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शादीशुदा होकर धोखा देना पड़ा महंगा, मिली अब ये सजा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 7 2017 9:36AM | Updated Date: Jun 7 2017 9:36AM
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नई दिल्‍ली। शादीशुदा होते हुए खुद को कुंवारा बताकर दूसरी शादी करने वाले शख्स को दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप का दोषी करार देते हुए सात साल कैद की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने शारीरिक संबंध बनाने के लिए अपनी सहमति यह सोच कर दी थी कि वह आरोपी की पत्नी है, लेकिन हकीकत यह थी कि आरोपी पहले से शादीशुदा था।
 
इस मामले में पीड़िता करोल बाग इलाके में दुकान चलाती थी। आरोपी उसके पास बैंक की किस्त लेने आता था और उनमें प्रेम हो गया। इसके बाद परिवार वालों की मर्जी से आरोपी ने लड़की से 21 जुलाई 2008 को शादी कर ली। शादी के वक्त आरोपी ने हलफनामा देकर बताया कि वह अविवाहित है। शादी के अगले दिन वह पटेल नगर स्थित एक किराए के घर में लड़की को ले गया और दोनों पति-पत्नी की तरह रहने लगे। 
 
राशन कार्ड से खुल गई पोल
लड़की का आरोप था कि आरोपी देरी से घर आता था। गत 25 जुलाई को आरोपी ने बताया कि वह बैंक टूर पर जा रहा है 10 अगस्त तक लौटेगा। वह चाहे तो मायके चली जाए। इसके बाद आरोपी वापस आया और बहन के घर राखी पर गया। यही सिलसिला चलता रहा। जब भी घर आता तो संबंध बनाने के बाद गर्भ निरोधक दवा का इस्तेमाल करने को कहता था।
 
वह नहीं चाहता था कि बच्चा हो।  बाद में उसने रात को भी आना बंद कर दिया। एक बार जब वह मायके जाने के लिए समान की पैकिंग कर रही थी तो राशन कार्ड की कॉपी देखकर वह दंग रह गई क्योंकि उसमें आरोपी की पहले से शादी और बच्चे का सबूत मिल गया था। पीड़िता के पूछताछ करने पर उसने कबूल किया उसकी पहले शादी हो चुकी है। 
 
निचली अदालत के फैसले को मान्य किया
दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस मुक्ता गुप्ता की बेंच ने इस सिलसिले में अपने फैसले में कहा कि ये साबित होता है कि आरोपी ने लड़की से 21 जुलाई 2008 को हिंदू रीति रिवाज से शादी की थी। जब आरोपी ने पीड़िता से शादी की थी तब हलफनामा देकर माना था कि वह अविवाहित है। शादी के बाद दोनों पति-पत्नी की तरह रहे और पीड़िता ने बतौर पत्नी उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की सहमति दी। चूंकि साबित हो चुका है कि आरोपी पहले से शादीशुदा था, इसलिए अदालत उसे रेप के मामले में दोषी करार देती है, साथ ही पहली शादी रहते हुए दूसरी शादी करने के मामले में भी दोषी ठहराती है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में दखल से इनकार करते हुए आरोपी की अर्जी खारिज कर दी। 
 
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