26 Apr 2024, 19:42:46 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

यह बात अब आश्चर्यजनक नहीं लगती कि युवा व किशोर लड़के व लड़कियों में परस्पर मित्रता होती है। सह-शिक्षा के साथ-साथ कार्यस्थल पर भी दोनों साथ-साथ होते हैं। विचारों का आदान-प्रदान तो होता ही है और उसके साथ आत्मीय वार्तालाप भी होता है। मोबाइल के युग ने यह नजदीकियां और बढ़ा दी हैं। पैरेंट्स भी अब इस बात को लेकर असहज नहीं होते कि उनके किशोर वय अथवा युवा पुत्री के मैत्री संबंध हैं। प्राय: कई अवसर ऐसे भी होते हैं जब यह युवा एक साथ मनोरंजन के लिए इकट्ठे होते हैं।

यह संंबंध एक स्वस्थ मनोवैज्ञानिक मानस के अंतर्गत भी स्वीकारे जाने लगे हैं और इस व्यक्तित्व के विकास का आवश्यक हिस्सा भी माना जा रहा है। जहां तक लड़के व लड़कियों के मैत्री संबंधों का प्रश्न है उस पर विरोध जताया जाना निरर्थक है। युवक व युवतियां एक व्यक्ति हैं उनमें दीवारें खड़ी करना किसी भी दृष्टिकोण से स्वस्थ नहीं कहा जा सकता। यहां तक तो बात समझ आती है पर आजकल ऐसे समाचार भी आ रहे हैं कि इस मित्रता का गलत अर्थ निकालकर उसका दुरुपयोग भी किया जा रहा है। कई बार युवा अपनी गर्लफ्रेंड पर स्वामित्व जताने लगते हैं और यदि वह इस मित्रता से बाहर आना चाहती है तो उस पर हिंसक भी हो उठते हैं। उस पर अनावश्यक अधिकार जताने की यह कोशिश में वह उसे आहत करने से भी नहीं चूकते। यहां तक कि वह इस मित्रता के छद्म आवरण का सहारा लेकर उससे बेजा हरकत व व्यवहार भी कर डालते हैं। मित्रता का यह रूप बहुत निकृष्ट व घिनौना है और किसी युवती के साथ किया जाने वाला सबसे बड़ा विश्वासघात है। इस तरह की घटनाएं समाज में यह गलत संदेश देती हैं कि ऐसी मित्रता को स्वीकारा नहीं जाना चाहिए, परंतु यह दृष्टिकोण अब और आज माहौल में संभव नहीं है।

यदि यह मैत्री भाव स्वीकारा जाता है तो इसके लिए अभिभावकों को अपनी जिम्मेदारी समझना होगी। वह सत्य से तटस्थ रहकर इस मित्रता के प्रति अपने कर्तव्य की अनदेखी करके नहीं रह सकते। उन्हें अपने पुत्र व पुत्री दोनों को उस मित्रता के पक्षों के प्रति संस्कारित करना होगा। विशेषकर लड़कों को इस मित्रता की गहराई समझाना होगी। पश्चिम में इस तरह का अभियान चलाया जा रहा है जहां स्कूलों में ही विशेष कार्यशालाओं का आयोजन कर किशोरवय लड़कों को परामर्श दिया जा रहा है के अपनी गर्लफ्रेंड के साथ वॉयलेंट (हिंसा से भरा) व्यवहार कभी न करें अर्थात उसे मानसिक व शारीरिक रूप से कभी आहत न करें। पैरेंट्स के साथ ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं जिनमें उन्हें परामर्श दिया जा रहा है कि वे अपने बेटों को ऐसा व्यवहार न करने के लिए समझाइश देते रहें। हमारे आज के समाज के गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड की अवधारणा लगभग स्थापित हो चुकी है। पर, हमारे समाज व उसके परिवारों की सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि इस बात को लेकर परिवार में माता-पिता और बच्चे कोई संवाद नहीं करते। पर, शुतुरमुर्ग की तरह रेत में मुंह छिपाने से तो काम नहीं चल सकता। जब इस तरह के समाचार आते हैं कि किसी युवक व किशोर ने कोई अप्रिय व्यवहार कर दिया तो माता-पिता ही सबसे अधिक आहत होते हैं। यदि माता-पिता अपने बच्चों को अब इस मित्रता के लिए भी संस्कारित कर दें और समझाइश देते रहें तो इस मैत्री में भी स्वस्थता बनी रहेगी।
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