ओबरा। आदमी लगन और ईमानदारी से किसी काम में जुट जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। इसे साबित कर दिखाया है सोनभद्र में चोरपनिया गांव के आदिवासियों ने। गांव में बच्चों की शिक्षा में जब एक पहाड़ आड़े आने लगा तो ग्रामीणों ने पहाड़ को काटकर लगभग पांच किलोमीटर लंबा रास्ता बना दिया। अब उसी रास्ते से ग्रामीणों का आवागमन हो रहा है। इस पहल की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चोरपनिया के ग्रामीणों को गुरुवार को लखनऊ में सम्मानित भी किया। इसके लिए ग्रामीणों का एक दल बुधवार को अपर जिलाधिकारी रामचंद्र के नेतृत्व में यहां पहुंच गया।
खुद जुटते गए लोग... और बन गया रास्ता
पनारी ग्राम पंचायत के चोरपनिया गांव के ग्रामीणों ने हर रविवार को इस सड़क के लिए श्रमदान किया। यहां के शिवकुमार बताते हैं कि गांव के दोनों तरफ मौरंगयुक्त मिट्टी वाली छोटी पहाड़ी है। इस वजह से यहां सड़क नहीं बन पा रही थी। उन्होंने बताया कि गांव उत्तर दिशा में अदराकुदर तक पक्की सड़क है। दक्षिण में भी खैराही तक पक्की सड़क है। बीच में चोरपनिया गांव तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था। उन्होंने बताया कि छह किमी की सड़क बनाने के दौरान गांव के किसी भी व्यक्ति पर कोई दबाव नहीं बनाया गया। सभी लोग स्वत: श्रमदान करने के लिए आगे आ रहे थे।
वन विभाग ने जताई थी आपत्ति, लेकिन जज्बे से पिघले
धीरे-धीरे लगभग दो साल में ग्रामीणों ने गांव के दोनों तरफ मौरंग की छोटी-छोटी पहाड़ियां काटकर तीन-तीन किलोमीटर की सड़क बना दी। ग्रामीणों ने गांव के उत्तरी तरफ अदराकुदर और दक्षिण तरफ खैराही तक रास्ता बना दिया है। गांव के रामकुमार, रामलाल, अशोक, रामकिशुन, रघुवीर, गुलाब, छोटेलाल आदि ने कहा कि शुरुआत में वन विभाग के लोगों ने इस पहाड़ी को काटने से मना किया था लेकिन ग्रामीणों की जरूरत व जज्बा देख वह भी चुप हो गया।