26 Apr 2024, 16:48:31 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
zara hatke

हाथ नहीं, हौसले से तैरता है अब्दुल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 25 2015 2:33AM | Updated Date: May 25 2015 2:33AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

रतलाम। इच्छाशक्ति और कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो इंसान वह कर जाता है जो अजूबा लगता है। ऐसा ही कुछ किया है रतलाम के नौ वर्षीय अब्दुल कादिर ने। हादसे में दोनों हाथ गंवाने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी और तैराकी सीखी। यही नहीं, मात्र 20 दिन में इसे सीख भी लिया। वह तैराकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का दृढ़ संकल्प कर चुका है।
 
 
स्थानीय कलमी कॉलोनी निवासी अब्दुल कादिर पिता हुसैन इंदौरी के हादसे में दोनों हाथ चले जाने के बाद वह पैरों से लिखने के साथ ही सारा कार्य करने लगा था। उसकी खबरें मीडिया में आने के बाद अमृत गार्डन स्विमिंग पूल कोच राजा राठौड़ ने उसे तैराकी सिखाने का निर्णय लिया। वह अब्दुल कादिर के पिता से मिले और स्विमिंग में ट्रेंड करने की बात कही। वे मन गए। राजा ने बताया मात्र 20 दिन में अब्दुल अच्छे से तैराकी करने लगा।
 
 
24 मई को हुआ था हादसा
अब्दुल कादिर मां फातेमा के साथ भोपाल गया था, वहां 24 मई की दोपहर में मकान की छत पर हाईटेंशन लाइन पकड़ने के कारण गंभीर रूप से जख्मी हो गया था। इलाज के लिए उसे मुंबई ले जाया गया, जहां 1 जून  को उसका आॅपरेशन हुआ। हादसे में वह दोनों हाथ गंवा बैठा था। इसके बाद भी वह हारा नहीं, पैरों के माध्यम से लिखने, लैपटॉप व मोबाइल चलाने लगा। उसके हौसले ने हमें नई जिंदगी दे दी। शासन द्वारा बेटे को  कृतिम हाथ लगाए जाना है। इसमें लगभग 13-14 लाख रुपए का खर्च आएगा।
 
 
आंखों में आ गए आंसू
पोते को इतने अच्छे से तैराकी करते देख उसके दादा ताहेर और दादी हजाराबाई की आंखों में आंसू आ गए।
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »