जयपुर। अक्सर किसान सरकारी नौकरी मिलने या अन्य कोई व्यापार शुरू कर किसानी छोड़ देते हैं। ऐसे में यदि कोई सरकारी नौकरी छोड़कर किसानी करने लगे तो यह वाकई चौंकाने वाली बात होगी। राजस्थान के जैसलमेर में हरीश धनदेव ने सरकारी नौकरी से संतुष्ट न होने पर इस्तीफा देकर अपना कॅरियर कृषि क्षेत्र की ओर ले जाने का निर्णय लिया और अब वह करोड़पति किसान हैं।
दरअसल हरीश धनदेव एक बार सरकारी नौकरी के दौरान दिल्ली में एक कृषि एक्सपो में पहुंचे थे, जहां उन्होंने जाना कि एलोवेरा की खेती करने से न सिर्फ आय में वृद्धि होगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में देश के विकास में भागीदारी भी होगी। इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया और एलोवेरा की खेती करने का निर्णय लिया।
पतंजलि को बेचना शुरू किया एलोवेरा का जूस
धनदेव ने लगभग 120 एकड़ जमीन पर एलोवेरा समेत कई चीजों की खेती करना शुरू कर दिया। जैसलमेर से 45 किलोमीटर दूर धहिसर न्यूट्रीलो एग्रो नाम से अपनी एक कंपनी खोली, जहां बड़ी संख्या में एलोवेरा की खेती कर उसे बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी को बेचना शुरू किया। एलोवेरा का जूस तैयार करने के लिए अधिक मात्रा में एलोवेरा की जरूरत हुई, तो हरीश ने अपनी खेतों में उसका अधिक उत्पादन शुरू कर दिया। एलोवेरा की पैदावार अधिकतर रेतीली क्षेत्रों में होती है।
हरीश ने इसका फायदा उठाया और एलोवेरा की बड़े स्तर पर खेती की। इसकी मांग न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी है। हरीश द्वारा उगाए गए एलोवेरा की क्वालिटी बेहतरीन होने की वजह से पतंजलि ने भी मांग बढ़ा दी। इसका फायदा हरीश को इतना मिला कि वह कुछ ही महीनों में मालामाल हो गए।
125 से 150 टन तक किया निर्यात
हरीश ने एलोवेरा के अलावा बाजरा, अनाज, मूंग आदि खाद्य पदार्थों की खेती की। इन चीजों की मांग इतनी बढ़ गई कि न सिर्फ भारत बल्कि ब्राजील, हॉन्ग-कॉन्ग और अमेरिका में भी निर्यात की जाने लगी। शुरुआत में हरीश ने एलोवेरा के लगभग 80 हजार पौधे रोपे और धीरे-धीरे बढ़ाकर लगभग सात लाख पौधे लगा दिए। हरीश ने बताया कि पिछले चार महीनों के भीतर हरिद्वार में लगे पतंजलि फैक्टरियों में 125 से 150 टन एलोवेरा का सप्लाई किया।