बेंगलुरु। मुगल शासक औरंगजेब ने 1686 में बीजापुर के शासकों को पराजित किया था और उसके बाद दक्षिण के महत्वपूर्ण शहर बेंगलुरु को तीन लाख रुपए में बेच दिया था। अपने असहिष्णु और आक्रामक व्यवहार के लिए कुख्यात मुगल शासक औरंगजेब की योजना दक्षिण में भी खुद को अजेय साबित करने की थी। दक्षिण में औरंगजेब के सामने उस वक्त सिर्फ मराठा साम्राज्य की चुनौती थी। औरंगजेब और मराठों के वर्चस्व की इस लड़ाई का प्रमुख केंद्र बेंगलुरु था। मराठों और मुगलों के बीच वर्चस्व की जंग में मैसूर के राजा चिक्का देवराजा वाडियार की इच्छा इस इलाके में अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक आजादी को बनाए रखने की थी। इसी योजना के तहत उन्होंने सही वक्त पर सही ताकत का समर्थन किया और बदले में फायदा उठाया।मराठों से किया था सौदा और पैसा चुकाया मुगल शासकों को....
‘द मैसूर मुगल रिलेशंस’ के लेखक बी. मुद्दाचारिया लिखते हैं कि इकोजी ने तंजावुर में अपनी राजधानी बनाई थी। मराठा आर्थिक तौर पर कमजोर थे और स्थानीय शासकों की ओर से बेंगलुरु पर किए जा रहे लगातार हमलों का जवाब देने में सक्षम नहीं थे। ऐसे में इकोजी ने बेंगलुरु को सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को बेचने का फैसला ले लिया। मराठा शासक की वाडियार से सौदे की वार्ता शुरू हुई जो तीन लाख रुपए में फाइनल हो गई। मुद्दाचारिया लिखते हैं, ‘यह सौदा अभी अधर में ही था कि कासिम खान के नेतृत्व में मुगल सेना ने शहर पर हमला बोल दिया और 10 जुलाई, 1687 को दुर्ग पर कब्जा कर लिया।’ देवराजा वाडियार ने इस लड़ाई में मुगलों के साथ लड़ने का फैसला किया। इसके बाद वाडियार ने मराठा शासक से जो सौदा किया था, उतनी ही रकम लेकर मुगलों ने बेंगलुरु को उनके सुपुर्द कर दिया।