मांग हो रही है। रेल लाइनों का विस्तार किया जाना है और पुरानी रेललाइन को बदलना है। इस सब के लिए अगले 12 साल के दौरान 50 लाख करोड़ रुपए की जरुरत है। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्रोतों और तरीकों से रेलवे के लिए संसाधन जुटायें जा रहे हैं।
वास्तव में यह निजीकरण नहीं बल्कि प्रबंधन में सुधार हैं और निगमीकरण है। रेलमंत्री ने कहा रेलवे विभाग या रेल मार्गों के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है। यात्रियों को उन्नत सेवा देने के उद्देश्य से कुछ गाडियों की वाणिज्यिक और सेवाओं को आउटसोर्स करने तथा कुछ चुनिंदा रेल मार्गों को निजी उद्यमियों को देने का प्रस्ताव है। हालांकि इन सभी का स्वामित्व भारतीय रेल के पास रहेगा।