26 Apr 2024, 13:54:31 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-अश्विनी कुमार
लेखक पंजाब केसरी दिल्ली के संपादक हैं।


उत्तरी अमरीका और दक्षिण अमरीका के महाद्वीपों के बीच का पुल समझे जाने वाले देश पनामा से क्या तूफान उठा है कि पूरी दुनिया के लगभग दो सौ देशों में इसके झटके का असर महसूस किया जा रहा है। कम्युनिस्ट चीन और रूस से लेकर पश्चिमी दुनिया के ब्रिटेन तक के राजनीतिज्ञों को इसके थपेड़ों से जूझना पड़ रहा है। कुल मिला कर दुनिया के सातों महाद्वीपों में इसकी सनसनी है मगर बात सिर्फ इतनी सी है कि इस देश की वित्त व बैंकिंग व्यवस्था के जरिए से ऐसे धन को सहेजा गया जिसे हम कालाधन कहते हैं मगर इसका सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इस धन का उपयोग आतंकवादी संगठनों की मदद तक के लिए होने की संभावना है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के भूमंडलीकरण का यह सबसे चिंताजनक पहलू हो सकता है। हम जिन देशों को ‘टैक्स हैवंस’ देश कहते हैं उनकी विशेषता यह होती है कि उनकी सीमाओं में स्थापित कंपनियों द्वारा कमाया गया धन वहां के बैंकों में पूरी गुप्त शर्त के साथ जमा रहता है और यहां खोली गई कंपनियों के कारोबार पर नाममात्र का कर लगता है। वस्तुत: इन देशों की अर्थव्यवस्था इसी बैंकिंग प्रणाली पर काम करती है।

आय का मुख्य स्रोत ऐसे देशों के लिए यही होता है। जाहिर है कि ऐसे देशों में कालाधन ही सुरक्षित नहीं रहता बल्कि रक्त धन जिसे हम ‘ब्लड मनी’ कहते हैं वह भी सुरक्षित रहता है। यह धन ड्रग्स या नशीली दवाओं के कारोबार का भी हो सकता है और आतंकवादी गतिविधियों में संलग्न लोगों का भी। इसके साथ ही ऐसे देशों में वित्तीय कम्पनियां स्थापित करके कालाधन भी जमा हो सकता है। निश्चित रूप से जिस देश के लोगों की ऐसी कंपनियां चलती हैं वे अपने देश में कमाए गए धन को इनकी मार्फत काले से सफेद में बदल सकते हैं। भारत के जिन लोगों के नाम इस पनामा लीक्स में आ रहे हैं उनमें सबसे बड़ा नाम अभी तक प्रख्यात फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन और उनकी पुत्रवधु ऐश्वर्या राय का है। इसके बाद कई व्यापारियों के नाम भी हैं मगर चीन और पाकिस्तान के हुक्मरानों के परिवारों के नाम आ रहे हैं और ब्रिटेन भी इस मामले में पीछे नहीं है। सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि आइसलैंड जैसे देश के प्रधानमंत्री भी इस मामले में फंस रहे हैं जबकि आइसलैंड स्वयं में एक टैक्स हैवंस देश माना जाता है। इसके साथ यह रहस्योद्घाटन भी हो रहा है कि उत्तरी कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को वित्तीय मदद देने के लिए भी एक कंपनी पनामा में खोली गई। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का नाम भी इस मामले में आ रहा है। सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का नाम आना माना जा रहा है। आखिरकार यह सारा मायाजाल है क्या जिससे पर्दा उठ रहा है। इस मायाजाल को फिलहाल समझना आसान काम नहीं है क्योंकि वैश्विक भूमंडलीकरण के दौर में व्यापार की सीमाएं राष्ट्र के दायरों से बाहर हो गई हैं। इसमें वाजिब और गैर-वाजिब व्यापारिक गतिविधियों की जांच होना बहुत जरूरी है मगर इतना तय है कि राजनीतिज्ञों की व्यापारिक गतिविधियों को इस दायरे में नहीं रखा जा सकता है क्योंकि उनके लिए अपने देश से बाहर कोई भी अन्य देश सुरक्षित स्थान नहीं हो सकता। भारतीयों के बारे में जांच करने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेतली ने विभिन्न जांच एजेंसियों का संयुक्त कार्यदल गठित करने की घोषणा की है।

इसकी वजह यही है कि यह दल विभिन्न जांच एजेंसियों के कार्यक्षेत्रों के दायरे में सभी पक्षों पर बेबाक जांच कर पायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर यह काम हो रहा है। भारत यह मांग पिछले दो दशकों से करता आ रहा है कि आतंकवादी गतिविधियों के वित्तीय पोषण के सभी रास्तों को बंद किया जाना चाहिए। विश्व बैंक से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और जी-20 देशों के संगठन से लेकर जी-8 तक के संगठनों के मंच पर श्री प्रणव मुखर्जी से लेकर अरुण जेतली और मनमोहन सिंह से लेकर नरेंद्र मोदी तक ने यह आवाज पुरजोर तरीके से उठाई कि टैक्स हैवंस देशों को अपने बैंकिंग उद्योग को अंतरराष्ट्रीय सूचना के आदान-प्रदान के दायरे में लाना होगा। इसमें आंशिक सफलता भी प्राप्त हुई है। दर्जन से ज्यादा टैक्स हैवंस देशों समेत भारत ने 80 से अधिक देशों के साथ दोहरी कर वंचना संधि पर हस्ताक्षर किए हैं जिससे कालाधन वापस भारत में आ सके। बेशक इस मामले में अतिश्योक्तियां होती रही हैं मगर सच्चाई यही है कि कालाधन वापस लाने के लिए भारत को द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों से लेकर अंतरराष्ट्रीय नियमों की प्रणाली से गुजरना पड़ता है क्योंकि टैक्स हैवंस देश भी प्रभुसत्ता सम्पन्न स्वयंभू देश होते हैं। उन्हें कोई दूसरा देश अपनी शर्तों के मुताबिक नहीं हांक सकता मगर पनामा लीक्स पूरी दुनिया में समानांतर गुप्त अर्थव्यवस्था की घोषणा कर रहा है जो नितांत गंभीर मामला है।
 

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