नई दिल्ली। ब्रिटिश कंपनी हाइब्रिड एयर व्हीकल (एचएवी) का दुनिया का सबसे बड़ा विमान एयरलैंडर-10 अगले माह उड़ान भरेगा। फुटबॉल के मैदान के आकार का यह विमान दो हफ्ते तक हवा में रह सकता है। इस विमान की पहली उड़ान मार्च में ब्रिटेन के बेडफोर्डशायर से संचालित की जाएगी। एयरलैंडर के बड़े आकार की वजह हीलियम से भरा पेंदा हैं जो इसे उड़ान भरने और उतरने में मदद करेगा।
इस विमान में 48 यात्री और चालक दल के सदस्य ऐशोआराम के साथ सफर कर सकते हैं। वे मजे से केबिनों में घूम सकते हैं और खिड़कियों से बाहर का नजारा देख सकते हैं। परीक्षण के दौरान इसे केवल चार हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ाया जाएगा और यह केवल 17.25 मील का ही सफर तय करेगा। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो यह विमान कई तरह की भूमिकाएं निभा सकता है।
एचएवी इसे अमेरिकी सेना के लिए बना रही थी और इसका इस्तेमाल अफगानिस्तान में किया जाना था। लेकिन रक्षा बजट में कटौती के कारण अमेरिकी सेना ने इससे हाथ खींच लिए। हालांकि ब्रिटिश सरकार और कई हस्तियों ने इस परियोजना को भरपूर मदद दी। विमान के पेंदे को खास फैब्रिक से बनाया गया है, जो इसे अंदर से मजबूती देता है। इसके बाहर पॉलीविनाइल फ्लोराइड की कोटिंग है जबकि बीच में एक परत है जो हीलियम को बाहर नहीं निकलने देती।
92 मीटर लंबा, 43.5 मीटर चौड़ा,
26 मीटर ऊंचा
02 सप्ताह तक रह सकता है हवा में
92 मील प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार
48 यात्री ले जाने में सक्षम
10 टन भार ढोने में सक्षम, विमान निर्माण में कुल 115 अरब रुपए आई है लागत
ऐसा है विमान
- यात्री विमानों से ज्यादा सामान ढोने में सक्षम, कम ध्वनि और वायु प्रदूषण फैलाता है एयरलैंडर
- अन्य विमानों की तुलना में कम कार्बन उत्सर्जन, निगरानी, टोही, पर्यटन और सैन्य इस्तेमाल संभव
- अत्यधिक गर्मी और सर्दी में उड़ान भर सकेगा, उड़ान भरने-उतरने के लिए हवाईपट्टी की जरूरत नहीं