26 Apr 2024, 11:07:16 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

आजकल वास्तव में बच्चों में देखकर तथा उनके द्वारा किए गए कारनामों के प्रदर्शन को देखकर आश्चर्य होता है। कैसे-कैसे गुणों और योग्यता से बच्चे भर गए हैं। जिस उम्र में हम लोगों को नाक पोंछनी तक नहीं आती थी उस उम्र में बच्चे हैरतअंगेज कार्य कर रहे हैं। यह कैसी शक्ति उनमें भर गई है।

टीवी पर बच्चों के लिए गाना गाने अर्थात उनकी संगीत की दक्षता की प्रतिस्पर्धा कोई चैनल आयोजित करता है तो बच्चों के सधे हुए गलों की क्षमता देखकर दांतों तले अंगुली दबाना पड़ती है। चयनकर्ता पहले 15-16 बच्चों का चयन करते हैं। तब उनमें परस्पर प्रतियोगिता होती है। जब उनमें से किसी बच्चे को प्रतिस्पर्धा से वोटिंग की प्रक्रिया के तहत बाहर किया जाता है तब पहली प्रतिक्रिया यह उठती है कि- इसे क्यों बाहर किया गया? ‘‘ प्रत्येक सप्ताह किसी बच्चे के प्रतिस्पर्धा से बाहर करने या उसके जाने पर एक ‘आह’ तो निकलती ही है। कितनी हैरानी होती है उनके सुरीले गायन को सुनकर और शब्दों के उच्चाकरण व उनके आरोह-अवरोह के स्वरों पर अधिकार को देखकर। इतने सारे बच्चे इतना कर्णप्रिय संगीत सीख चुके हैं और बिना झिझक व हिचकिचाहट के श्रोताओं व जजों के सामने माइक को सही स्थान से पकड़कर सुन सकते हैं हैरत भरा कारनामा लगता है। अभिनय का क्षेत्र ले लें। अभी एक चैनल ने बच्चों के अभिनय की क्षमता पर आधारित कार्यक्रम का प्रसारण किया, उसमें हर उम्र के बच्चे शामिल थे। सच में उनकी भाव-भंगिमाओं को देखकर व अभिनय की बारीकियों की प्रस्तुति चमत्कृत करने वाली थी। बच्चों का एक वह जमाना भी था जब वह मां के पल्लू के पीछे छिपे रहते थे, किसी हद तक डरे व सहमे रहते थे। पर, आज तो उनकी क्षमताएं व योग्यताएं नित्य परवान चढ़ रही हैं।

कभी कोई समाचार आता है कि अंग्रेजी भाषा के शब्दों की स्पैलिंग में किसी बच्चे ने बाजी मार ली। उसे कठिन से कठिन शब्दों की स्पैलिंग बताने में एक सेकंड भी नहीं लगता तो कोई बच्चा गणित (मैथ्स) की कठिन गुत्थियों को ऐसे हल कर लेता है जैसे उसके मस्तिष्क में कोई कैल्क्यूलेटर लगा हुआ हो। अभी कुछ दिन पहले भारत की 9-10 वर्ष की बच्ची ने कैनेडा में आयोजित एक कार्यक्रम में बच्चों की समस्याओं को लेकर ऐसा मौलिक भाषण दिया कि उसे विश्व की इस प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ वक्ता चयनित किया गया और मीडिया में उसकी बहुत चर्चा हुई।

ऐसे चमत्कारिक बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। हमें तो लगता है कि इसके दो कारण हैं। बहुत कुछ इसमें महाभारत के अभिमन्यु वाली कथा का सच छिपा है। उसने माता के गर्भ में चक्रव्यूह में प्रवेश करने की प्रक्रिया सुनी थी और वह उसे स्मरण रही। आज की माताएं बहुत अवेयर हैं व बहुत कुछ जानती और समझती हैं। वह कई प्रकार के ज्ञान आत्मसात करती हैं। दूसरा आजकल जन्म होते ही बच्चों के सामने एक विशाल व विस्तृत विश्व का ज्ञान भंडार खुल जाता है। कई स्वर, कई शब्द व कई विचार उसके मानस पटल को स्पर्श करते हैं। उसका मस्तिष्क उनमें से अपने प्रिय विषय का चयन कर उसमें पारंगत हो जाता है। यदि ऐसा ही है तो भावी माताएं अपने भावी शिशुओं के गर्भ संस्कार पर बहुत ध्यान दें।
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