27 Apr 2024, 05:59:33 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-अश्विनी कुमार
पंजाब केसरी दिल्ली के संपादक

गुड़गांव में आयोजित दो दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन शुरू होने से पूर्व ऐसी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जिस तरह दुकानों, शोरूमों और शापिंग मॉलों को आग के हवाले किया गया, हजारों-करोड़ की संपत्ति का नुक्सान हुआ, उसे देखते हुए राज्य में निवेश करने कौन आएगा लेकिन यह आशंका निर्मूल साबित हुई। निवेशकों ने हरियाणा में एक बार फिर विश्वास जताते हुए पहले ही दिन एक लाख 25 हजार करोड़ के निवेश के समझौते किए हैं।

जाट आंदोलन के शांत होने के बाद इस बात की चिंता थी कि राज्य के विकास की गति अवरुद्ध होगी क्योंकि आज के दौर में छोटी से छोटी दुकान बनाने और चलाने में वर्षों की कड़ी मेहनत लगती है, शापिंग मॉल बनने में कई वर्ष लग जाते हैं लेकिन हरियाणा के लोगों के जज्बे और साहस की दाद देनी पड़ेगी कि तमाम मुसीबतों के बावजूद जनजीवन सामान्य हो रहा है। अब हरियाणा में अगर विकास की गति को तेज करना है तो इसके लिए राज्य को भारी निवेश की जरूरत है। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली, शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू, रेल मंत्री सुरेश प्रभु, केन्द्रीय पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, मारुति सुजुकी के चेअरमैन आर.पी. भार्गव और भारती इंटरप्राइजेज के सीएमडी सुनील भारती मित्तल समेत कॉरपोरेट सेक्टर के दिग्गजों ने हरियाणा को निवेश के लिए सबसे बेहतर राज्य बताया। इसमें कोई संदेह नहीं कि राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के शहरों में चाहे वह गुड़गांव हो या फरीदाबाद, होडल, बल्लभगढ़ हो या सोनीपत, इनमें आटोमोबाइल, कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की अपार संभावनाएं हैं।

हालांकि यह शहर राजधानी से जुड़े हुए हैं लेकिन भीड़भाड़ और रोजाना ट्रैफिक जाम की समस्या को देखते हुए इन शहरों की दिल्ली से कनेक्टिविटी बेहतर बनाने की जरूरत है। केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू को खुद जाम में फंस कर अहसास हुआ कि समस्या कितनी गंभीर है और इन शहरों के लिए क्या करने की जरूरत है। तभी उन्होंने कहा कि अगर बुनियादी ढांचे की तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो गुड़गांव से दिल्ली आने के लिए डेढ़ घंटा नहीं तीन घंटे लगा करेंगे। हालात तो आज भी ऐसे ही हैं। अगर आप 5 बजे के बाद गुड़गांव से दिल्ली आने के लिए निकलते हैं तो तीन घंटे तो कम से कम लग ही जाते हैं। यह अच्छी बात है कि नागरिक विमानन मंत्रालय क्षेत्रीय हवाई संपर्क को मजबूत करने के लिए निष्क्रिय पड़ी दो हवाई पट्टिकाओं को सक्रिय कर रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तो दिल्ली से गुडगांव की कनेक्टिविटी बेहतर बनाने के लिए मौजूदा एक्सप्रेस-वे जैसे दो से तीन नए रूट तैयार करने का सुझाव दिया है। ऐसे रूट तैयार करने की अत्यंत जरूरत है। फरीदाबाद, करनाल को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए चयनित किया गया है। राज्य सरकार गुड़गांव को भी स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करेगी। वैश्विक शिखर सम्मेलन में हरियाणा में फार्मा उद्योग के पुन: खड़ा होने की उम्मीदों को बल मिला है। सम्मेलन में पहुंची दवा बनाने वाली कंपनियों ने गुड़गांव और आसपास दोबारा अपने उद्योग स्थापित करने की योजना बनाई है।
 

कभी गुड़गांव और इसके आसपास के क्षेत्र में दर्जनों दवा बनाने वाली कंपनियां होती थीं, जो काफी समय पहले हिमाचल और उत्तराखंड चली गई थीं। हिमाचल और उत्तराखंड ने उन्हें अधिक सुविधाएं देकर आकर्षित किया था। गुड़गांव में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुख्यालय, बड़े-बड़े मेडिकल अस्पताल और भव्य शापिंग मॉल हैं। प्राय: राजधानियों से जुड़े शहर जल्दी विकसित हो जाते हैं लेकिन हरियाणा के समग्र विकास के लिए जरूरी है कि उन पिछड़े क्षेत्रों में भी उद्योग लगे जहां के लोगों को रोजगार की अत्यंत जरूरत है। हरियाणा आईटी, विनिर्माण और कृषि आधारित उद्योग में देश में अग्रणी है।

केन्द्र और राज्य सरकार को भी चाहिए कि राज्य के समग्र विकास के लिए जीटी रोड से अलग-थलग पड़े ग्रामीण क्षेत्रों की ओर ध्यान दे, 120 एकड़ में स्थापित किए जाने वाली रेल कोच फैक्टरी को ऐेसी जगह लगाएं जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। हिंसा प्रभावित लोगों को सरकार क्षतिपूर्ति राशि तो दे ही रही है, जरूरत है निवेश के लिए उचित वातावरण तैयार करने की। उम्मीद है कि राज्य के विकास के लिए हरियाणा के लोग अपना दायित्व समझेंगे और भविष्य में कोई दुर्भाग्यशाली स्थिति निर्मित नहीं होगी। फिलहाल निवेशकों ने हरियाणा में भरोसा जताकर पहले ही दिन निवेश के लक्ष्य को याद करा दिया है। यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।

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