26 Apr 2024, 05:48:56 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

- कैलाश विजयवर्गीय
लेखक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं।


भारत माता की जय और वंदे मातरम् के नारे ने अंग्रेजों को भगाकर देश को आजादी दिलाई। आज ऐसे ही नारों को लेकर कुछ फिरकापरस्ती ताकतें देश के माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहीं हैं। भारत माता की जय न बोलने को लेकर ही पाकिस्तान की मांग की नींव रखी गई थी। मुसलमानों के लिए अलग देश बनाने की मांग करने वाले मोहम्मद अली जिन्ना ने भारत माता की जय न बोलने की बात कह के देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता सैनानियों का मनोबल तोड़ने की कोशिश की थी। जिन्ना अपनी राजनीति से देश को तोड़ने में सफल रहे। आज उसी तरह का माहौल फिर से बनाया जा रहा है।

एक तरफ पूरी दुनिया मुस्लिम आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठा रही है तो दूसरी तरफ हमारे अपने देश भारत में भारत माता की जय का विरोध कर उन्ही कटट्र आतंकवादी समर्थक ताकतों को बढ़ाने की साजिश रच रहे हैं। आॅल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन के नेता ओवैसी ने भारत माता की जय न बोलने का ऐलान करके देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश की है। ओवैसी का कहना था कि अगर उनकी गर्दन पर छुरा भी रख दिया जाए तब भी वह भारत माता की जय का नारा नहीं लगाएंगे। ओवैसी का कुतर्क था कि भारत माता की जय न बोलने के लिए देश का संविधान उन्हें इजाजत देता है। संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि भारत माता की जय बोलना जरूरी है। औवेसी के बयान पर देशभर में तीखी प्रतिक्रिया होने पर उन्होंने हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाए। औवेसी के बाद महाराष्ट्र में एमआईएम के विधायक वारिस पठान को भारत माता की जय नहीं बोलने पर विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था। दरअसल आजाद भारत में कुछ कट्टरपंथी, मुस्लिम उग्रवाद को बढ़ावा देने के लिए ही इस तरह की बयानबाजी करते रहते हैं। औवेसी इस समय मुसलमानों का ध्रुवीकरण कर उग्रवाद की राजनीति कर रहे हैं जो देश के लिए अत्यंक घातक है। याद कीजिए कि कई साल पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद आजम खां ने भारत माता को डायन कहा था। आजम और औवेसी जैसे नेता हिंदुस्तान के मुसलमानों को विकास के रास्ते पर ले जाने के बजाय कट्टरपंथ की तरफ धकेलना चाहते हैं। हैरानी की बात यह है कि देश की जय बोलना मजहबी बताया जा रहा है। अब मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी कर दिया है कि भारत माता की जय बोलना मुसलमानों के लिए जायज नहीं है। फतवे में कहा गया है कि मुसलमान एक खुदा में यकीन रखते हैं और खुदा के अलावा किसी और की बंदगी नहीं कर सकते। इस फतवे में कहा है कि देवी के रूप में भारत माता या राष्ट्र की वंदना करना गैर-इस्लामी है। औवेसी का जवाब तो राज्यसभा में मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने भी दिया था। उन्होंने भारत माता की जय के नारे भी लगाए। देश में भारत माता की जय के नारे लगाने वाले वतन परस्त मुसलमानों की संख्या भी कम नहीं है। शहीद अश्फाख उल्लाह खां भारत माता की जय का नारा लगाते हुए फांसी के फंदे पर चढ़ गए थे और आजाद भारत में केप्टन अब्दुल हमीद ने भारत माता की जयकारा लगाते हुए पाकिस्तानी पेट्रन टैंकों को उड़ाकर भारत माता की विजय का इतिहास लिख दिया था। आजादी के आंदोलन में हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमानों ने भी भारत माता की जय के नारे लगाए और ब्रिटिश हुकुमत को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। जिन मुसलमानों को भारत माता की जय बोलने से ऐतराज था वे बंटवारे के समय पाकिस्तान चले गए। ोयह हिंदुस्तान है, पाकिस्तान नहीं है। यहां तो भारत माता की जय के नारे लगाने ही होंगे। अन्ना हजारे के साथ तिरंगा लेकर भारत माता की जय के नारे लगाने वाले अरविंद केजरीवाल और उनकी कंपनी के लोग अब औवेसी जैसे लोगों के खिलाफ क्यों नहीं खड़े हो रहे हैं? अब केजरीवाल को भारत माता की जय का विरोध करने वाले क्यों देशभक्त नजर आ रहे हैं? केजरीवाल जैसे लोग ही जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी का मामला हो या हैदराबाद यूनिवर्सिटी में देशविरोधी गतिविधियों का, वोट के लालच में हमेशा खड़े हो जाते हैं। सच्चे मुसलमान भी वहीं है जो इबादत के साथ वतन से प्यार करें देश सबसे बड़ा है। मुसलमानों की सबसे बड़ी किताब पाक कुरान शरीफ में भी वतन परस्ती की वकालत की गई है। खुद हुजूर साहब ने एक नहीं अनेक अवसरों पर अपने वतन के प्रति समर्पित रहने की तहरीर दी हैं। समझ में नहीं आता कि ओबेसी और देववंद के मौलवी जैसे लोग एक ओर तो किताब को सर्वोच्च मानते हैं, वहीं दूसरी ओर वतन परस्ती के उनके सबक और हिदायत को मानने से इनकार करते हैं। भारत में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। अपने-अपने तरीके से सभी अपने ईश्वर की पूजा करते हैं। दारुल उलूम का कहना है कि भारत माता देवी के रूप में है, उनके हाथ में झंडा है, इसलिए पूजा नहीं की जा सकती है। भारत माता की जय बोलने न बोलने के लिए यह अजीब तर्क है। सवाल यही है कि जय हिंद कहना इस्लाम में वाजिब है, हिंदुस्तान जिंदाबाद कहना भी सही है तो भारत माता की जय बोलने में एतराज क्यों हैं? जब यह देश तरक्की के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है तो ऐसे में फिरकापस्ती ताकतें राजनीतिक लामबंदी के लिए मुसलमानों को भड़का रही हैं। मैं दारूल उलूम देववंद के दानिशमंद मौलवियों से विनम्रतापूर्वक ये गुजारिश करना चाहता हूं कि जय का संबंध जीत से है ना कि इबादत से। जब हम भारत माता की जय का नारा लगाते हैं तो हम कोई इबादत नहीं कर रहे होते हैं, बल्कि हम अपने वतन की जीत की बात कर रहे होते हैं। यदि कोई मुसलमान अपने देश की जीत की बात करे, विजय की बात करे तो वो काफिर कैसे हो सकता है? मौलवी साहब जय का संबंध धर्म से नहीं भाषा इतिहास और आस्था से है। मेहरबानी करके भाषा को अपनी राजनीति से मुक्त रखिए। जनाब ओवैसी जब ये देश बचेगा तब आप सांसद बन पाएंगे, जब ये देश ही नहीं बचेगा तो आप कौन सी कुर्सी पर बैठेंगे? अपनी नजीरों से, अपनी तहरीरों से वतन को मत बांटिए। किसी भी भारतीय के लिए देश की जय लगाने से अधिक गौरव का विशय और कुछ नहीं हो सकता है। ओवैसी साहब मैं आपको चेतावनी देना चाहता हूं कि बहुत लंबे समय तक आपकी ये फिरका परस्ती की राजनीति नहीं चलेगी और वह दिन दूर नहीं हैं जब देश का सच्चा मुसलमान ही आपको और आप जैसे लोगों को भारत माता की जय का नारा लगाने के लिए मजबूर करेगा। इस देश में रहना है तो भारत माता की जय बोलना पड़ेगा। भारत माता की जय थी, भारत माता की जय है और भारत माता की जय रहेगी।
 

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